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अधिक कार्बन सोखते हैं पेड़-पौधे

३० सितम्बर २०११

जलवायु परिवर्तन के बारे में वैज्ञानिक अब ज्यादा सटीक भविष्यवाणी कर सकते हैं. शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया है कि पेड़-पौधे 25 फीसदी ज्यादा तेजी से कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं.

तस्वीर: DW-TV

इस खोज के जरिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जारी जंग में अहम मदद मिल सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारी सूखा और बाढ़ आने के अलावा समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा और देशों को कार्बन प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए नए उपाय ढूंढने होंगे.

बेहद सटीक जलवायु विज्ञान की मदद से ऊर्जा नीतियों में बदलाव किया जा सकता है. कैलिफोर्निया की समुद्र-विज्ञान संस्थान की लीजा वेल्प-स्मिथ और उनकी टीम ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जो यह पता लगाएगी की कि पेड़ कितने कार्बन डाई ऑक्साइड सोखते हैं और छोड़ते हैं. टीम ने सीओ 2 में ऑक्सीजन आइसोटोप मार्क्स का इस्तेमाल किया. इसके अलावा टीम ने एक ग्लोबल नेटवर्क के डेटा का इस्तेमाल किया जिसमें आंकड़े 30 साल से भी पुराने हैं. यह नेटवर्क ग्रीन हाउस गैस, प्रदूषण और अन्य कारकों को मापने के लिए हवा के नमूनों का इस्तेमाल करती है.

कट रहे हैं जंगलतस्वीर: picture-alliance/dpa

शोध में शामिल ऑस्ट्रेलिया के वायुमंडलीय रसायनशास्त्री कॉलिन एलिसन कहते हैं, "इस नतीजे का मतलब यह है कि पेड़ बहुत तेजी से काम कर रहे हैं. जैसा हमने सोचा नहीं था." वैश्विक कार्बन चक्र में पड़े कार्बन को पुनर्नवीनीकरण और दोबारा इस्तेमाल कर अहम भूमिका निभा रहे हैं. टीम के शोध से यह पता चला है कि मानव द्वारा उत्सर्जित कार्बन को पेड़  16 से 19 गुना सोख लेते हैं. वेल्प-स्मिथ और एलिसन का कहना है कि यह कहना अभी थोड़ा मुश्किल है कि शोध के परिणाम किस तरह से जलवायु परिवर्तन के अनुमानों को प्रभावित करेंगे. वेल्प-स्मिथ कहती हैं, "अगर हम सही हैं तो जीपीपी को 25 फीसदी संशोधित किए जाने की जरूरत है."

लेकिन वह चेतावनी देती हैं कि इसका मतलब यह नहीं है कि पेड़ ज्यादा कार्बन को रोक लेते हैं. वह कहती हैं, "इसका मतलब यह है कि ज्यादा कार्बन पेड़ों से होकर गुजर रहे हैं और ज्यादा समय के लिए उसमें रूक रहे हैं." पर्यावरण इसके प्रभाव को जानने के लिए और अध्ययन की जरूरत होगी.

रिपोर्ट: रॉयटर्स /आमिर अंसारी

संपादन: महेश झा

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