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अजन्मे बच्चे की कोरोना से मौत का कारण

११ फ़रवरी २०२२

एक नई रिसर्च से पता चला है कि कोरोना वायरस गर्भवती महिला के प्लेसेंटा में घुस कर उसे नुकसान पहुंचाता है. इसके नतीजे में संक्रमित महिला के अजन्मे बच्चे की मौत हो सकती है.

गर्भवती महिला
गर्भवती महिलाओं के कोरोना संक्रमित होने पर अजन्मे बच्चे की मौत का खतरा ज्यादा है. तस्वीर: Colourbox/Motortion

यह किसी भी गर्भधारण में सामान्य रूप से नहीं होता है लेकिन कोविड-19 से पीड़ित महिलाओं में इसका जोखिम ज्यादा है. अधिकारियों का मानना है कि टीका लगाने से इस तरह के मामले रोके जा सकते हैं.

अमेरिका समेत 12 देशों के रिसर्चरों ने 64 अजन्मे और जन्म के तुरंत बाद मर गए चार बच्चों की प्लेसेंटा और शव परीक्षा से मिले ऊतकों का विश्लेषण किया है. इन सभी मामलों में माओं को वैक्सीन नहीं लगा था और गर्भावस्था के दौरान वो कोविड-19 से संक्रमित हो गईं.

गर्भनाल को नुकसान

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के फाइनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के पैथेलॉजिस्ट डॉ जेफरी गोल्डस्टाइन का कहना है कि इस रिसर्च ने रिपोर्ट किए गए कुछ मामलों के सबूतों को मजबूती दी है. यह इस बात की भी पुष्टि करता है कि कोविड-19 से जुड़े अजन्मे बच्चों की मौत के पीछे संभावित कारण भ्रूण में संक्रमण की बजाय प्लेसेंटा को हुआ नुकसान है. डॉ गोल्डस्टाइन इस रिसर्च में शामिल नहीं थे.

इस रिसर्च की रिपोर्ट गुरुवार को आर्काइव्स ऑफ पैथोलोजी एंड लेबोरेट्री मेडिसिन में प्रकाशित हुई है. इससे पहले मिले सबूतों से पता चला था कि कोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिलाओं में अजन्मे बच्चे की मौत की आशंका सामान्य की तुलना में ज्यादा है. खासतौर से कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से. वैक्सीन को गर्भवती महिलाओं के लिए भी जरूरी बताया जा रहा था और साथ ही यह भी कि संक्रमित होने की स्थिति में उनके लिए ज्यादा परेशानी का जोखिम है.

कोरोना का संक्रमण गर्भवती महिला के प्लैसेंटा को क्षतिग्रस्त करता है.तस्वीर: Colourbox/Serhii Bobyk

कैसे नुकसान पहुंचाता है वायरस

रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक डॉ डेविड श्वार्त्स का कहना है कि अकसर संक्रमण प्लेसेंटा में घुस कर भ्रूण को नुकसान पहुंचाता है. इसी वजह से भ्रूण की मौत हो जाती है. जीका वायरस के मामले में ऐसा ही होता है.

डॉ श्वार्त्स और उनकी टीम यह देखना चाहते थे कि क्या कोरोना वायरस भी ऐसा ही करता है. उन्हें बिल्कुल उलट नतीजा देखने को मिला. इस मामले में प्लेसेंटा खुद ही संक्रमित और बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. डॉ श्वार्त्स का कहना है, "बहुत से मामलों में प्लेसेंटा के 90 फीसदी हिस्से को क्षति पहुंची थी जो बहुत डरावनी स्थिति है."

सामान्य प्लेसेंटा के ऊतक सेहतमंद लाल वर्ण के और गद्देदार होते हैं. जिन नमूनों का इन्होंने अध्ययन किया उनमें वे कठोर थे और उनके ऊतक बदरंग हो कर मर चुके थे. कई बार प्लेसेंटा को दूसरी चीजों से भी नुकसान होता है लेकिन डॉ श्वार्त्स का कहना है कि उन्होंने और किसी कारण से इस तरह का, इतना ज्यादा और लगातार नुकसान नहीं देखा है. प्लेसेंटा वो अंग है जो गर्भवास्था के दौरान बनती है और गर्भाशय को जोड़े रखती है. यह अंबिलिकल कॉर्ड यानी गर्भनाल से जुड़ी होती है और मां के रक्त से ऑक्सीजन और पोषण ले कर बच्चे तक पहुंचाती है.

अजन्मे बच्चों की मौत 

वायरस संभवतया रक्तप्रवाह के जरिए ही प्लेसेंटा तक पहुंचता है. इसकी कोशिकाएं प्रोटीन जमा करती हैं. फिर असामान्य सूजन होती है जिसके कारण रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह रुक जाता है. रिसर्चरों का कहना है कि इसके बाद प्लेसेंटा के ऊतकों की मौत हो जाती है. कुछ भ्रूणों में कोरोना वायरस भी मिले हैं लेकिन गर्भाशय में घुटन के सबूत प्लेसेंटा की क्षति की और मौत का कारण बनने के संकेत दे रहे हैं.

नवंबर में सेंटर्स ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन रिपोर्ट ने बताया कि अमेरिका मेंकोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिलाओं की हर 80 में से एक अजन्मे बच्चे की मौत हुई. यानी 20 हफ्ते के बाद भ्रूण की मौत हो गई थी. अगर गैरसंक्रमित महिलाओं में देखें तो यह आंकड़ा 155 में एक का था.

उच्च रक्तचाप, कुछ पुरानी बीमारियां और भ्रूण की असामान्य स्थिति भी अजन्मे बच्चे की मौत की आशंका बढ़ा सकती है. ये सारे कारण कोविड-19 से प्रभावित महिलाओं पर भी असर करते हैं. अभी यह साफ नहीं है कि ओमिक्रॉन का संक्रमण अजन्मे बच्चों की मौत का कारण बनता है या नहीं. यह रिसर्च ओमिक्रॉन वायरस का संक्रमण शुरू होने से पहले की गई थी.

एनआर/आईबी (एपी)

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