1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अनंत में विलीन आनंद

१९ जुलाई २०१२

गुरुवार सुबह मुंबई ने आंखें खोली तो दिल भारी था, रात भर सुबकती न जाने कितनी आंखों में नींद की जगह आंसू थे. राजेश खन्ना को आखिरी विदाई देने के लिए आसमान का दिल भी फट पड़ा और पूरा शहर भींग गया.

तस्वीर: UNI

जिंदगी को बहुत प्यार हमने दिया, मौत से भी मुहब्बत निभाएंगे हम...

जाएंगे हम किधर, है किसे ये खबर कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं.

कार्टर रोड पर राजेश के बंगले आशीर्वाद में तो कल से ही लोगों का तांता लग गया था. गुरुवार सुबह 10 बजे से ही यहां लोगों की भीड़ उमड़ने लगी. राजेश खन्ना को आखिरी बार देखने के लिए प्रशंसकों के साथ ही फिल्म और खेल जगत, राजनीति और कारोबार की दुनिया के बड़े नाम आशीर्वाद पहुंचे. पूरी सड़क पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.

खुले ट्रेलर में चमेली की सफेद पंखुड़ियों से ढंके उनके शव का बस चेहरा ही नजर आया. शव के साथ डिंपल कपाड़िया, छोटी बेटी रिंकी खन्ना, दामाद अक्षय कुमार और तमाम दूसरे लोग भी मौजूद थे. आंखों में आंसू और होठों पर काका के लिए प्रार्थना के बोल के साथ  प्रशंसकों का रेला शव के साथ पवनहंस क्रेमेटोरियम ग्राउंड की ओर बढ़ चला.

तस्वीर: Reuters

रास्ते में जगह जगह फूलों की बरसात कर लोग हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार को श्रद्धांजलि दी. क्रेमोटेरियम ग्राउंड में राजेश खन्ना को आखिरी विदाई देने अमिताभ बच्चन के साथ मनोज कुमार, शाहरुख खान, अभिषेक बच्चन, करन जौहर, रानी मुखर्जी और फिल्मी दुनिया की तमाम बड़ी हस्तियां मौजूद थीं. इतनी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे कि न सिर्फ क्रेमेटोरियम ग्राउंड बल्कि पूरा रास्ता भर गया था और उनको संभालना एक मुश्किल काम बन गया. सांताक्रूज का स्काईवाक भी राजेश खन्ना को विदा करने आए लोगों से भरा पड़ा था.

टाइम हो गया है, पैक अप

दुनिया को विदाई देते समय भी राजेश खन्ना अपने फिल्मी माहौल में ही थे. राजेश खन्ना के एक प्रमुख सहयोगी ने मातमपुर्सी के लिए आशीर्वाद पहुंचे अमिताभ को बताया कि आखिरी वक्त उनके मुंह से बस इतना ही निकला, "टाइम हो गया है, पैक अप."

तस्वीर: Reuters

अमिताभ बच्चन ने शुरुआती सालों में राजेश खन्ना के साथ कुछ यादगार फिल्में कीं, जिनमें आनंद और नमक हराम बेहद हिट रहीं. तब राजेश खन्ना बहुत बड़े स्टार थे और अमिताभ की पारी शुरू ही हुई थी. उस पल को याद कर अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग पर लिखा, "मैंने सबसे पहले उन्हें फिल्म पत्रिका में देखा, इसके बाद अपनी मां के साथ उनकी फिल्म आराधना देखने गया. जब मुझे आनंद में उनके साथ रखा गया तो यह मेरे लिए किसी चमत्कार जैसा था. यह भगवान का आशीर्वाद था जिसने मुझे बहुत सम्मान दिलाया. जैसे ही लोगों को पता चला कि मैं राजेश खन्ना के साथ काम कर रहा हूं मेरा महत्व बढ़ गया."

अमिताभ ने उस दौर को याद करते हुए बताया कि किस तरह से उस वक्त उनके दीवाने उनके पीछे मंडराया करते थे. यहां तक कि सेट पर भी लोगों की भारी भीड़ उमड़ जाती और निर्देशकों को किसी भी तरह कुछ प्रशंसकों को उनसे मिलने की इजाजत देनी पड़ती. अमिताभ ने लिखा, "1970  के दशक में उनके प्रशंसक उनसे मिलने स्पेन से यहां आते थे, यह एक ऐसी बात थी जो पहले कभी नहीं सुनी गई. वो अपनी पहचान बन चुके सफेद कुर्ता पजामे में हर किसी से मिलते और लोगों को उनके पड़ोस में रहने वाले किसी शख्स की तरह लगते. ऐसा शख्स जिसे लड़कियां अपनी मां से मिलवाने को बेताब रहतीं."

अमिताभ से उनकी आखिरी मुलाकात आईफा अवॉर्ड्स के दौरान हुई जब राजेश को उनके जीवन भर के योगदान के लिए सम्मान दिया गया. राजेश खन्ना को यह सम्मान देने के लिए अमिताभ मंच पर आए. अमिताभ ने बताया कि एक बार वो राजेश खन्ना के जन्मदिन पर बधाई देने के लिए गलती से एक दिन पहले ही उनके घर चले गए थे. ऐसी सैकड़ों कहानियां और यादें अब उन लोगों के जेहन में हैं जिनके साथ राजेश खन्ना काम करते और मिलते जुलते रहे हैं. सुपर स्टार तो चला गया है, यादें दिलों में जिंदा हैं और रहेंगी. अलविदा काका...

रिपोर्टः निखिल रंजन (पीटीआई)

संपादनः अनवर जे अशरफ

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें