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अधिकतर यूरोप का दिमाग खराब

७ सितम्बर २०११

यूरोप में हुआ नया शोध कहता है कि यूरोप में मानसिक रूप से बीमार लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. करीब 38 फीसदी यूरोपीय लोग अपने जीवन में कभी न कभी मानसिक रोग का शिकार होते हैं. इलाज में भी अक्सर देरी होती है.

Das gestellte Illustrationsfoto zeigt eine Frau in depressiver Haltung in einer Zimmerecke (Illustrations- und Symbolfoto zum Thema Depression, Angst, Verzweiflung - aufgenommen am 20.08.2006) Foto: Hans Wiedl +++(c) dpa - Report+++
38 फीसदी यूरोपीय लोग दिमागी तौर पर बीमारतस्वीर: picture-alliance/dpa

विषाद, व्यग्रता के दौरे और डिमेन्शिया (भूलने की बीमारी) और अल्जहाइमर जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से 38 प्रतिशत यूरोपीय प्रभावित हैं. इन बीमारियों के प्रभावी इलाज और रोकथाम के लिए यह शोध किया गया. जर्मन शहर ड्रेसडन की तकनीकी यूनिवर्सिटी में क्लीनीकल साइकोलॉजी और साइकोथेरपी संस्थान के निदेशक हंस उलरिष विट्षन ने अपने शोध में लिखा है, "21वीं सदी में मानसिक बीमारियां यूरोप के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है. इलाज में लगने वाला ज्यादा समय कम किया जाना चाहिए."

यह शोध 110 बीमारियों पर किया गया है और यूरोपीय संघ सहित नॉर्वे, आइसलैंड और स्विट्जरलैंड के 51 करोड़ 40 लाख लोगों पर किया गया. तीन साल चले इस शोध कार्य के नतीजे को न्यूरोसाइकोफार्मेकोलॉजी के यूरोपीय कॉलेज ने प्रकाशित किया है.

मुख्य परेशानी विषाद और व्यग्रता

'बहुत ज्यादा दबाव'

शोध के दौरान पता लगा कि हर साल लगभग साढ़े सोलह करोड़ लोग दिमागी बीमारी से परेशान हैं जिसमें विषाद, व्यग्रता और नींद न आना शामिल है. नशे की लत और खाने पीने में गड़बड़ी से 30 देशों के डेढ़ करोड़ लोग परेशान हैं.

लंबे समय तक यह सोचा जाता रहा कि मानसिक और तंत्रिका संबंधी बीमारियां कुछ ही लोगों को हो सकती हैं. "लेकिन यह एकदम गलत बात है. दिमाग जो कि पूरे शरीर की तुलना में कहीं अधिक जटिल है वह कैसे ज्यादा स्वस्थ हो सकता है." विट्षन और उनके साथी शोधकर्ताओं ने अपील की है कि स्वास्थ्य सेवा और दवा कंपनियों को तेजी से बढ़ते इस दबाव को समझना होगा और चिकित्सा बेहतर बनानी होगी.

इलाज में देरीतस्वीर: picture alliance/dpa

फिलहाल तो इन बीमारियों का इलाज कई साल तक लटका रहता है और सरकार भी इसमें कोई सुविधा नहीं देती. दुनिया भर में विषाद, व्यग्रता, शिजोफ्रेनिया, पार्किन्सन जैसी बीमारियां मौत का अहम कारण है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2020 तक बीमारियों के बढ़ने में विषाद सबसे बड़ी भूमिका निभाएगा. विट्षन का मानना है कि यूरोपीय संघ में मस्तिष्क की बीमारियां सबसे ज्यादा संख्या में हैं.

रिपोर्टः निकोल ग्योबल/आभा एम

संपादनः ईशा भाटिया

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