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अंधेरे में डूब जाएगा कंधार

७ अगस्त २०१४

अगले साल जब अमेरिका अफगान शहर कंधार में बिजली के लिए पैसे देना बंद कर देगा, तो शहर की बिजली गुल हो जाएगी. फैक्ट्रियों का शोर रुक जाएगा और तब हो सकता है कि तालिबान की शक्ति इलाके में और बढ़ जाए.

तस्वीर: DW/I.Spesalai

कंधार शहर कभी मुल्ला उमर का गढ़ हुआ करता था. इस इलाके में अभी भी तालिबान का खासा रुतबा है और अमेरिका का ध्यान खास तौर पर इस शहर पर है. लेकिन शहर में नियमित बिजली सप्लाई नहीं होती है. फिलहाल अमेरिका यहां की बिजली के लिए हर महीने 10 लाख डॉलर की सब्सिडी दे रहा है. अगले साल सितंबर में यह सब्सिडी बंद हो जाएगी. तब भारी मुश्किल हो सकती है.

बिजली कंपनी अफगानिस्तान ब्रेश्ना शेरकात के मुताबिक कंधार प्रांत में करीब 12 मेगावॉट बिजली की सप्लाई होती है, जिनमें से आधे पर तालिबान का कब्जा है. शहर के एक कारोबारी फुज्ले हक का कहना है, "कंधार में करीब 130 फैक्ट्रियां काम कर रही हैं. इसकी बिजली का जिम्मा अमेरिकी उठा रहे हैं. अगर अमेरिकियों ने इसके लिए पैसा देना बंद कर दिया, तो 6000 कर्मचारियों की नौकरी चली जाएगी." उनको चिंता है, "ये जवान लड़के हैं. और नौकरी जाने के बाद वे तालिबान या दूसरे अपराध की तरफ मुड़ सकते हैं."

तस्वीर: Ibrahim Speasaly

अमेरिकी स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान कंस्ट्रक्शन (सिगार) के प्रवक्ता एलेक्स ब्रोश्टाइन-मॉफली का कहना है कि इस इलाके में बिजली का जाना बहुत बड़ा संकट ला सकता है, "अगर कंधार के बिजली सप्लाई से समझौता करना पड़ा, तो इतने सालों में हुई प्रगति के फिर से खत्म होने का खतरा है."

कंधार का ऐतिहासिक महत्व है. सिकंदर महान ने भी अपने विश्व विजय के दौरान यहां डेरा डाला था. लेकिन आधुनिक कंधार का चेहरा अलग है. यहां सिर्फ 30 फीसदी लोगों के पास बिजली है. यहां विदेशी फौजों की तैनाती के वक्त बिजली के बुनियादी ढांचे को बनाने का काम शुरू हुआ लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया. हाल की एक रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारी जॉन सॉपको ने लिखा, "लगता है कि अफगान सरकार को निरंतर बिजली की मदद देने के लिए अमेरिका के पास कोई योजना नहीं है."

इसके विपरीत अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन का दावा है कि 2002 के मुकाबले अफगानिस्तान में पांचगुना ज्यादा जगहों पर बिजली है. अमेरिका इस साल के आखिर में अपनी सेनाओं को अफगानिस्तान से हटा रहा है.

उधर, अफगान सरकार का कहना है कि वह कंधार प्रांत में बिजली उत्पादन का खर्च नहीं उठा सकती है. शहर में अभी से डीजल की राशनिंग हो रही है और बिजली का संकट साफ दिख रहा है. तालिबान के दबदबे की वजह से यहां राजस्व की भी सही उगाही नहीं हो पा रही है और कई इलाकों में तालिबान बिजली कर वसूल रहे हैं.

एजेए/एमजे (रॉयटर्स)

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