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'अंडे और जूते खाने के बाद डर गए ब्लेयर'

७ सितम्बर २०१०

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने अपनी आत्मकथा का प्रचार अभियान रोक दिया है. डबलिन में ब्लेयर पर अंडे और जूते फेंके गए. इससे ब्लेयर को लोगों की नाराजगी का पता चला और बाद में उन्होंने आगे के कार्यक्रम रद्द किए.

तस्वीर: AP

आयरलैंड की राजधानी डबलिन में शर्मसार कर देने वाला वाकया झेलने के बाद टोनी ब्लेयर ने ब्रिटेन में होने वाले कार्यक्रम रद्द कर दिए. पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री बुधवार से अपनी आत्मकथा के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाने वाले थे. हस्ताक्षर अभियान लंदन में होना था. लेकिन सोमवार को इसे रद्द करने का एलान किया गया.

ब्लेयर के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: AP

अपनी वेबसाइट पर जारी एक बयान में टोनी ब्लेयर ने कहा, ''मैंने फैसला किया है कि मैं किताब पर हस्ताक्षर करने की योजना को आगे नहीं ले जाऊंगा. मैंने यह फैसला लोगों को असुविधा से बचाने के लिए किया है. प्रदर्शनकारियों की वजह से आम लोगों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. मैं उन लोगों से माफी मांगता हूं जो मेरी किताब पर मेरे दस्तखत लेने आने वाले थे.''

तीन पहले ही ब्लेयर अपनी आत्मकथा 'ए जर्नी' का प्रचार करने डबलिन गए. किताब के प्रमोशन के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. इनमें इराक युद्ध को लेकर ब्लेयर के कदमों की आलोचना करने वाले भी अच्छी खासी तादाद में थे. इन प्रदर्शनकारियों ने आयोजन स्थल पर पहुंचते ही टोनी ब्लेयर पर अंडों और जूतों की बरसात कर दी.

ब्लेयर पर अंडे और जूते फेंके गएतस्वीर: AP

ब्लेयर के समझाने के बावजूद अंडे और जूते चलते रहे. करीब 200 प्रदर्शनकारियों ने हाथ में 'ब्लेयर का असत्य और हजारों लोगों की मौत' और 'नरसंहार के आरोपी ब्लेयर को बंद करो' जैसे नारे लिखे हुए थे. ब्रिटेन का स्टॉप वॉर कोलिजन संगठन ब्लेयर के पांव पीछे खींचने को अपनी जीत बता रहा है. संगठन की संयोजक लिंडसे जर्मन कहती हैं, ''ब्लेयर प्रदर्शनकारियों से इतना डर चुके हैं कि वह किताब के हस्ताक्षर अभियान में नहीं आना चाह रहे हैं. हम आगे भी प्रदर्शन करते रहेंगे. हमें भरोसा है कि युद्ध अपराधों के लिए ब्लेयर को अदालत में खड़ा किया जाएगा.''

इस तरह का तीखा गुस्सा देखने के बाद ब्लेयर सार्वजनिक तौर पर लोगों के सामने जाने से बच रहे हैं. पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री की आत्मकथा एक सितंबर को बाजार में आई. इसमें ब्लेयर ने इराक और अफगान युद्ध के पीछे की अपनी सोच का बखान किया है. उन्होंने बताया है कि आखिर ब्रिटेन को अमेरिका के साथ इन युद्धों में क्यों साथ कूदना पड़ा. इराक युद्ध को लेकर वह आलोचनाओं के केंद्र में बने रहे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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