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अंतरिक्ष से बॉडी बिल्डर बन कर लौटे चूहे

८ सितम्बर २०२०

अंतरिक्ष में एक महीना बिताने के बाद "ताकतवर चूहे" और ज्यादा ताकतवर और मांसपेशियों को मजबूत बना कर वापस लौटे हैं. उनकी मांसपेशियां किसी बॉडी बिल्डर जैसी हो गई हैं.

USA "Bodybuilder" Maus für Raumfahrttest
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/University of Connecticut School of Medicine/Dr. Se-Jin Lee

वैज्ञानिकों ने इस चूहे को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में यह जानने के लिए भेजा था कि अंतरिक्ष यात्रियों के लंबे मिशनों के दौरान उनकी हड्डियों और मांसपेशियों को होनो वाली क्षति को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं. मंगल मिशन जैसे अभियानों के लिए अंतरिक्ष यात्री एक लंबा वक्त वहां बिताते हैं. इस प्रयोग से मिली जानकारियां व्हील चेयर और बिस्तर पर लंबा समय बिताने वाले मरीजों के लिए भी काम आएंगी.

कनेक्टिकट के जैक्सन लेबोरेट्री की रिसर्च टीम ने डॉक्टर से जिन ली के नेतृत्व में यह प्रयोग किया. इसके लिए 40 काली मादा चूहों को बीते साल दिसंबर में स्पेसएक्स के रॉकेटे के सहारे अंतरिक्ष में भेजा गया. प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक पेपर में इस प्रयोग की जानकारी दी गई है. इसमें ली ने बताया है कि 24 चूहों को नियमित रूप से कोई दवा नहीं दी गई. भारहीनता में रहने के दौरान उनकी मांसपेशियों और बोन मास में आशंका के मुताबिक ही लगभग 18 फीसदी की कमी आई.

वैज्ञानिकों ने जेनेटिकली मोडिफाइड आठ चूहों को भी अंतरिक्ष में भेजा था, जिन्हें "माइटी माइस" यानी ताकतवर चूहा कहा जा है. इन ताकतवर चूहों का वजन कम नहीं हुआ और मांसपेशियां दोगुनी हो गई. इन चूहों के मांसपेशियों की तुलना अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के केनेडी स्पेस सेंटर में रखे गए ताकतवर चूहों की मांसपेशियों से की गई.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/University of Connecticut School of Medicine/Dr. Se-Jin Lee

इसके अलावा जिन आठ सामान्य चूहों को अंतरिक्ष में रख कर ताकतवर चूहों वाली दवाएं दी गईं, वे मांसपेशियों में बहुत ज्यादा विकास के साथ वापस लौटे हैं. इन चूहों में मांसपेशियों का वजन सीमित करने वाले प्रोटीनों को दवा के जरिए रोका गया था.

स्पेसएक्स का कैप्सूल सभी 40 चूहों को सुरक्षित वापस ले कर आया. इन्हें पैराशुट के जरिए कैलिफोर्निया के तट पर प्रशांत सागर में उतारा गया. कुछ सामान्य चूहों को जिन्हें वापस आने के बाद "ताकतवर चूहों" वाली दवा दी गई थी उनकी मांसपेशियां दूसरे चूहों की तुलना में ज्यादा जल्दी तैयार हो गईं.

वैज्ञानिकों ने यह प्रयोग ऐसे दौर में पूरा किया है जब कोरोना ने वायरस अमेरिका को अपनी चपेट में लिया था. कनेक्टिकट चिल्ड्रेन्स मेडिकल सेंटर की डॉक्टर एमिली जरमैन ली भी इस प्रयोग में शामिल थीं और वे डॉक्टर जिन ली की पत्नी भी हैं. डॉ एमिली ने बताया, "कोविड का सिर्फ एक ही फायदा ये हुआ है कि हमें पास व्यापक तौर पर रिपोर्ट लिखने के लिए बहुत समय मिला." दोनों वैज्ञानिक यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट से जुड़े हुए हैं.

खोज से उत्साहित ली दंपति का कहना है कि अभी इंसानों पर इस दवा का परीक्षण करने के लिए बहुत प्रयोगों की जरूरत है. ऐसा करने के बाद ही इंसानों में बिना किसी गंभीर साइड इफेक्ट के मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करने के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकेगा. जरमैन ली का कहना है, "हम अभी सालों दूर हैं, लेकिन हर चीज ऐसे ही होती है जब आप रिसर्च को चूहों से इंसानों पर ले जाते हैं."

ली का कहना है कि दूसरे मॉलिक्यूल्स की ओर भी प्रयोग में कुछ ऐसे संकेत मिले हैं जिनका परीक्षण अहम है. उनका अगला कदम होगा और ज्यादा "ताकतवर चूहों" को ज्यादा लंबे समय के लिए अंतरिक्ष में भेजना. अंतरिक्ष में नासा के तीन अंतरिक्ष यात्रियों ने इन चूहों का ख्याल रखा. उन्होंने इनकी बॉडी को स्कैन किया और इंजेक्शन देते रहे. इस काम के लिए क्रिस्टीना कॉख, जेसिका मेयर और अंड्रयू मॉर्गन को रिपोर्ट के सह लेखक के रूप में शामिल किया गया है.

एन रंजन/आईबी (एपी)

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