बीते सालों में 'मेक इन इंडिया' की मुहिम के साथ भारत ने देश के भीतर सैनिक साजो सामान तैयार करने की कोशिशें बढ़ाई हैं. सरकार के मुताबिक इन कोशिशों के नतीजे में 2020-21 में 13 हजार करोड़ रुपये के हथियारों का निर्यात हुआ.
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रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी इन आंकड़ों में दावा किया गया है कि भारत ने 2020-21 में एक साल पहले की तुलना में 55 फीसदी ज्यादा हथियारों का निर्यात किया है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 70 फीसदी निर्यात निजी क्षेत्र से हुआ है जबकि 30 फीसदी सरकारी कंपनियों के हिस्से आया.
इन आंकड़ों के साथ किन चीजों का निर्यात हुआ, इसका रक्षा मंत्रालय ने ब्यौरा नहीं दिया है. इसलिए कई जानकार इस पर सवाल उठा भी उठा रहे हैं. दिल्ली में वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी का कहना है कि यह साफ नहीं किया गया है कि भारत से किन चीजों का निर्यात हुआ. डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा, "इस साल ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 37.5 करोड़ डॉलर की कीमत के निर्यात का एक करार हुआ है लेकिन करार होने और निर्यात होने में फर्क है. इसके पहले भी कुछ करार हुए हैं लेकिन उन करारों में से कितनों पर अमल हुआ, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है."
सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस
रूस और भारत के संयुक्त उपक्रम में बनने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के लिए भारत को 2025 तक 5 अरब डॉलर के ऑर्डर मिलने की उम्मीद जताई गई है. फिलीपींस के साथ इस साल 37.5 करोड़ डॉलर के पहले ऑर्डर पर दस्तखत भी हुए हैं. भारत और रूस के सहयोग से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने वाली कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम के साथ नए ऑर्डर के लिए बातचीत कर रही है. कंपनी के चेयरमैन अतुल डी राणे ने यह जानकारी दी. राणे का कहना है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक 5 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य दिया है. मुझे उम्मीद है कि ब्रह्मोस 2025 तक 5 अरब डॉल के निर्यात के लक्ष्य को पूरा कर लेगा."
ब्रह्मोस एयरोस्पेस में भारत की 50.5 फीसदी और रूस की 49.5 फीसदी हिस्सेदारी है. यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम में बिल्कुल फिट बैठता है. भारत ने रूस के सहयोग से मिग लड़ाकू विमान और सुखोई जेट विमान लाइसेंस के तहत बनाए हैं और दोनों देश मिल कर ब्रह्मोस का निर्माण कर रहे हैं. पिछले दिनों भारतीय वायु सेना के कुछ अधिकारियों की गलती से एक ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान की तरफ दाग दिया गया था. संयोग से इस पर हथियार नहीं लदे थे नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था. इसके लिए जिम्मेदार अधिकारों को बर्खास्त किया जा चुका है. रूस पारंपरिक रूप से भारत का हथियारों के मामले में बड़ा सहयोगी रहा है.
भारत से हथियारों का निर्यात
भारत से जिन हथियारों और सैनिक साजो सामान के निर्यात की बात होती है उनमें लड़ाकू विमान तेजस, ध्रुव हैलीकॉप्टर, ब्रह्मोस मिसाईल और सुखोई विमान शामिल हैं. बेदी बताते हैं कि ये सारे विमान और हथियार भारत ने विदेशों की मदद और आयात किये हुए सामान से ही बनाये हैं. बेदी का कहना है, "विमान हो या हैलीकॉप्टर सबके लिए ईंजन की जरूरत होती है इसी तरह और भी दूसरी कई जरूरी चीजें हैं और उनके विकास में अभी कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है. हां उनके विकास की दिशा में प्रयास जरूर चल रहे हैं. जहां तक निर्माण की बात है तो ज्यादातर चीजों की भारत में असेंबल ही किया जा रहा है."
ये देश खरीदते हैं सबसे ज्यादा हथियार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की सालाना रिपोर्ट बताती है कि बीते पांच साल में दुनियाभर में सबसे ज्यादा हथियार भारत और सऊदी अरब ने खरीदे. देखिए, कौन से देश हैं सबसे बड़े खरीददार...
सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और सऊदी अरब दुनिया के सबसे ज्यादा हथियार खरीदते हैं. इन्होंने 2016 से 2020 के बीच कुल बिके हथियारों का 11-11 प्रतिशत हिस्सा खरीदा है. हालांकि 2012-16 के मुकाबले भारत का आयात 21 प्रतिशत घटा है.
