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कहां गिरते हैं रॉकेट?

१७ मई २०२१

1960 में अंतरिक्ष में इंसान के पहुंचने के बाद से सैकड़ों छोटे बड़े रॉकेट धरती और अंतरिक्ष के बीच आ-जा चुके हैं. इस्तेमाल के बाद अक्सर ये रॉकेट समुद्र में गिरा दिए जाते हैं. क्या यह अच्छी बात है?

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तस्वीर: Joe Marino/UPI Photo/imago images

लगभग एक हफ्ते तक दुनिया टकटकी लगाए देखती रही कि चीन का भेजा रॉकेट धरती पर कहां गिरेगा. चीन का यह विशाल अनियंत्रित रॉकेट सीजेड 5बी अंतरिक्ष से 9 मई को पृथ्वी पर लौटा. इंसान का इस रॉकेट के गिरने की जगह पर कोई नियंत्रण नहीं था. 30 मीटर लंबा और पांच मीटर मोटा यह रॉकेट कहीं भी गिर सकता था. वैज्ञानिकों ने शुक्र मनाया कि रॉकेट मालदीव के निकट हिंद महासागर में गिरा. एक साल पहले एक रॉकेट आइवरी कोस्ट में एक घर पर गिरा था.

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रशासक बिल नेल्सन कहते हैं कि चीन अंतरिक्ष के कूड़े को लेकर अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल हो रहा है. ऐसी राय रखने वाले नेल्सन अकेले नहीं हैं. हालांकि तस्वीर सिर्फ इतनी नहीं है कि चीन का रॉकेट धरती पर गिर रहा है. अमेरिका के हाथ भी इस ‘अपराध' में रंगे हैं.

सब हैं शामिल

ऑस्ट्रेलिया के ऐडिलेड की फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी में असोसिएट प्रोफेसर एलिस गोरमन कहती हैं कि चीन थोड़ा शरारती तो रहा है. ‘डॉक्टर स्पेस जंक वर्सेस द यूनिवर्स' नामक किताब की लेखिका गोरमन ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा, "वे इस भरोसे पर चल रहे हैं कि ज्यादातर चीजें या तो वायुमंडल में प्रवेश करते हुए भस्म हो जाती हैं या फिर समुद्र या खाली पड़ी जमीन पर जा गिरती हैं. लेकिन पिछले साल आइवरी कोस्ट वाले अनुभव के बाद कहा जा सकता है कि यह भरोसा ज्यादा भरोसेमंद नहीं है.”

1969 में अपोलो 11 के चांद पर ऐतिहासिक मिशन की तस्वीर. मिशन के लिए इस्तेमाल किया गया सैटर्न वी यान 24 जुलाई 1969 को प्रशांत महासागर में आ कर गिरा.तस्वीर: NASA

जब चीनी रॉकेट पृथ्वी पर लौट रहा था तो कई वैज्ञानिकों ने चिंता जताई थी. हालांकि चीन के विशेषज्ञों ने इन चिंताओं को खारिज कर दिया था. रॉकेट के धरती पर लौटने से पहले एक विशेषज्ञ सोंग जोंगपिंग ने ग्लोबल टाइम्स अखबार से कहा कि रॉकेट के अवशेषों का पृथ्वी पर लौटना एक सामान्य घटना है.

और वाकई यह एक सामान्य घटना है. उपग्रह और यहां तक कि स्पेस स्टेशन के टुकड़े भी पृथ्वी पर लौटते या गिरते हैं. और संख्याओं को देखा जाए तो चीन का रिकॉर्ड सबसे बुरा नहीं है. कई अन्य देश और निजी कंपनियां भी इसमें भागीदार हैं. गोरमन कहती हैं, "सबसे बड़े प्रदूषक हैं अमेरिका और रूस.”

अंतरिक्ष का ज्यादातर कचरा समुद्र में गिरता है, क्योंकि पृथ्वी पर जमीन कम है और समुद्र ज्यादा. विशेषज्ञ पॉइंट नीमो के पास दक्षिणी प्रशांत महासागर के निर्जन क्षेत्र को लक्ष्य करते हैं क्योंकि यह सबसे दूभर और निर्जन इलाका है. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की 2018 की एक ब्लॉग पोस्ट के मुताबिक 1971 से अब तक 260 रॉकेट इसी इलाके में गिरे हैं. यह संख्या सालाना बढ़ रही है. शायद इसीलिए पॉइंट नीमो को अंतरिक्ष यानों का कब्रिस्तान भी कहते हैं. लेकिन रॉकेट सिर्फ यहीं नहीं गिरते.

दो मई 2021 को आईएसएस से चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर लौटा स्पेसएक्स का यान मेक्सिको की खाड़ी में उतरा.तस्वीर: NASA TV/AP/picture alliance

हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स इन केंब्रिज में अंतरिक्षविज्ञानी जोनाथन मैकडॉवल कहते हैं, "पॉइंट नीमो तो एक नाम है. लेकिन असल में यह जगह दक्षिणी प्रशांत, न्यूजीलैंड और चिली के बीच हर कहीं है. यह कोई एक केंद्र नहीं है. और अब लोग अन्य कई जगहों का इस्तेमाल कर रहे हैं.”

समुद्री जीवन के लिए खतरा?

मैक्डॉवल के मुताबिक अंतरिक्ष जगत में एक चलन चला है कि अंतरिक्ष में कम कचरा छोड़ा जाए क्योंकि यह भविष्य के अभियानों में रुकावट हो सकता है और संचार में भी बाधा पैदा कर सकता है. लेकिन इसका अर्थ है कि ज्यादा कचरा पृथ्वी पर आएगा. अब 2028 में स्पेस स्टेशन को तोड़ने की बात हो रही है. यानी यह भी दक्षिणी प्रशांत की तहों में गिरेगा. इसका समुद्री जीवन पर क्या असर होगा?

विशेषज्ञ इसके असर के बारे में अभी ज्यादा नहीं जानते. गोरमन कहती हैं, "कुछ अंतरिक्ष यानों के ईंधन जहरीले होते हैं. जैसे कि हाइड्राजीन. लेकिन क्रायोजेनिक ईंधन जहरीले नहीं होते. बेरिलियम और मैग्निशियम जैसी धातुएं भी होती हैं और बेरिलियम तो बहुत खतरनाक है.” यानी असर तो संभव है, लेकिन कितना इसके बारे में अभी जानकारी का अभाव है. गोरमन कहती हैं कि समुद्र का नमकीन पानी चीजों को जल्दी गला सकता है इसलिए बड़ा खतरा पृथ्वी की कक्षा में मौजूद खतरा है.

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