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अनुमान से ज्यादा तेजी से पिघल रही है ध्रुवीय बर्फ

Priya Esselborn७ अप्रैल २०११

ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक की बर्फ तेजी से पिघल रही है. एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों की बर्फ अनुमान से कहीं ज्यादा तेजी से पिघल रही हैं. समुद्र के बढ़ते जलस्तर और जलवायु परिवर्तन की चिंता गहराई.

तस्वीर: AP

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की वित्तीय मदद से तैयार की गई एक रिसर्च में पता चला है कि तेजी से पिघलती बर्फ की वजह से दुनिया भर के समुद्रों का स्तर बढ़ने लगा है. रिपोर्ट में कहा गया है, ''अनुमानों से पहले ही बर्फ तेजी से पिघलने लगी है. समुद्रों का जलस्तर बढ़ाने में इसकी अहम भूमिका है.'' वैज्ञानिकों के मुताबिक बीते 20 साल के दौरान सैटेलाइटों से मिले आंकड़ों का अध्ययन करके यह बात सामने आई है.

नासा और कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एरिक रिगनॉट कहते हैं, ''ध्रुवों में दुनिया की सभी पर्वत श्रेणियों से ज्यादा बर्फ है. लिहाजा इनका पिघलना समुद्र के जलस्तर को बढ़ाने के लिए काफी है. हैरानी वाली बात यह है कि यह प्रक्रिया तेजी से शुरू हो चुकी है.'' कहा जा रहा है कि अगर इतनी ही तेजी से बर्फ पिघलती रही तो 2007 के अनुमान गलत साबित हो जाएंगे. 2007 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन पैनल ने कहा था कि समुद्र का जलस्तर 1.3 मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से उठ रहा है.

तस्वीर: AP

रिसर्च से जुड़ी इसबेला वेलिकोग्ना का दावा है कि हिमखंडों के टूट कर सागरों में बहने की प्रक्रिया भी तेज हो गई है. नए नतीजों के हिसाब से अनुमान लगाने पर आशंका जताई जा रही है कि 2050 तक समुद्र का जलस्तर 32 सेंटीमीटर यानी एक फुट दो सेंटीमीटर बढ़ जाएगा.

बर्फ पिघलने की वजह समुद्रों में ठंडे पानी की ताकतवर धारा बहेगी. आशंका है कि उत्तरी ध्रुव से अगर ठंडे पानी की शक्तिशाली धारा बही तो वह यूरोप का मौसम खराब कर देगी. वह धारा मेक्सिको से आने वाली गर्म पानी की धारा का प्रभाव कम कर देगी, जिसकी वजह यूरोप में जमा देने वाली सर्दी पड़ने लगेगी. दुनिया भर का मौसम इससे बदलेगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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