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अगले साल टेस्ट या वनडे छोड़ देंगे धोनी

१२ जनवरी २०१२

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरा टेस्ट शुरू होने से पहले टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने धमाका कर दिया. उन्होंने संकेत दिया है कि अगले साल तक वह क्रिकेट कम कर देंगे. उनकी कप्तानी में भारत टेस्ट का सरताज बना है.

तस्वीर: dapd

भारत को कप्तान के तौर पर दो वर्ल्ड कप जिता चुके धोनी का मानना है कि अगर टीम इंडिया को अपना वनडे वर्ल्ड कप बचाए रखना है, तो 2015 के वर्ल्ड कप से पहले उन्हें टेस्ट क्रिकेट छोड़ना होगा. उन्होंने कहा, "अगर हमें 2015 वर्ल्ड कप के बारे में सोचना है, तो मुझे क्रिकेट के एक फॉर्मैट से रिटायर होना पड़ेगा." यह फॉर्मैट टेस्ट क्रिकेट हो सकता है क्योंकि बात वनडे टूर्नामेंट की हो रही है. क्रिकेट का तीसरा फॉर्मैट ट्वेन्टी 20 है, जिसकी चर्चा या तो वर्ल्ड कप के दौरान होती है या फिर आईपीएल मैचों के दौरान. हालांकि धोनी ने खुद यह साफ नहीं किया है कि वह टेस्ट क्रिकेट छोड़ेंगे या वनडे. आम तौर पर क्रिकेटर पहले वनडे को अलविदा कहते हैं.

तस्वीर: AP

हालांकि धोनी कहते हैं कि इस बारे में वह अगले साल तक आखिरी फैसला करेंगे, "अभी बहुत जल्दबाजी होगी. मेरी उम्र उतनी ज्यादा नहीं है. मैं सिर्फ 30 साल का हूं. हमारे पास अभी वक्त है. हम इस बारे में 2013 के आखिर तक फैसला करेंगे."

मिस्टर कूल के नाम से मशहूर धोनी की अगुवाई में भारतीय क्रिकेट ने खासी सफलता हासिल की है. 2007 में कप्तान बनने के साथ ही धोनी ने ट्वेन्टी 20 का वर्ल्ड कप जीता, जिसके बाद अगले ही साल उन्हें टेस्ट मैचों की कप्तानी मिल गई. इस तरह वह भारत के टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों फॉर्मैट के क्रिकेट कप्तान बन गए. उन्होंने खुद को साबित भी किया और भारतीय क्रिकेट टीम को टेस्ट मैचों में पहले नंबर तक पहुंचा दिया. इस बीच पिछले साल वनडे वर्ल्ड कप में भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए वर्ल्ड कप भी जीत लिया.

कप्तान पर दबाव

इस पूरे क्रम में धोनी ने भी अच्छा क्रिकेट खेला लेकिन इसके साथ ही उन्हें तीनों फॉर्मैट में कप्तानी और बल्लेबाजी के अलावा विकेटकीपिंग का दबाव भी झेलना पड़ा. टीम की हर नाकामी का ठीकरा भी जाहिर है, कप्तान के सर पर ही फूटता रहा. विदेशी धरती पर भारत पिछले दो दौरों से नाकाम रहा है और अब ऑस्ट्रेलिया के दौरे में भारत को दो हार के बाद पर्थ टेस्ट में उतरना है.

तस्वीर: AP

उनका कहना है, "मैं कहना चाहता हूं कि 2013 में मैं इस बात को तय करूंगा कि मेरा शरीर मुझे क्या कहता है. क्या मैं 2015 के वर्ल्ड कप तक फिट रह सकता हूं या नहीं. फॉर्म भी एक बात तो होती ही है लेकिन अगर मैं 2014 तक खेलता रहूं और अचानक कह दूं कि मैं वर्ल्ड कप में नहीं खेल सकता तो टीम को किसी ऐसे विकेटकीपर को लाना होगा, जिसके पास मुश्किल से 30 वनडे मैचों का अनुभव होगा. इसलिए 2013 तक मुझे फैसला करना है कि हां, ठीक है. मैं वर्ल्ड कप तक खेल सकता हूं."

भारतीय कप्तान का कहना है कि वह टीम के बारे में सोच रहे हैं, अपने बारे में नहीं, "इसमें मेरा निजी हित नहीं है. यह देश के लिए है. मैं चाहता हूं कि मेरी जगह एक ऐसा खिलाड़ी टीम में रहे, जिसके पास 60 से 100 वनडे मैचों का तजुर्बा हो."

इस बीच हार से जूझ रही टीम इंडिया को 13 जनवरी से पर्थ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भिड़ना है. भारत ने संकेत दिया है कि इस तेज विकेट पर वह चार तेज गेंदबाजों के साथ उतरेगा. अगर भारत यह मैच भी हार जाता है, तो ऑस्ट्रेलिया में उसके खाते में एक और सीरीज की हार तय हो जाएगी.

रिपोर्टः रॉयटर्स, एएफपी/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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