अनलॉक के बाद बढ़ने लगे हैं अपराध
९ जून २०२०![Indien Coronavirus - Lockerungen der Beschränkungen in Kalkutta](https://static.dw.com/image/53738851_800.webp)
लॉकडाउन खुलने के साथ भारत के कई राज्यों से चोरी, डकैती और छिनताई की खबरें आने लगी हैं. पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में मास्क पहने तीन डकैतों ने बीते सप्ताह एक बैंक से 18 लाख लूट लिए. अब अनलॉक होने के बाद घरों से निकलने वाले आम लोगों की बड़ी तादाद को देखते हुए कोलकाता पुलिस ने लोगों के लिए क्या करें और क्या नहीं करें, की एक सूची जारी की है. इसमें नकदी या कीमती सामान लेकर बाहर नहीं निकलने जैसी कई बातों का जिक्र है. इससे पहले बिहार पुलिस ने भी बीती 29 मई को एक पत्र जारी कर भारी तादाद में प्रवासी मजदूरों की वापसी से कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी होने की आशंका जताई थी. हालांकि विवाद बढ़ने पर बाद में वह पत्र वापस ले लिया गया था.
कोरोना के शुरुआती दौर में लॉकडाउन की वजह से लोगों के घरों में बंद होने की वजह से देश भर में अपराध के आंकड़ों में आश्चर्यजनक रूप से गिरावट आई. बाद में घरेलू हिंसा के मामले कुछ जरूर बढ़े. लेकिन अब चोरी, डकैती और छिनताई जैसी घटनाएं बढ़ने के बाद पुलिस चौकस हो रही है. पुलिस ने आम लोगों से बाहर निकलते समय एहितयात बरतने, अपरिचितों के करीब नहीं जाने और कीमती सामान साथ नहीं रखने की अपील की है. बढ़ती बेरोजगारी की वजह से ऑनलाइन फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़े हैं. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में इसी सप्ताह ऑनलाइन एजेंसी दिलाने के नाम किसी से आठ लाख रुपए ठग लिए गए तो किसी के बैंक खाते से लाखों की रकम निकाल ली गई. रोजाना ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं.
पुलिस की चिंता
बीते सप्ताह बिहार में एक पत्र पर काफी बवाल हुआ था. पुलिस मुख्यालय से जारी उक्त पत्र में कहा गया था कि भारी तादाद में प्रवासी मजदूरों की वापसी से कानून व व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है. अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था) अमित कुमार ने ये पत्र 29 मई को सभी पुलिस अधीक्षकों को भेजा था. लेकिन इस पर विवाद पैदा होने के बाद कुमार ने चार जून को उसे गलती बताते हुए वापस ले लिया था. पत्र में कहा गया था, "गंभीर वित्तीय और आर्थिक चुनौतियों के चलते लोग तनाव और चिंता में डूबे हैं. राज्य सरकार के प्रयासों के बावजूद सभी प्रवासी मजदूरों को वांछित रोजगार उपलब्ध कराना संभव नहीं दिखता है. ऐसे में वह लोग खुद को और परिवार को सहारा देने के लिए अनैतिक और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं. इसका कानून-व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.” पत्र में सभी पुलिस अधीक्षकों को संभावित स्थिति से निपटने के लिए योजना तैयार करने को कहा गया था. एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि पत्र को राजनीतिक वजहों से वापस लिया गया है.
दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल में भी चोरी और डकैती की कई घटनाओं के बाद पुलिस ने आम लोगों को बाहर निकलने की स्थिति में सतर्कता बरतने की सलाह दी है. पुलिस की ओर से क्या करें और क्या न करें, की एक सूची भी जारी की गई है. इसमें बाकी बातों के अलावा लोगों को नकदी की बजाय डेबिट या क्रेडिट कार्ड से खरीददारी और लेन-देन करने की सलाह दी गई है. इसके अलावा उनको घड़ी, अंगूठी और दूसरे कीमती सामान लेकर बाहर नहीं निकलने को कहा गया है. एक पुलिस अधिकारी बताते हैं, "लाखों लोगों का रोजगार लॉकडाउन की वजह से छिन गया है. जिनकी नौकरियां बची हैं उनको भी या तो समय से वेतन नहीं मिल रहा है या फिर ज्यादातर मामलों में आधा वेतन मिल रहा है. लाखों की तादाद में लौटे प्रवासी मजदूरों की वजह से यह समस्या और गंभीर हो गई है.” पुलिस को अंदेशा है कि खाने-पीने जैसी मौलिक जरूरतों के लिए लोग चोरी, छिनताई और दूसरे अपराधों की ओर आकर्षित हो सकते हैं.
साइबर अपराध भी बढ़े
इस बीच, हाल में साइबर अफराधों में भी तेजी से वृद्धि हुई है. सोशल मीडिया में नौकरी देने के नाम पर बेरोजगारों को ठगने के कई मामले भी सामने आए हैं. कोलकाता में मर्चेंट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से साइबर सिक्योरिटी पर आयोजित एक वेबिनार में साइबर अपराध विशेषज्ञ वीके मंडल का कहना था, "लॉकडाउन के दौरान साइबर अपराध के मामलों में 220 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है. लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग करने से बचना चाहिए. साथ ही कॉरपोरेट हाउस को अपने डाटा को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है.” एमसीसीआई के अध्यक्ष विवेक गुप्ता का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान जब लोग घरों से काम कर रहे हैं, साइबर अपराध की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं.
राज्य के हुगली जिले के चंदननगर में हाल में एक बैंक में 17 लाख की डकैती के सिलसिले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है. उनसे पूछताछ से पता चला कि गिरोह का सरगना प्रीतम बिहार से साइकिल चला कर बैंक लूटने के लिए यहां पहुंचा था. उसने कुछ दिन रह कर डकैती को अंजाम दिया. सामाजिक विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में बढ़ती बेरोजगारी के चलते आपराधिक घटनाओं में और तेजी आने का अंदेशा है. समाजशास्त्री प्रोफेसर सुनील कुमार गांगुली कहते हैं, "कोरोना और लॉकडाउन की वजह से करोड़ों लोगों का रोजगार छिन जाने के कारण लोगों के लिए दो जून की रोटी जुटाना बहुत मुश्किल हो गया है. राज्य सरकारों के पास प्रवासी मजदूरों के लिए पर्याप्त रोजगार मुहैया कराना भी संभव नहीं है. अगर काम होता तो लोग अपना राज्य छोड़ कर देश के दूसरे राज्यों में क्यों जाते?” एक अन्य समाजशास्त्री डा. मनोरंजन वैद्य कहते हैं, "कोरोना और लॉकडाउन जितना लंबा खिंचेगा आर्थिक परिदृश्य उतना ही गंभीर होगा. ऐसे में आपराधिक घटनाएं तेजी से बढ़ सकती हैं. पुलिस की सक्रियता के साथ लोगों को अपनी सुरक्षा के प्रति खुद भी जागरुक होना होगा.”
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