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अन्ना और केजरीवाल में किचकिच

१९ नवम्बर २०१३

दिल्ली में चुनाव से ठीक पहले भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम से जुड़े दो नेताओं में आपसी तनातनी हो रही है. अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल पर उनके नाम के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया है.

तस्वीर: Reuters

अनबन बढ़ने के बाद अन्ना हजारे ने कहा है कि "केजरीवाल उनके दुश्मन नहीं हैं और वे बातचीत करने के लिए" तैयार हैं. इससे पहले दिल्ली के एक प्रेस कांफ्रेंस में किसी ने अरविंद केजरीवाल पर स्याही फेंक दी गई. हरकत करने वाले ने खुद को बीजेपी का समर्थक बताया है, जबकि बीजेपी ने इस घटना से किनारा कर लिया है. अन्ना हजारे की लिखी गई एक चिट्ठी से उपजे विवाद के बाद ही केजरीवाल ने इस पर सफाई के लिए दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी.

इसी दौरान नचिकेता वाघरेकर नाम के एक शख्स ने अन्ना हजारे के पक्ष में नारा लगाते हुए केजरीवाल पर स्याही फेंकी. उसने "अन्ना हजारे जिन्दाबाद" के नारे भी लगाए. स्याही फेंकने वाले ने खुद को अहमदनगर में बीजेपी का महासचिव बताया. बाद में वहां मौजूद आप पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उसे खींच कर प्रेस कांफ्रेंस से बाहर कर दिया.

आप पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवालतस्वीर: picture-alliance/dpa

बीजेपी ने खुद को इस विवाद से अलग करने की कोशिश की है. पार्टी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा, "नचिकेता पहले बीजेपी से जुड़ा था और हमारे आईटी सेल के साथ तीन साल पहले काम कर रहा था. इसके बाद से वह अन्ना आंदोलन और इंडिया अगेंस्ट करप्शन से जुड़ गया और फिलहाल वह महाराष्ट्र में बीजेपी के किसी विभाग में काम नहीं कर रहा है."

केजरीवाल से नाराज अन्ना

अन्ना हजारे ने अपने खत में लिखा है कि उनके नाम का दुरुपयोग किया जा रहा है. उन्होंने जन लोकपाल बिल पर हुए प्रदर्शन के दौरान जमा राशि के उपयोग के बारे में भी पूछा है. हजारे ने लिखा है कि उन्हें इस बात की सूचना मिल रही है कि उनके नाम का दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि उन्होंने इसकी इजाजत नहीं दी है.

इसी मुद्दे पर सफाई देते हुए केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने अन्ना को इस बारे में पूरी जानकारी दे दी है, "मैं अन्नाजी से गुजारशि करूंगा कि वे जस्टिस संतोष हेगड़े जैसे किसी भी व्यक्ति से कह कर मामले की बारीकी से जांच करा लें और चाहें तो 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी जाए. ताकि कांग्रेस या बीजेपी में से कोई भी हमारे जमा किए गए पैसों पर सवाल उठाए." उन्होंने शर्त भी रखी, "लेकिन अगर मैं बेदाग साबित होता हूं, तो अन्नाजी को आकर मेरी पार्टी का प्रचार करना होगा."

अन्ना आंदोलन काफी लोकप्रिय रहातस्वीर: AP

कैसे हो बदलाव

हालांकि हजारे इस बात को साफ कर चुके हैं कि वह अब किसी भी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे. अन्ना बार बार कहते आए हैं कि भारत में बदलाव की शुरुआत संसद से हो सकती है और वे आम आदमी पार्टी के विधानसभा चुनाव लड़ने से भी बहुत खुश नहीं हैं क्योंकि उनका मानना है कि कानून संसद में बनते हैं, किसी विधानसभा में नहीं. केजरीवाल ने कहा है कि अगर वे सत्ता में आए तो 29 दिसंबर को राम लीला मैदान में खुला सत्र बुला कर जन लोकपाल बिल को अमल में ले आएंगे.

इस मामले में दिल्ली विधानसभा ने उन्हें नोटिस भी भेजा है. केजरीवाल ने बताया, "असेंबली ने मुझे एक नोटिस भेजा है, जिसमें विशेषाधिकार के हनन का आरोप लगाया गया है. मैंने कहा था कि अगर हम दिल्ली में सत्ता में आए, तो राम लीला मैदान पर खुला सत्र बुला कर जन लोकपाल बिल को पास कर देंगे." उनका दावा है कि इससे पहले उन्होंने इस मुद्दे के कानूनी पक्ष को समझ लिया है और कुछ रिटायर अफसरशाहों से भी बात कर ली है.

अन्ना हजारे ने दो साल पहले जन लोकपाल बिल की मांग को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन किया था, जिसे जबरदस्त सफलता मिली थी.

एजेए/एमजी (पीटीआई)

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