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सऊदी अरब
2012-16 के मुकाबले बीते पांच साल में सऊदी अरब में हथियारों का आयात 27 प्रतिशत बढ़ा है और यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बना हुआ है.
तस्वीर: Jon Gambrell/AP/picture alliance
मिस्र, दूसरे नंबर पर
सिप्री में मिस्र को दूसरे नंबर पर रखा गया है जिसने कुल हथियार आयात का 5.7 प्रतिशत हिस्सा खरीदा. पिछले पांच साल में उसने 2012-16 के मुकाबले 73 प्रतिशत ज्यादा हथियार खरीदे हैं.
हाल ही में अमेरिका और ब्रिटेन से पनडुब्बी समझौता करने वाला ऑस्ट्रेलिया 5.4 प्रतिशत हथियार खरीदकर तीसरे नंबर पर है.
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चीन
सिप्री की रिपोर्ट कहती है कि चीन अब खुद हथियार बनाने में बहुत प्रगति कर चुका है लेकिन तब भी वह दुनिया के कुल आयात का 4.8 प्रतिशत खरीद रहा है. चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जो हथियार बेचने वालों में भी पांचवें नंबर पर है.
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म्यांमार का आयात घटा
बीते पांच साल में म्यांमार की हथियार खरीद 32 प्रतिशत कम हो गई है. उसके पास कुल आयात का सिर्फ 0.6 प्रतिशत हिस्सा गया.
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इस्राएल का आयात बढ़ा
2012-16 से तुलना की जाए तो इस्राएल ने बीते पांच साल में 19 प्रतिशत ज्यादा हथियार खरीदे हैं.
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ताइवान का आयात घटा
चीन के साथ संबंधों में तनाव झेल रहे ताइवान का आयात बीते पांच साल में तो 68 प्रतिशत घट गया है लेकिन आने वाले सालों में उसकी हथियार खरीद में बड़ी वृद्धि की संभावना जताई गई है.
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रूस के सहयोग से भारत में कलाश्निकोव सीरीज की एके203 राइफल भी बनाई जा रही है और हाल ही में कार्ल गुस्ताफ राइफल बनाने के लिएस्वीडन की साब कंपनी से भी करार हुआ है.भारत ने इन हथियारों की खरीदारी का एक बड़ा ऑर्डर दिया है और इसमें यह शर्त भी है कि हथियारों को बनाने का कुछ काम भारत में भी होगा. भारत में कार्ल गुस्ताफ के कुछ पुर्जे बनाये जाने की भी बात है और यहां दूसरे देशों को इसके निर्यात की भी चर्चा हो रही है. इन्हीं से जुड़े आंकड़ों को जोड़ कर भारत से हथियारों के निर्यात की संभावित तस्वीर बनती है.
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हथियारों का बड़ा खरीदार है भारत
भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है. बीते कई सालों से वह इस मामले में शीर्ष नंबर पर है. 2022 के लिए भी भारत ने एक बड़ी रकम हथियारों की खरीदारी के लिए सोच रखी है. रूस पर लगे प्रतिबंधों की वजह से अब वह कई और यूरोपीय देशों से हथियारों की खरीदारी के लिए बात कर रहा है.
दुनिया भर में हथियारों के कारोबार नजर रखने वाली एजेंसी सीपरी (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) के मुताबिक 2018 से 2021 के बीच भारत ने 12.4 अरब डॉलर के हथियारों की खरीदारी की. इसमें सबसे ज्यादा 5.51 अरब डॉलर के हथियार रूस से खरीदे गये.
रिपोर्टः निखिल रंजन (रॉयटर्स)
हथियारों की सबसे बड़ी दुकान है अमेरिका
दुनिया में हथियारों की खरीद बिक्री पर नजर रखने वाले इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बताया है कि 2013-17 के बीच हथियारों की बिक्री 10 फीसदी बढ़ गई है. देखिए दुनिया में हथियारों के बड़े दुकानदार और खरीदार देशों को.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/A. Naveed
संयुक्त राज्य अमेरिका
हथियारों के सौदागर के रूप में सबसे आगे चलने वाले अमेरिका ने अपनी बढ़त और ज्यादा कर ली है. बीते पांच सालों में दुनिया में बेचे गए कुल हथियारों का करीब एक तिहाई हिस्सा यानी करीब 34 फीसदी अकेले अमेरिका ने बेचे. अमेरिकी हथियार कम से कम 98 देशों को बेचे जाते हैं. इनमें बड़ा हिस्सा युद्धक और परिवहन विमानों का है.
