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अन्ना के अनशन से बेफिक्र सरकार

१७ जून २०११

गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने सरकार पर लोकपाल बिल से पीछे हटने का आरोप लगाया. अप्रैल में अनशन पर बैठने वाले अन्ना ने एक बार 16 अगस्त से आमरण अनशन की चेतावनी दी है. सरकार ने कहा, अनशन से डर नहीं है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

अन्ना हजारे ने एलान किया है कि अगर सरकार लोकपाल बिल लाने में आनाकानी करेगी तो वह 16 अगस्त से फिर आमरण अनशन पर बैठेंगे. अन्ना ने कहा है कि यदि लोकपाल बिल को कमजोर बनाया गया तो भी वह अनशन पर बैठेंगे.

वहीं दूसरी तरफ सरकार भी लोकपाल बिल के मुद्दे पर अन्ना से आर पार के मूड में है. लोकपाल बिल मसौदा समिति में शामिल मंत्रियों ने अन्ना हजारे की आलोचना की है. केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, "दुनिया में दूसरी जगहों पर ऐसा कहीं नहीं है कि विधेयक लाने के लिए अनशन किया जाए."

चिदंबरम ने अनशन को लोकतंत्र की मर्यादा का विरोधी भी करार दिया. गृह मंत्री के मुताबिक अन्ना हजारे की टीम की मांगे नहीं मानी जा सकती क्योंकि वे सरकार के समानान्तर एक ढांचे की तरह काम कर रही है.

तस्वीर: dapd

लोकपाल बिल और भ्रष्टाचार के खिलाफ हो रही मुहिम के दौरान बार बार आलोचनाओं में घिरने वाले मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने अन्ना सरकार को ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है. सिब्बल ने कहा, "आप एक ही वक्त में बातचीत करने की पहल और धमकी नहीं दे सकते. यह आगे बढ़ने का रास्ता नहीं है. ऐसे रुख से सरकार का निर्णय नहीं बदलेगा."

लोकपाल बिल के मसले पर अब दोनों पक्ष अपनी जगह अड़ते दिखाई पड़ रहे हैं. सरकार का कहना है कि 30 जून तक लोकपाल विधेयक के लिए मजबूत और ठोस मसौदा आ जाएगा. मसौदा किस तरह का होगा, इसके संकेत नहीं दिए गए हैं.

अन्ना हजारे, सूचना अधिकार कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस संतोष हेगड़े, पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण लोकपाल बिल बनाने की मांग कर रहे हैं. लोकपाल बिल मसौदे के लिए बनाई गई समिति में ये लोग सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि की भूमिका निभा रहे हैं.

क्या है जन लोकपाल बिल

इन लोगों की मांग है कि लोकपाल बिल के तहत केंद्र के लिए लोकपाल और राज्यों के लिए लोकायुक्त नियुक्त किए जाएं. इन्हें जज, नागरिक और संवैधानिक संस्थाओं की भागीदारी से चुना जाएगा. चयन में नेताओं या केंद्र या राज्य सरकार से जुड़े अधिकारियों का कोई दखल नहीं होगा. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ किसी भी मामले की जांच साल भर के भीतर की जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए. अपराध सिद्ध होने पर दोषियों से सरकारी खजाने को हुए नुकसान की वसूली भी की जाए. पुलिस रिपोर्ट दर्ज न होने, ड्राइविंग लाइसेंस न बनाने या फिर राशन कार्ड बनाने में आनाकानी करने वाले अधिकारियों पर जुर्माना लगाने की भी मांग है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: उभ

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