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अंटार्कटिका में बनता विशाल हिमखंड

Priya Esselborn५ नवम्बर २०११

अंटार्कटिका में एक विशाल हिमखंड का निर्माण हो रहा है. ग्लेशियर में 30 किलोमीटर लंबी दरार पड़ चुकी है. आने वाले दिनों में न्यूयॉर्क शहर के बराबर बड़ा हिमखंड ग्लेशियर से टूटकर अलग होने जा रहा है.

तस्वीर: dapd/NASA

अमेरिकी अतंरिक्ष एजेंसी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि आने वाले महीनों में अंटार्कटिका में न्यूयॉर्क के बराबर बड़ा हिमखंड बनने जा रहा है. पश्चिमी अंटार्कटिका के पाइन आइसलैंड ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूटने के कगार पर है. उसमें 18 किलोमीटर लंबी दरार पड़ चुकी है जो 50 मीटर गहरी है. दरार प्रतिदिन 2 मीटर चौड़ी होती जा रही है.

नासा के आइसब्रिज प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक माइकल स्टुडिंगर कहते हैं कि हिमखंड 880 वर्ग किलोमीटर बड़ा होगा. स्टुडिंगर के मुताबिक, "कुछ साल पर होने वाले यह चक्रीय घटनाक्रम हैं. ऐसा ही बड़ा हिमखंड आखिरी बार 2001 में बना था. हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में कुदरतन एक बड़े हिमखंड का निर्माण हो जाएगा."

तस्वीर: AP

वैज्ञानिक नए हिमखंड को लेकर काफी उत्साहित हैं. वह कहते हैं कि अक्सर ऐसी घटनाओं की शुरुआत का पता नहीं चलता है. लेकिन इस हिमखंड के जन्म का एक एक ब्यौरा वैज्ञानिकों के पास है. सितंबर के अंत में पहली बार अंटार्कटिका के पश्चिमी हिस्से में एक लकीर देखी गई. यही लकीर महीने भर के भीतर बड़ी दरार में तब्दील हो चुकी है.

एक अन्य वैज्ञानिक जॉन सोनटाग कहते हैं, "वैज्ञानिक अक्सर सही समय पर सही जगह नहीं पहुंच पाते हैं. लेकिन इस बार हम सही वक्त पर सही जगह पर हैं."

तस्वीर: Fotolia/Jan Will

हिमखंड का निर्माण अपने आप में बेहद दिलचस्प घटना है. वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि बर्फ का एक खास हिस्सा ही क्यों टूटता है. कितना हिस्सा टूटेगा, यह कैसे तय होता है. कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि हिमखंडों के नीचे बर्फ की एक नदी बहती है. यह नदी आगे का रास्ता नहीं खोज पाती तो वह दबाव पैदा कर एक हिस्से को तोड़ने की कोशिश करती है.

लेकिन कई वैज्ञानिक इस तर्क से सहमत नहीं है. उनका मानना है कि बर्फ के भीतर बर्फ की नदी कैसे बह सकती है. हिमखंड के बनने पर इस नदी के अवशेष क्यों नहीं दिखाई पड़ते हैं.

रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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