तस्वीर: Reuters/Erik De Castro
सऊदी अरब
अमेरिका अपने हथियारों का करीब आधा हिस्सा मध्यपूर्व के देशों को बेचता है और करीब एक तिहाई एशिया के देशों को. सऊदी अरब मध्य पूर्व में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है. दुनिया में बेचे जाने वाले कुल हथियार का करीब दसवां हिस्सा सऊदी अरब को जाता है. सऊदी अरब हथियारों की दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा खरीदार देश है. अमेरिका के 18 फीसदी हथियार सऊदी अरब खरीदता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
रूस
अमेरिका के बाद हथियार बेचने वालों में दूसरे नंबर पर है रूस. बेचे गए कुल हथियारों में 20 फीसदी रूस से निकलते हैं. रूस दुनिया के 47 देशों को अपने हथियार बेचता है साथ ही यूक्रेन के विद्रोहियों को भी. रूस के आधे से ज्यादा हथियार भारत, चीन और विएतनाम को जातें हैं. रूस के हथियार की बिक्री में 7.1 फीसदी की कमी आई है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
फ्रांस
हथियारों बेचने वाले देशों में तीसरे नंबर पर है फ्रांस. कुल हथियारों की बिक्री में उसकी हिस्सेदारी 6.7 फीसदी की है. फ्रांस ने हथियारों की बिक्री में करीब 27 फीसदी का इजाफा किया है और वह दुनिया की तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश बन गया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J.-L. Brunet
जर्मनी
फ्रांस के बाद जर्मनी का नंबर आता है. बीते पांच सालों में जर्मनी की हथियार बिक्री में कमी आई है बावजूद इसके वह चौथे नंबर पर काबिज है. जर्मनी ने मध्य पूर्व के देशों को बेचे जाने वाले हथियारों में करीब 109 फीसदी का इजाफा किया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Stache
चीन
अमेरिका और यूरोप के बाद हथियार नियातकों में नंबर आता है चीन का. बीते पांच सालों में उसके हथियारों की बिक्री करीब 38 फीसदी बढ़ी है. चीन के हथियारों का मुख्य खरीदार पाकिस्तान है. हालांकि इसी दौर में अल्जीरिया और बांग्लादेश भी चीन के हथियारों के बड़े खरीदार बन कर उभरे हैं. चीन ने म्यांमार को भी भारी मात्रा में हथियार बेचे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L.Xiaolong
इस्राएल
हथियारों की एक बड़ी दुकान इस्राएल में है. बीचे पांच सालों में उसने अपने हथियारों की बिक्री करीब 55 फीसदी बढ़ाई है. इस्राएल भारत को बड़ी मात्रा में हथियार बेच रहा है.
तस्वीर: Reuters
दक्षिण कोरिया
हथियारों के कारोबार में अब दक्षिण कोरिया का भी नाम लिया जाने लगा है. उसने अपने हथियारों की बिक्री बीते पांच सालों में करीब 65 फीसदी बढ़ाई है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Ahn Young-joon
तुर्की
इस दौर में जिन देशों के हथियारों की बिक्री ज्यादा बढ़ी है उनमें तुर्की भी शामिल है. उसने हथियारों का निर्यात 2013-17 के बीच करीब 165 फीसदी तक बढ़ा दिया है.
तस्वीर: Reuters/O. Orsal
भारत
हथियारों के खरीदार देश में भारत इस वक्त सबसे ऊपर है. दुनिया में बेच जाने वाले कुल हथियारों का 12 फीसदी भारत ने खरीदे हैं. इनमें करीब आधे हथियार रूस से खरीदे गए हैं. भारत ने अमेरिका से हथियारों की खरीदारी भी बढ़ा दी है इसके अलवा फ्रांस और इस्राएल से भी भारी मात्रा में हथियार खरीदे जा रहे हैं.
तस्वीर: REUTERS/A. Abidi
पाकिस्तान
पाकिस्तान के हथियारों की खरीदारी में कमी आई है. फिलहाल दुनिया में बेचे जाने वाले कुल हथियारों का 2.8 फीसदी पाकिस्तान में जाता है. पाकिस्तान ने अमेरिका से हथियारों की खरीदारी काफी कम कर दी है.