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अन्ना हजारे को तिहाड़ भेजा गया

१६ अगस्त २०११

दिल्ली पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को गिरफ्तार कर लिया है ताकि वह आमरण अनशन पर न बैठ सकें. हजारे भ्रष्टाचार विरोधी एक कड़ा कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. उन्हें एक हफ्ते के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया.

तस्वीर: AP

पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि अन्ना हजारे और उनके चार अन्य साथियों को एहतियातन गिरफ्तार किया गया है. सरकार के मुताबिक देश भर में अन्ना हजारे का समर्थन करने वाले 1300 लोग गिरफ्तार किए गए हैं. अन्ना हजारे को एक हफ्ते के लिए न्यायिक हिरासत में दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया है.

बताया जाता है कि हिरासत में लिए जाने के बाद ही हजारे ने अनशन शुरू कर दिया और वह पानी भी नहीं पी रहे हैं. उनके साथ भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी, आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल और जाने माने वकील शांति भूषण भी हिरासत में हैं.

तस्वीर: dapd

गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता ने घोषणा की थी कि वह सरकार की ओर से तैयार 'कमजोर लोकपाल' विधेयक को वापस लिए जाने के लिए मंगलवार से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे. वह सरकार से मजबूत लोकपाल कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. हजारे कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र की यूपीए सरकार के लिए गंभीर चुनौती बन गए हैं. एक साथ कई घोटालों में फंसी इस सरकार पर आरोप लगते हैं कि महंगाई की मार झेल रही जनता से उसे कोई सरोकार नहीं है.

आजादी की दूसरी लड़ाई

मंगलवार को हिरासत में लिए जाने के बाद हजारे ने कहा, "मेरे प्यारे देशवासियों, आजादी की दूसरी लड़ाई शुरू हो गई है और अब मुझे गिरफ्तार कर लिया गया है. लेकिन आंदोलन मेरी गिरफ्तारी से नहीं रुकेगा. बिल्कुल नहीं. ऐसा कभी नहीं होने देना."

भारतीय सेना में ड्राइवर रह चुके हजारे यूट्यूब पर जारी एक संदेश में कहते हैं, "यह लड़ाई बदलाव के लिए है. जब तक परिवर्तन नहीं होगा, तब तक कोई आजादी नहीं होगी, सच्चा लोकतंत्र नहीं आएगा, सच्चा गणतंत्र नहीं होगा और लोगों का सच्चा शासन भी नहीं होगा. विरोध रुकना नहीं चाहिए. समय आ गया है जब देश की किसी जेल में खाली जगह नहीं रहनी चाहिए."

भारत में हाल के महीनों में सामने आए टेलीकॉम घोटाले की वजह से देश को 39 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है. इसी के चलते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सुधारों का एजेंडा धीमा पड़ा है, निवेशकों का विश्वास डगमगाया है और अर्थव्यवस्था महंगाई और ऊंची ब्याज दर झेल रही है.

तस्वीर: UNI

गांधी के देश में...

मंगलवार को नई दिल्ली में दो जगहों से हजारे के दर्जनों समर्थकों को भी गिरफ्तार किया गया. हजारों समर्थक हाथों में देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लिए हजारे के घर के सामने जमा हुए.

पुलिस ने हजारे को दिल्ली में क्रिकेट स्टेडियम के पास अनशन करने की अनुमति देने से सोमवार को इनकार कर दिया. दरअसल हजारे को पुलिस की यह मांग मंजूर नहीं थी कि अनशन तीन दिन से ज्यादा नहीं चलना चाहिए और उसमें हिस्सा लेने वाले लोगों की संख्या पांच हजार से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

स्थानीय मीडिया का कहना है कि पुलिस ने शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हजारे को एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया है क्योंकि दसियों हजार लोग उनके अनशन में हिस्सा लेने वाले थे. लेकिन जिस देश में आजादी के संघर्ष के दौरान गांधी जी के अनशन और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक समझा जाता है, वहां इस तरह की कार्रवाई से लोगों को धक्का लगा है.

बीजेपी की प्रवक्ता निर्मला सीतारामन का कहना है, "सरकार नहीं जानती कि संसद में विपक्ष से और संसद के बाहर नागरिक समाज से किस तरह व्यवहार करना है."

कड़ा रुख

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस पार्टी ने हाल के दिनों में अन्ना हजारे के खिलाफ लगातार तीखे बयान दिए हैं. सोमवार को स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में मनमोहन सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है, लेकिन इसे लेकर अनशन करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि इसके खिलाफ सभी राजनीतिक पार्टियों को कंधे से कंधा मिला कर चलना होगा. कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी तो यहां कह गए कि हजारे 'फासीवादी लोगों' से घिरे हैं.

तस्वीर: Picture-Alliance/dpa

कांग्रेस और सरकार के इस रवैये से आम लोगों में गुस्सा बढ़ सकता है जो हर स्तर पर भ्रष्टाचार को झेल रहे हैं. यह भी हो सकता है कि सरकार की कार्रवाई के बाद अन्ना हजारे का आंदोलन कमजोर हो जाए जैसा कि योग गुरु बाबा रामदेव के साथ हुआ. विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने की मांग के साथ नई दिल्ली के रामलीमा मैदान में अनशन पर बैठे रामदेव और उनके समर्थकों पर रात के अंधेरे में पुलिस ने कार्रवाई की जिसके बाद उनका आंदोलन छिन्न भिन्न हो गया.

वैसे अप्रैल में अन्ना हजारे का आंदोलन खासा सफर रहा और 98 घंटे के अनशन के बाद वह सरकार को लोकपाल विधेयक लाने के लिए मजबूर करने में सफल रहे. लेकिन विधेयक के मसौदे पर उनकी राय सरकार से नहीं मिली, इसलिए उन्होंने फिर से अनशन पर बैठने का कार्यक्रम बनाया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम

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