उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन से मुलाकात के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय सुरक्षा गारंटी दे तो किम उत्तर कोरिया को परमाणु हथियारों से मुक्त करने को तैयार हैं.
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उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन से पहली बार मिलने के बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने बताया कि उन दोनों के बीच कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु हथियारों से मुक्त करने, अमेरिका और उसके प्रतिबंधों के बारे में बातचीत हुई. पुतिन के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा गारंटी मिले तो किम अपने परमाणु कार्यक्रमों को खत्म करने को भी तैयार हैं, अगर गारंटी एक बहुराष्ट्रीय ढांचे के भीतर दी जाए.
रूसी समाचार एजेंसी ने लिखा है कि मेजबान रूस का धन्यवाद करते हुए किम ने कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि हमारी उपयोगी और सृजनात्मक बातचीत ऐसे ही जारी रहेगी." हनोई में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका के साथ अपने सम्मेलन के असफल रहने के बाद उत्तर कोरियाई नेता इस समय नए साझेदारों की तलाश में हैं. अमेरिका चाहता है कि उत्तर कोरिया परमाणु निरस्त्रीकरण के रास्ते पर चले जबकि उत्तर कोरिया को उसकी अर्थव्यवस्था का गला घोंट रहे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से छुटकारा चाहिए.
उत्तर कोरिया के रूस के साथ संबंध परंपरागत रूप से अच्छे रहे हैं. फिर भी किम ने रूस जाने का निमंत्रण अब जाकर स्वीकार किया. इसके पहले भी रूस की ओर से उन्हें मई 2018 में न्योता भेजा गया था. एक घंटे चली अपनी पहली मुलाकात में दोनों नेताओं ने कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव को लेकर भी आपस में बात की.
कार्नेगी मॉस्को सेंटर के अलेक्जांडर गाबुएव बताते हैं कि रूस भी कोरिया का परमाणु कार्यक्रम खत्म करवाना चाहता है क्योंकि उसे डर है कि कहीं वे इसकी तकनीक आतंकवादी गुटों को ना बेच दे. इसी मांग को लेकर डिप्लोमैटिक प्रयासों के विफल होने के बाद से अमेरिका के साथ उत्तर कोरिया का तनाव बना हुआ है. इसी महीने किम ने मांग की थी कि उनके साथ बातचीत के लिए नियुक्त मुख्य वार्ताकार के रूप में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो को बदल कर किसी "और परिपक्व" व्यक्ति को लाया जाए.
दूसरी ओर, अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने दो हफ्ते तक चलने वाला अपना संयुक्त वायुसेना अभ्यास शुरु किया है. किम ने अपनी सेना द्वारा इसकी "समुचित प्रतिक्रिया" देने की बात कही है. इन देशों के संयुक्त सैन्य अभ्यासों को उत्तर कोरिया हमेशा अपने खिलाफ उकसावे की कार्रवाई के रूप में देखता रहा है.
आरपी/आईबी (रॉयटर्स, डीपीए)
पिछले 80 सालों की सात अहम मुलाकातें
पिछले 80 सालों में दुनिया ने अहम राजनीतिक बदलाव देखे हैं. कभी यह काल युद्ध की त्रासदी से गुजरा तो कभी इसने शीत युद्ध की तपन महसूस की. लेकिन इस दौरान कुछ अहम बैठकें भी हुईं. एक नजर पिछले 80 साल की सात अहम मुलाकातों पर.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Loeb
आडोल्फ हिटलर और नेविलर चेम्बरलेन, 1938 (म्यूनिख समझौता)
साल 1938 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री नेविलर चेम्बरलेन जर्मनी के शहर म्यूनिख पहुंचे थे. मकसद था जर्मनी के तानाशाह आडोल्फ हिटलर से मुलाकात कर दुनिया को दूसरे विश्व युद्ध में जाने से रोकना. हिटलर से मिलने के बाद चेम्बरलेन को विश्वास हो चला था कि जर्मनी चेकोस्लोवाकिया पर कोई आक्रमण नहीं करेगा. लेकिन ये सारी बातें धरी की धरी रह गई और एक साल बाद द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हो गया.
दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जर्मनी और धुरी देशों के खिलाफ लड़ रहे मित्र देश क्रीमिया के याल्टा में जुटे.1945 की इस कॉन्फ्रेंस में शिरकत करने पहुंचे अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत यूनियन के नेता जोसेफ स्टालिन. मकसद था युद्ध के बाद पैदा हुई स्थिति का मुकाबला करना. मीडिया खबरों ने इस मुलाकात को लेकर काफी सकारात्मकता दिखाई थी.
तस्वीर: Imago/Leemage
3. निकिता ख्रुश्चेव-जॉन.एफ.कैनेडी 1961 (वियना शिखर भेंट)
स्टालिन के बाद सोवियत संघ की बागडोर संभालने वाले निकिता ख्रुश्चेव ने आठ साल तक शासन किया. इस कार्यकाल के उन्होंने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी से मुलाकात की थी. यह वही वक्त था जब दोनो देशों के संबंधों में तनाव अपने चरम पर था. इस दौरान सोवियत संघ के साथी देश क्यूबा में अमेरिकी मिशन फेल हो गया था. साथ ही दोनों देश लाओस की जमीन पर एक छद्म युद्ध लड़ रहे थे.
अमेरिका और चीन के बीच करीब दो दशकों तक तनाव बना रहा. लेकिन जब रूस और चीन के बीच कशमकश बढ़ी, तो अमेरिका ने चीन के साथ रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश की. नतीजतन अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन चीन के नेता माओ त्सेतुंग से मिलने 1972 में बीजिंग गए. मीडिया ने इस यात्रा के नतीजों को मिला-जुला बताया. इसके बारे में कहा जाता रहा कि इससे न तो किसी को कोई खास फायदा हुआ और न ही नुकसान.
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने अपने कार्यकाल के दौरान सोवियत संघ की ओर हमेशा ही कड़ा रुख रखा. लेकिन अपने शासन काल के दौरान साल 1986 में रीगन, सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव से पहली बार रेक्याविक में मिले. मकसद था दुनिया में बढ़ रही हथियारों की होड़ को कम करना. इस दौरान रीगन ने मानवाधिकारों को लेकर दबाव बनाया तो गोर्बोचेव ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर बल दिया.
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6. किम जोंग इल-किम दे-युंग, 2000 (कोरियाई शिखर भेंट)
कोरियाई प्रायद्वीप के दो टुकड़े होने के बाद उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के नेता पहली बार साल 2000 में मिले. उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल और दक्षिण कोरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति किम-दे-युंग प्योंगयांग के निकट एक एयरपोर्ट पर मिले. तीन दिन तक चली इस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत दोनों नेताओं की 50 मिनट की संयुक्त यात्रा के साथ हुई थी.
तस्वीर: AP
7. डॉनल्ड ट्रंप-किम जोंग उन, 2018 (सिंगापुर शिखर भेंट)
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन, एक दूसरे के खिलाफ तल्ख बयानबाजी से बाज नहीं आते. अमेरिका, उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रमों और मिसाइल परीक्षणों पर कई बार सवाल उठा चुका है. लेकिन जून 2018 में पहली बार दोनों नेता एक दूसरे से सिंगापुर में मिले. दुनिया भर की मीडिया के सामने दोनों नेताओं ने अहम समझौतों पर दस्तखत किए.