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अंतरिक्ष यात्रा करने वाले क्या स्वस्थ बच्चे पैदा कर सकेंगे

२६ सितम्बर २०१९

अंतरिक्ष की यात्रा करने वालों की सेहत पर यात्रा के पहले और बाद में बारीकी से नजर रखी जाती है. क्या अंतरिक्ष की यात्रा उनकी बच्चा पैदा करने की क्षमता पर भी असर डाल सकती है?

Kasachstan Start Sojus MS-15 der ISS | Kosmodrom Baikonur | Crew
तस्वीर: Reuters/S. Zhumatov

एक महीने तक अंतरिक्ष में रहने के बाद धरती पर वापस लौटा चूहा पृथ्वी पर प्रजनन करने में सक्षम है. एक रिसर्च में यह पता चला है. अंतरिक्ष यात्रा का स्तनधारियों के प्रजनन पर क्या असर होता है इसका यह पहला सबूत है.

 वैज्ञानिकों को पहले ऐसे संकेत मिले थे कि अंतरिक्ष में समय बिताने से शुक्राणुओं पर बुरा असर पड़ता है. यहां तक कि ठंडा कर जमाए हुए चूहे के शुक्राणुओं को भी जब 9 महीने तक वहां रखा गया तो उनमें भी विकिरण से हुआ नुकसान दिखाई पड़ा. इसी तरह 13 दिन तक कक्षा में बिताने वाले चूहों में शुक्राणुओं की संख्या ही कम हो गई.

तस्वीर: Reuters/Michael Brown

नई रिसर्च में 12 चूहों को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में 35 दिन तक रखा गया. इनके लिए खास डिजाइन के पिंजरे बनवाए गए थे. कुछ चूहों ने माइक्रोग्रैविटी में भारहीनता का भी अनुभव किया जबकि बाकी चूहे उन पिंजरों में ही रहे जिनमें कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण की व्यवस्था थी.

पृथ्वी पर वापस लौटने के बाद रिसर्चरों ने इन चूहों के शुक्राणुओं को ऐसी चुहिया के अंडाणु का निषेचन कराने में इस्तेमाल किया जो कभी अंतरिक्ष में नहीं गईं. वैज्ञानिकों ने देखा कि अंतरिक्ष में घूम चुके चूहों से स्वस्थ बच्चे पैदा हुए. 

ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मासाहितो इकावा इस टीम का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा करने वाले चूहों के प्रजनन अंगों का निरीक्षण भी किया और देखा कि बच्चों में उनके मां बाप को हुए नुकसान का कोई चिन्ह नहीं था. साइंटिफिक जर्नल रिपोर्ट्स में छपी रिसर्च रिपोर्ट में प्रोफेसर इकावा ने कहा है, "हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कम समय के लिए अंतरिक्ष में रहने से नर प्रजनन अंगों की शारीरिक गतिविधियों, शुक्राणुओं के कामकाज और बच्चों की जीवनक्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता."

तस्वीर: imago images/ZUMA Press/V. Zelentsov

मेडिकल रिसर्च यह पहले ही दिखा चुका है कि अंतरिक्ष यात्रा का शरीर पर कई प्रकार से नकारात्मक असर पड़ता है, इसमें मांसपेशियों और बोन मास की क्षति के साथ ही कोशिकाओं में बदलाव होता है. विकिरण के संपर्क में आना इसके पीछे की वजह है. पहले की रिसर्चों में कुछ और जीवों के प्रजनन तंत्र पर होने वाले असर को देखा गया है. हालांकि नई स्टडी में पहली बार अंतरिक्ष यात्रा के असर का आणविक स्तर पर परीक्षण किया गया है.

हालांकि यह रिसर्च अभी अपने शुरुआती दौर में ही है और जरूरी नहीं कि यह बता सके कि इंसान के प्रजनन तंत्र या फिर चुहिया के प्रजनन तंत्र पर इसका क्या असर होता है. रिसर्चरों का कहना है कि वो पता लगाना चाहते हैं कि अंतरिक्ष यात्रा का असर हार्मोन और जीन के स्तर पर कैसा होता है खासतौर से प्रजनन तंत्र में.

रिसर्च में कहा गया है कि वह युग आ रहा है जब लोग आसानी से अंतरिक्ष में जा सकेंगे. ऐसे में प्रजनन तंत्र पर अंतरिक्ष के वातावरण के असर को जानना बेहद जरूरी है ताकि अगली पीढ़ी में अवांछित असर को रोका जा सके.

एनआर/एमजे (एएफपी)

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