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अतातुर्क के बराबर एर्दोवान!

Anwar Jamal Ashraf५ अगस्त २०१४

तुर्की के प्रधानमंत्री रेजेब तईप एर्दोवान इतिहास में मुस्तफा कमाल अतातुर्क का स्तर हासिल करना चाहते हैं लेकिन उनके आलोचकों का कहना है कि वह एक आधुनिक गणतंत्र के रूप में तुर्की की नींव को कमजोर कर रहे हैं.

तस्वीर: REUTERS

एर्दोवान के रविवार के राष्ट्रपति चुनावों में सफल होने के बड़े आसार हैं. वह 1923 में आधुनिक तुर्की के निर्माता कमाल अतातुर्क को गुरु मानते हैं. अतातुर्क ने अपनी सरकार के दौरान धर्म और राष्ट्र में दूरी बनाई थी. लेकिन एर्दोवान आतातुर्क के ढांचे पर खरे नहीं उतरते. वे एक पारंपरिक मुसलमान हैं, सिगरेट शराब नहीं पीते. वह मस्जिद जाते हैं और उनकी पत्नी नकाब पहनती हैं. कई लोगों को उनकी छवि अतातुर्क से बहुत अलग लगती है.

एर्दोवान अपने को अतातुर्क का उत्तराधिकारी मानते हैं. उन्होंने देश को आधुनिक बनाने का फैसला किया है और पूरे तुर्की में मूल संसाधनों को बेहतर करने के प्रोजेक्ट चलाए हैं. वह तुर्की की पहली हाई स्पीड ट्रेन नेटवर्क के साथ साथ बोस्फोरस सागर पर तीसरा पुल और इस्तांबुल में एक और एयरपोर्ट बनाना चाहते हैं.

नए खिलाफत की शुरुआत

तस्वीर: REUTERS

फार्रुख लोगोग्लू विपक्षी सीएचपी पार्टी के प्रमुख हैं. पार्टी का गठन अतातुर्क ने किया. उनका मानना है कि एर्दोवान तुर्की के इतिहास में शामिल तो होंगे लेकिन तुर्की में धर्म संबंधी नीतियों को ज्यादा जगह मिलेगी. लोकतंत्र को नुकसान होगा. "एर्दोवान कहीं न कहीं अपने दिल में खिलाफत की ख्वाहिश रखते हैं. वह राष्ट्रपति पद का इस्तेमाल करके किसी तरह मुस्लिम जगत का नेता बनने की कोशिश करेंगे."

पिछले साल तुर्की के मध्यवर्ग ने एर्दोवान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जिससे पता चला कि वह उनकी सरकार और नीतियों से कितना दूर हो गए हैं. एर्दोवान वैसे तो आधुनिक तुर्की की वकालत करते हैं लेकिन उनकी नीतियां विवाद में आई हैं. उनकी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और उनकी पार्टी एकेपी, जिसकी जड़ें इस्लाम में हैं, धर्मनिरपेक्षता की वकालत नहीं करती.

एर्दोवान की धरोहर

तस्वीर: picture-alliance/dpa

वॉशिंगटन इंस्टिट्यूट में टर्किश रिसर्च प्रोग्राम चला रहे सोनर कागापते कहते हैं कि एर्दोवान तुर्की में मध्यवर्ग की संख्या बढ़ाने में सफल रहे हैं. उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर भी बदला है. "उनका नाम इतिहास में उस शख्सियत के तौर पर लिखा जाएगा, जिसने देश को राजनीतिक और सामाजिक तरीके से नहीं बदला. यानि तुर्की को एक मध्यवर्ग समाज बनाया लेकिन मध्यवर्ग से मेल खाता लोकतंत्र यहां नहीं है."

अगर एर्दोवान राष्ट्रपति बनते हैं तो देखना होगा कि वह धर्मनिपेक्ष तुर्कों के और करीब आते हैं. ब्रसेल्स में कार्नेजी यूरोप शोध संस्था के सिनान उल्गेन कहते हैं कि कोई भी एक नेता के तौर पर एर्दोवान की नैतिकता के खिलाफ नहीं है लेकिन वह एक ऐसा शासन चाहते हैं जहां न्यायपालिका आजाद हो, मीडिया खुली हो और पश्चिमी देशों की तरह एक ताकतवर नागरिक समाज हो. ऐसा केवल बड़े प्रोजेक्ट की मदद से नहीं हो सकता.

एमजी/एजेए (एएफपी, रॉयटर्स)

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