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अन्ना के कुछ प्रस्तावों से सरकार को अपच

२२ जून २०११

भारत सरकार ने लोकपाल बिल के प्रस्तावित मसौदे में अन्ना हजारे के कई प्रस्तावों को शामिल नहीं किया है. भ्रष्टाचार के अवसर कम करने के लिए कामकाज के माहौल में बदलाव करने से इनकार. सर्वदलीय बैठक पांच जुलाई को.

तस्वीर: dapd

सरकार ने अपने लोकपाल बिल के मसौदे में फोन टैंपिंग के अधिकार और भ्रष्टाचार की संभावना कम करने के लिए सरकारी तंत्र में बदलाव करने की सिफारिश नहीं की है. अन्ना हजारे की मांग है कि सरकार आधिकारिक आदेश जारी कर सरकारी विभागों के कामकाज के तौर तरीकों में बदलाव की सिफारिश की जाए.

अन्ना हजारे के मसौदे में उचित जांच के लिए जरूरी अत्याधुनिक उपकरण खरीदने और सभी सांसदों की घोषित संपत्ति के ब्योर की जांच का अधिकार लोकपाल को देने का प्रावधान है. जन लोकपाल विधेयक के मुताबिक भारतीय टेलीग्राफ कानून की धारा पांच के तहत लोकपाल को ऐसे अधिकार दिए जाएं जिनके जरिए टेलीफोन, इंटरनेट या अन्य माध्यमों के जरिए हुए संवाद पर नजर रखी जा सके या उन्हें टैप किया जा सके.

हजारे की अगुवाई वाली सिविल सोसाइटी का मसौदा चाहता है कि लोकपाल की पीठ किसी मामले की जांच जारी रहने के दौरान दूसरे देश से आधिकारिक रूप से मदद मांगी जा सके. सरकार का कहना है कि दूसरे देश से मदद पाने के लिए अनुरोध पत्र जारी करने का अधिकार अदालत का है.

सिविल सोसाइटी से टकराव की आशंका को देखते हुए सरकार ने इस मुद्दे पर पांच जुलाई को सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है. सरकार चाहती है कि सर्वदलीय बैठक में लोकपाल बिल के मसौदे पर आम सहमति बने, ताकि केंद्र लोकतांत्रिक मशीनरी के बल पर अन्ना की मांगों को खारिज कर सके.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: उभ

रत



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