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अंतिम दिन खाद्य सुरक्षा पर चर्चा

१० जुलाई २००९

जी 8 देशों के शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन आज का दिन अफ़्रीका का होगा. आर्थिक संकट, कारोबार और ग्लोबल वार्मिंग पर दो दिनों की चर्चा के बाद इटली के लाक्विला में विश्व के सबसे ग़रीब देशों की समस्याओं पर चर्चा होगी.

जी 8 और जी 5 के नेतातस्वीर: AP

अफ़्रीका का विकास 2005 से जी 8 देशों के एजेंडे पर महत्वपूर्ण हो गया है जब विश्व नेताओं ने 2010 तक अपनी वार्षिक सहायता को बढ़ाकर 50 अरब डॉलर करने की घोषणा की थी जिसमें से आधा अफ़्रीकी देशों को जाना था. लेकिन सहायता संगठनों का कहना है कि शिखर भेंट के मेज़बान इटली सहित कुछ देश अपने आश्वासन से मुकर गए हैं. लाक्विला पहुंचे अफ़्रीकी राज्य प्रमुखों का कहना है कि वे अपनी चिंता को मुखर करेंगे. इथियोपिया के प्रधानमंत्री मेलेस ज़ेनावी ने कहा है कि उनका मुख्य संदेश होगा कि जी 8 अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करे.

चांसलर मैर्केलतस्वीर: AP

इसके पहले गुरुवार को जी 8 के नेताओं ने जी 5 के नेताओं से भेंट की और दोनों पक्षों के बीच ग्लोबल वार्मिंग को 2050 तक 2 डिग्री सेंटीग्रेड तक सीमित करने पर सहमति बन गई. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का कहना है कि इसके साथ क्योटो की अनुगामी संधि के लिए कोपेनहैगेन में वार्ता का ढांचा बन गया है.

जी 5 समूह में भारत, चीन, ब्राज़ील, मेक्सिको और दक्षिण अफ़्रीका शामिल हैं. बैठक से पहले उम्मीद की जा रही थी कि विकासशील देश ग्लोबल वार्मिंग को 2050 तक 2 डिग्री सेंटीग्रेड तक सीमित करने के लक्ष्य पर सहमत नहीं होंगे. लेकिन इस लक्ष्य पर सहमति हो गई है. इसके अलावा इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया की सहमति के बाद इस वर्ष कोपेनहैगेन में पर्यावरण संधि की संभावना बढ़ गई है. सहमति के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि सभी सहमत हुए हैं कि विकसित देश 2050 तक अपने उत्सर्जन में 80 प्रतिशत की कमी करेंगे और विश्वव्यापी उत्सर्जन को 50 प्रतिशत कम करने के लिए सभी राष्ट्रों के साथ मिलकर काम करेंगे.

यूरोप में कार्बन का संकेंद्रनतस्वीर: Uni Bremen

पर्यावरण विशेषज्ञ दो डिग्री वाले फ़ैसले को महत्वपूर्ण मानते हैं, क्योंकि इसका मतलब औद्योगिक देशों द्वारा 2020 तक अपने कार्बन उत्सर्जन में 40 प्रतिशत और 2050 तक 80 प्रतिशत की कटौती है. इसका अर्थ कार्बन काल की समाप्ति होगा. लेकिन वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड की काथरीन गुटमन जैसे पर्यावरण संरक्षकों को कहना है कि जी 8 ने कोई ठोस वायदे नहीं किए हैं. वे कहती हैं कमी इस बात की है कि वे कहें कि इस लक्ष्य को कैसे पूरा करेंगे.

जी 8 और जी 5 की सहमति कितना ठोस रूप ले पाती है यह दिसंबर में कोपेनहैगेन में होने वाले सम्मेलन में ही पता चलेगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: सचिन गौड़

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