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अन्ना हजारे का आमरण अनशन

५ अप्रैल २०११

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने राजधानी दिल्ली में मंगलवार से आमरण अनशन शुरू कर दिया है. उनकी मांग है कि जन लोकपाल बिल संसद में पारित किया जाए. बिल की मांग है कि भष्टाचारियों पर जारी मुकदमे साल भर में निपटाए जाएं.

तस्वीर: AP

हजारे के गृह राज्य महाराष्ट्र में उनका समर्थन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. हिंदू नववर्ष गुड़ी पडवा के मौके पर हजारे के गांव रालेगन सीधी में लोगों ने गुड़ी पर काला कपड़ा लगा कर सरकार का विरोध किया.

मंगलवार सुबह दस बजे अन्ना हजारे अपने अनशन के तहत सबसे पहले राजघाट के गांधी स्मारक पर पहुंचे. वहां से उन्होंने अपने समर्थकों के साथ जंतर मंतर की ओर कूच किया, जहां उनका अनशन शुरु हुआ. इस अवसर पर उनके साथ सूचना के अधिकार के लिए संघर्षकर्ता अरविंद केजरीवाल और देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता किरन बेदी थी.

एक वक्तव्य में अन्ना हजारे ने कहा है कि वह अपनी घोषणा के अनुसार आमरण अनशन पर बैठेंगे, क्योंकि प्रधानमंत्री ने जन लोकपाल बिल के लिए सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों के साथ एक संयुक्त समिति के गठन से इनकार कर दिया है.

लोकपाल बिल के विकल्प के रूप में प्रस्तावित जन लोकपाल बिल में सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए सरकारी नियंत्रण से स्वतंत्र लोकपाल व प्रदेश के स्तर पर लोकायुक्तों की नियुक्ति की मांग की गई है. इन्हें एक साल के अंदर अपनी जांच पूरी करनी होगी और वे कम से कम पांच साल से उम्रकैद तक की सजा देंगे. सरकारी बिल में 6 महीने से सात साल तक कैद की सजा का प्रावधान है.

इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आमरण अनशन के अन्ना हजारे के इरादे पर अपनी गहरी निराशा व्यक्त की थी, लेकिन उन्होंने साथ ही कहा था कि मैगसेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता व उनके ध्येय हजारे के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: ए कुमार

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