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अन्ना हजारे छाए रहे जर्मन मीडिया में

२० अगस्त २०११

इस हफ्ते जर्मनी के अखबारों में अन्ना हजारे की काफी चर्चा रही. साथ ही फिल्म आरक्षण और एयर इंडिया में बढ़ रही समस्याओं की भी बात हुई.

तस्वीर: dapd

महाराष्ट्र के 74 साल के अन्ना हजारे को अपना अनशन आरंभ करने के पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया. सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस के लिए मामला गलत वक्त पर गंभीर होता जा रहा है क्योंकि वह काफी नाजुक स्थिति में है. यह कहना है जर्मनी के सबसे प्रसिद्ध दैनिकों में से एक फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने साइटुंग का.

कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी इस वक्त देश के बाहर एक अस्पताल में इलाज करवा रहीं हैं. उन्हें पार्टी की सत्ता का केंद्र कहा जा सकता है. अपने ऑपरेशन के पहले ही उन्होंने चार लोगों के हाथों में सत्ता सौंपी थी जिनमें उनक बेटे राहुल गांधी भी शामिल हैं. भ्रष्टाचार के मामलों में मंत्री तक के फंसने की वजह से सरकार के लिए समर्थन सर्वेक्षणों में काफी गिरा है. साथ ही पिछ्ले महीनों में विदेशी निवेशकों की भारत में दिलचस्पी भी कम हो रही है, जिसकी वजह से यह बात स्पष्ट हो रही है कि भारत को कई क्षेत्रों में सुधार लाने की जरूरत है. इसके अलावा जनता की यह भी शिकायत है कि आम खाद्य समग्रियों के दाम बढ़ रहे हैं और समाज में खाई भी बडी होती ही जा रही है.

तस्वीर: dapd

अन्ना हजारे के टीम अन्ना को देखते हुए पता चलता है कि उसमें अलग अलग तबकों के लोग शामिल हैं, जिनके पूरे मामले को लेकर भी अलग राय है, बर्लिन के टागेससाइटुंग अखबार का कहना है.


भरत भूषण उदाहरण के लिए सुप्रीम कोर्ट में मानवाधिकारों के हनन के कई मामले पेश कर चुके हैं. लेकिन वह कहते हैं कि लोकपाल एक जादू की छड़ी नहीं है जिसके साथ अकेले भ्रष्टाचार के मामले पर काबू पाया जा सकता है. प्रसिद्ध नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाली अरुणा रॉय जिन्होंने सूचना के अधिकार को लागू करने में बड़ी भूमिका निभाई, टीम अन्ना की इसिलिए आलोचना कर रहीं हैं, क्योंकि वह कानून को बड़े सार्वजनिक संवाद के बिना खुद ही अमल में लाना चाहते हैं. विकास मामलों के जानकार और पत्रकार मुकुल शर्मा अन्ना हजारे की आलोचना करते हुए कहते हैं कि अन्ना में अधिकारवादी प्रवृत्तियां हैं और उनके पुराने जमाने के खयालात हैं. साथ ही अप्रैल में हजारे की गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्हें सन 2002 में 2000 मुसलमानों की हत्या के लिए जिम्मेदार माना जाता है, की प्रशंसा ने भी समर्थकों और अपने टीम के सदस्यों में उलझन पैदा की.

उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पंजाब - भारत के इन तीनों प्रदेशों ने प्रकाश झा की बॉलीवुड फिल्म आरक्षण को दिखाने पर रोक लगा दी है. इस फिल्म के केंद्र में आरक्षण का मुद्दा है, यानी पिछड़े हुए समुदायों के लिए सरकारी कोटा. यह हमेशा से एक बहुत विवादास्पद विषय रहा है. निदेशक प्रकाश झा कहते हैं कि सरकार उन्हें भारतीय संविधान में लिखे गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हक से वंचित कर रही है. नॉय ज्यूरिषर साइटुंग का कहना है,


वैसे, समझना जरूरी है कि गरीबी और निचली जाति के होने का जरूरी संबंध नहीं है. समाज में निचली जाति से संबंध रखने वाले बहुत सारे लोग आरक्षण की व्यवस्था की वजह से भी सफल बने हैं और उन्हें आर्थिक मदद की जरूरत ही नहीं है. लेकिन जो उच्च जातियों के लोग हैं और जो गरीब हैं, उन्हें किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिलती. यह दुविधा हमेशा से तनाव का स्रोत रही है जिसे आरक्षण फिल्म की वजह से नई गर्मी मिल सकती है.

भारत की सरकारी विमान कंपनी एयर इंडिया रोहित नंदन को नया निर्देशक बना रही है. इसके बारे में फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने साइटुंग लिखता है -


2007 में भारत की घरेलू विमान कंपनी इंडियन एयरलाइन्स के साथ संगम बहुत ही दुखद निर्णय था जिसकी वजह से एयर इंडिया आगे नहीं बढ़ पा रही है. ट्रेड यूनियनों का दबाव बहुत है. साथ ही कर्ज भी और सरकार का दखल. दूसरी विमान कंपनियां अपने विमानों को दिन में औसतन 14 घंटे उड़ा सकती हैं जबकि एयर इंडिया ऐसा औसतन 10 घंटे ही कर पाती है. वैसे, भारत की दूसरी विमान कंपनियों के साथ तुलना करते हुए यह स्पष्ट होता है कि एयर इंडिया के पास सबसे ज्यादा विमान जरूर है, लेकिन साथ ही 14 ट्रेड यूनियन भी एयर इंडिया पर दबाव डाल रही हैं. इस पूरी व्यवस्था को दखते हुए 1991 तक भारत की समाजवादी आधारों पर बनाई गई अर्थव्यवस्था की याद आती है. लेकिन 1932 में उद्योगपति जेआरडी टाटा की बानाई विमान कंपनी एयर इंडिया को दिवालिया होने देना भी इन जटिल हालात की वजह से संभव नहीं है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

जर्मन आर्थिक दैनिक हांडेल्सब्लाट लिखता है कि मार्च 2010 से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बढ़ती महंगाई से जूझ रहा है. तब से अब तक 11 बार रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर अब 0.8 फीसदी कर दी है. आरबीआई के प्रमुख दुवुरी सुब्बाराव ने हाल ही में संकेत दिया था कि वह मुद्रास्फीति को कम करने के लिए विकास दर की बलि चढ़ा सकते हैं. उनका लक्ष्य है महंगाई की दर पांच फीसदी तक लाना. जुलाई में मुद्रास्फीति की दर दोगुने से भी ज्यादा 9.2 पर रही.

सभी लोगों की आंखें अब आसमान पर टिकी हुई हैं. आसमान पर इसिलिए क्योंकि वहां से अब मानसून ने भारी बारिश के साथ पूरे देश को अपनी चपेट में ले रखा है. यदि इस साल औसतन से ज्यादा बारिश होती है, तब किसानों के लिए पिछले साल में हुई रिकॉर्ड फसल दोबारा संभव हो सकती है क्योंकि कृषि क्षेत्र के आंकड़े ही भारत जैसे विकासशील देश में महंगाई को तय करते हैं.

संकलनः प्रिया एसेलबॉर्न

संपादनः वी कुमार

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