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अच्छे डॉक्टर बनो एनआरआई नहीं

२४ अप्रैल २०१२

उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाकर पढ़ाई करने वाले भारतीय डॉक्टरों को अब एक बांड पर दस्तखत करने होंगे. इस आधिकारिक दस्तावेज पर लिखा होगा कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत लौटेंगे. डॉक्टरों के विदेश में बसने से सरकार परेशान.

तस्वीर: AP

स्वास्थ मंत्री गुलाम नबी आजाद कहते हैं, "इस साल से मेडिकल की आगे की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका जाने वाले हर छात्र को एक बांड पर दस्तखत करने होंगे. बीते तीन साल में 3,000 डॉक्टर विदेश गए और नहीं लौटे. अब अगर कोई छात्र अमेरिका से नहीं लौटेगा तो उसे वहां भी प्रैक्टिस करने की अनुमति नहीं होगी."

सरकार ने इस बारे में अमेरिका से भी बातचीत की है. आजाद के मुताबिक अमेरिकी संस्थान उसी छात्र को दाखिला देंगे जिसके पास सरकार का एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाण पत्र होगा. एनओसी बांड पर दस्तखत करने के बाद ही मिलेगा. बांड पर लिखा होगा कि, पढ़ाई खत्म करने के बाद मैं भारत लौटूंगा. लेकिन फिलहाल यह सिर्फ अमेरिका जाने वाले छात्रों पर ही लागू होगा.

भारत के गांवों में स्वास्थ सेवाओं को दुरुस्त करने की भी तैयारी की जा रही है. आजाद को उम्मीद है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया तीन साल के रुरल हेल्थ केयर कोर्स को मान्यता दे देगी. इसके तहत सरकारी डॉक्टरों का एक अलग काडर बनाया जाएगा जो गांवों में काम करेंगे. आजाद के मुताबिक, "डॉक्टरों के संगठन इसका विरोध कर रह हैं. मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि उनकी दिलचस्पी अपने मरीज बढ़ाने में है."

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भारत के हजारों गांवों में स्वास्थ सेवाओं का दशा दयनीय है. ज्यादातर इलाकों में सरकारी अस्पताल शहरों में हैं. इन अस्पतालों में भारी संख्या में मरीज आते हैं. एक समस्या और है. वह यह कि सरकारी रियायत के साथ मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद कई डॉक्टर निजी अस्पतालों में काम करने लगते हैं. उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में ही मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद कई डॉक्टर गायब हो गए. सरकारी बांड पर दस्तखत करने के बावजूद उनका अता पता नहीं हैं.

ओएसजे/एनआर (पीटीआई)

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