अदृश्य हत्यारे से निपटेगा यूरोप
२० दिसम्बर २०१३यूरोपीय संघ के नीति निर्माताओं ने वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक नए कानून का प्रारूप पेश किया है. इस प्रस्ताव में ऊर्जा संयंत्रों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं की नई अधिकतम सीमा तय करने की बात है. इसके अलावा उन उपायों का भी जिक्र है जिससे सभी सदस्य देशों से मौजूदा नियमों का पालन करवाया जाएगा. इन नियमों में दमा, कैंसर और दिल की बीमारियों के लिए जिम्मेदार गैसों को कम से कम मात्रा में हवा में छोड़ने पर जोर है.
गिर रहा है जीवन स्तर
अभी तक सदस्य देश वायु प्रदूषण के इन मापदंडों पर खरे नहीं उतर पाए हैं जबकि गुणवत्ता के मामले में ईयू का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से नीचे है. "वायु प्रदूषण आज भी एक अदृश्य हत्यारा है और ये बहुत सारे लोगों को पूरी तरह सक्रिय जीवन जीने से महरूम कर देता है," ईयू के पर्यावरण आयुक्त यानेज पोटोचनिक कहते हैं.
पर्यावरण बचाने के अभियानों से जुड़े लोगों का मानना है कि ईयू वायु प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से मजबूती से नहीं निपट सका है जिसकी वजह से इतनी सारी असामयिक मौतें हो रही हैं. यही नहीं, बहुत से अन्य लोग बीमार रह रहे हैं और इसकी वजह से काम पर नहीं जा पा रहे हैं. इससे जीवन स्तर भी गिरा है. ये स्थिति तब है जबकि यूरोपीय देशों में हवा की गुणवत्ता अब भी बाकी बहुत से दक्षिणपूर्व एशियाई देशों, अरब देशों और अफ्रीकी देशों से बेहतर है.
बहुत महंगी है जान
यूरोपीय संघ भी भविष्य में वायु की गुणवत्ता के स्तर को डब्ल्यूएचओ के बराबर लाना चाहेगा. वहीं दूसरी ओर आर्थिक अनिश्चितता के इस दौर में इसमें लगने वाले पैसों को उद्योग धंधों के लिए भी फायदेमंद होना चाहिए.
वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा खामियाजा आम लोगों को ही भरना पड़ता है. इसकी वजह से हर साल फसलों और इमारतों को होने वाले नुकसान की कीमत करीब 31.6 अरब डॉलर आंकी गई है. अगर प्रस्तावित सीमा तक प्रदूषण कम किया जा सका तो इससे लोगों का स्वास्थ्य काफी सुधरेगा. संघ का अनुमान है कि सिर्फ इससे ही हर साल प्रदूषण रोकने में लगे खर्चे का बारह गुना बचाया जा सकेगा. अगर इस प्रस्ताव में बताए गए कदम उठाए जाएं तो हर साल प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों से होने वाली हजारों मौतों को कम किया जा सकता है.
आरआर/एमजी(रॉयटर्स)