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अजब तरीकों से परमाणु कचरे का विरोध

९ नवम्बर २०१०

जर्मन शहर गोरलेबेन में परमाणु कचरा ले जाने से रोक रहे प्रदर्शनकारी कचरे से लदे ट्रकों को हर तरह से रोकने की कोशिश कर रहे हैं. पुलिस का कहना है कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए और जवानों की मांग की थी.

तस्वीर: dapd

अब प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए सरकार और ज्यादा पुलिसकर्मी भेज रही है. कैस्टर यानी रेडियोएक्टिव कूड़े को ले जाने वाले खास डिब्बों को डानेनबेर्ग स्टेशन से मालवाहनों के जरिए गोरलेबन ले जाया जा रहा है. पर्यावरण ग्रीनपीस के कार्यकर्ताओं ने एक जबरदस्त तरकीब के जरिए कैस्टर वाहनों को रोकने की कोशिश की है.

तस्वीर: dapd

पुलिस की आंखों के सामने से ही दो महिलाएं और तीन पुरुष बियर के ट्रक पर सवार हुए निकल गए और गाड़ी को कैस्टर ले जाने वाले मालवाहन के सामने पार्क कर दिया. पहले तो पुलिस को लग रहा था कि यह वाकई में बियर वाली गाड़ी है. लेकिन देखते ही देखते बियर का प्रचार कर रहे पोस्टरों की जगह परमाणु ऊर्जा विरोधी नारों ने ले ली. गाड़ी में चढ़े दो कार्यकर्ता अजीब तरीके से ट्रक और जमीन से बंधे हुए थे. अगर पुलिस गाड़ी को जबरदस्ती से हटाने की कोशिश करती, तो कार्यकर्ताओं को चोट आ लगती और पुलिस की छवि खराब होती. कई घंटों तक गाड़ी वहीं खड़ी रही और लाचार पुलिस उन्हें हटाने की कोशिश करती रही.

तस्वीर: dapd

पुलिस भी कार्यकर्ताओं की करतूतों से चकित है. पुलिस प्रवक्ता का कहना है, "यह रोकने वाला काम इन्होंने अच्छा किया है." सरकारी वकील अब कानूनों में कोई ऐसा पैंतरा ढूंढ रहे हैं जिससे कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा सके. यूरोपीय संसद में ग्रीन पार्टी की प्रमुख रेबेका हार्म्स हालांकि काफी खुश हैं. उनके लिए ग्रीनपीस ने मानो तख्ता ही पलट दिया हो.

लेकिन बियर के ट्रक पुलिस वालों की एकमात्र परेशानी नहीं है. कचरे वाले ट्रकों को गोरलेबेन पहुंचाना है. फ्रांस के ला हाग से निकले हुए माल को अब तक अपनी मंजिल तक पहुंचने में इतनी देर नहीं लगी. 2008 में इसे 79 घंटे लगे थे. इस साल अब तक 80 घंटे बीत चुके हैं और माल रास्ते में ही फंसा हुआ है.

तस्वीर: AP

गोरलेबेन में प्रदर्शनकारी सर्द मौसम का मजा सूप, संगीत और नाच के साथ ले रहे हैं. उधर किसानों ने भी पुलिस को छोड़ा नहीं है. वे चादर ओढ़े हुए सड़क के बीचों बीच सीमेंट के छोटे टीले पर बैठे हैं और उन्होंने जंजीरों के जरिए सीमेंट से अपने को बांध रखा है. पुलिस वाले इन लोगों को चाहकर भी निकाल नहीं सकते. 2008 में कई किसानों ने इस तरह के सीमेंट टीले से अपने को बांध लिया था. उन्हें छुड़ाने में कई लोग और लगभग 11 घंटे लगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः वी कुमार

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