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अंतरराष्ट्रीय मैनेजर ढूंढता जर्मनी

१२ मार्च २०१३

यूरोपीय कार बाजार में ठहराव है, मुनाफा उत्तरी अमेरिका और चीन के बाजारों से हो रहा है. सिर्फ ऑटोमोबाइल उद्योग में ही नहीं दूसरी जर्मन कंपनियों में भी ऐसे मैनेजरों की कमी है जिन्हें विदेशी बाजार के बारे में जानकारी हो.

तस्वीर: Deutsche Messe

जर्मन कंपनियों में बदलाव की जरूरत है और वह भी जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी. ऐसा ही कुछ डाइम्लर की हाल की घोषणा से समझा जा सकता है. कंपनीके एचआर प्रमुख विलफ्रीड पोर्थ का कहना है, "जर्मनी से बाहर और विदेशीसहयोगियों के साथ अब ज्यादा परियोजनाएं लागू की जाएंगी." इसके लिए कंपनीमें ट्रेनी प्रोग्रामों का पुनर्गठन किया जा रहा है, जहां हर साल 500 युवामैनेजरों को प्रशिक्षण दिया जाता है. डाइम्लर ट्रेनी प्रोग्राम में विदेशीट्रेनी की संख्या एक तिहाई से बढ़ाकर पचास प्रतिशत करना चाहता है. यहसंख्या कब तक बढ़ाई जाएगी और उनके जरिए किन मैनेजरों के पदों को भरा जाएगा, इसका फैसला अब तक नहीं किया गया है.

कार उद्योग पर नजर रखनेवाले विश्लेषकों का मानना है कि मैनेजरों की भर्ती में इस तरह का परिवर्तनकाफी समय से जरूरी था. जर्मन उद्योग के लिए इस समय विदेशी बाजार खास तौर परसफल हैं और उनमें भी खासकर उत्तरी अमेरिका और चीन. यूरोप में कार काकारोबार सालों से स्थिर है और इसका असर उत्पादन पर भी पड़ा है.

हाथ पर हाथ धरे

अपनेप्रतिद्वंद्वियों के विपरीत डाइम्लर पिछले सालों में महत्वपूर्ण बदलावोंको नजरअंदाज करता रहा है. बैर्गिश ग्लाडबाख के ऑटोमोटिव मैनेजमेंट सेंटर केप्रमुख श्टेफान ब्रात्सेल कहते हैं कि खासकर इलाकों की मांगों के अनुरूपतैयारी करने पर डाइम्लर ने उतना ध्यान नहीं दिया है. "वहां इलाके को जाननेवाले कर्मचारियों की जरूरत है, जो बाजार को, उसकी खासियत को समझते हों."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

ब्रात्सेलब्राजील का उदाहरण देते हैं, जो बहुत विशाल देश है और जिसके इलाके एकदूसरे से बहुत अलग हैं. वहां सड़कें खस्ताहाल हैं. वहां के लिए खास तरह कीगाड़ियों की जरूरत है. इसके अलावा वहां पेट्रोल में इथानोल की भी बड़ीभूमिका है, जिसका ध्यान रखना जरूरी है.

परिवर्तन के लिए बहुलता

मारबुर्गयूनिवर्सिटी के सामरिक मैनेजमेंट विशेषज्ञ टॉर्स्टन वुल्फ का भी मानना हैकि अंतरराष्ट्रीय मैनेजमेंट सफलता की कुंजियों में कम से कम एक है. वेबार्टेल्समन का उदाहरण देते हैं, "वे चीन में बहुत मजबूत स्थिति में हैं औरचीनी मैनेजरों के साथ बहुत मिलकर काम करते हैं." उनका मानना है कि जर्मनीमें भी नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय मैनेजमेंट के काफी फायदे हैं. "दूसरे तरहकी पृष्ठभूमि के लोगों के होने से समस्याओं को सुलझाने के तरीके में भीपरिवर्तन आता है. इसीलिए बहुत सी कंपनियां इस संभावना का इस्तेमाल करतीहैं."

जर्मनी में अंतरराष्ट्रीय मैनेजरों के प्रमुख मिसालों मेंडॉयचे बैंक के अंशु जैन और 2008 से हेंकेल के प्रमुख कास्पर रोरस्टेड हैं.वुल्फ कहते हैं कि डेनमार्क के रोरस्टेड के आने के बाद से कंपनी मेंकॉरपोरेट कल्चर पूरी तरह बदल गया है. "स्कैंडेनेविया के देशों में काम केघंटों से निबटने का अलग तरीका है, वहां सीनियर मैनेजर भी पार्ट टाइम कामकरते हैं." इसका कंपनी की कार्य-संस्कृति पर असर पड़ता है. जब परिवर्तन ऊपरसे आता है तो लागू करना आसान होता है.

कोई साफ रुझान नहीं

जर्मनीकी 30 डैक्स कंपनियों में मैनेजमेंट के गलियारे को देखते हुए तुरंत साफ होजाता है कि टॉप मैनेजमेंट में अंतरराष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया अलग अलग तरहसे तल रही है. कॉरपोरेट कंसल्टेंसी साइमन कचर एंड पार्टनर्स के एक सर्वेके अनुसार डाइम्लर के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय लुफ्थांसा, कॉमर्स बैंक या मैर्क जैसी कंपनियों के टॉप मैनेजमेंट में सिर्फ जर्मन हैं.इसके विपरीत फ्रेजेनिउस मेडिकल केयर कंपनी में 86 फीसदी और लिंडे तथाएसएपी कंपनियों में 60 फीसदी निदेशक अंतरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि से हैं.

जर्मनशेयर बाजार के डैक्स सूचकांक की कंपनियों में औसत 30 फीसदी निदेशकों कीपृष्ठभूमि विदेशी है. 2000 से उनकी तादाद दुगुनी हो गई है, लेकिन पिछले तीनसाल से उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. साइमन कचर एंड पार्टनर्स के सीनियरकंसल्टेंट यान मैर्केल के अनुसार इसकी दो वजहें हैं. एक तो एचआर विभाग अभीभी अनुदारवादी नीतियों पर चल रहे हैं और दूसरी ओर भाषा की बाधा भी कायम है.मैर्केल कहते हैं, "भले ही मैनेजमेंट के सभी सदस्य अंग्रेजी भाषा जानतेहों, मातृभाषा नहीं जानना कर्मचारियों के साथ संवाद को मुश्किल बनाता है."

मैनेजमेंटके सभी स्तरों पर अंतरराष्ट्रीयता, कम से कम डाइम्लर के मैनेजमेंटप्रतिस्पर्धा को देखते हुए इसके लिए तैयार दिखता है. कंपनी के प्रवक्तामार्कुस माइंका कहते हैं, "सवाल यह है कि हम ग्लोबल बिजनेस मॉडल कोमैनेजमेंट के ढांचे में भी लागू कर सकें, ताकि बाजार की स्थानीयपरिस्थितियों और ग्राहकों की जरूरतों को बेहतर समझ सकें और उनके अनुरूपउत्पाद और सर्विस पेश कर सकें." अभी तक यह साफ नहीं है कि डाइम्लर के बोर्डऑफ डाइरेक्टर्स में गैर जर्मन सदस्य को कब शामिल किया जाएगा.

रिपोर्ट: आंद्रेयास ग्रीगो/एमजे

संपादन:मानसी गोपालकृष्णन

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