अपना एजेंडा साफ करे अमेरिका: जर्मनी
१९ जनवरी २०१७![Schweiz Weltwirtschaftsforum WEF Davos 2017 Ursula von der Leyen](https://static.dw.com/image/37185563_800.webp)
जर्मन रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लायन ने नाटो और ट्रांस अटलांटिक पार्टनरशिप का बचाव करते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन को यूरोप के प्रति अपनी नीति साफ करनी चाहिए.
स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक फोरम के दौरान जर्मन रक्षा मंत्री ने कहा, "हम किसी चीज के लिए लड़ रहे हैं, किसी चीज के खिलाफ नहीं. हम लोकतंत्र, कानून की सत्ता और मानवाधिकारों के लिए लड़ रहे हैं."
जर्मन टीवी चैनल एनटीवी से बात करते हुए फॉन डेय लायन ने कहा, "हम चाहते हैं कि अमेरिकी स्पष्ट हों, आपका एजेंडा क्या है? सबसे अहम चीज है, भरोसा." पिछले हफ्ते निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक जर्मन और ब्रिटिश अखबार को दिये इंटरव्यू में सैन्य गठबंधन नाटो को बेकार बताया. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद नाटो ने अमेरिका और यूरोप के रिश्तों के बीच अहम कड़ी का काम किया. ट्रंप और भी कई मुद्दों पर बेबाकी से बोले. उनके बयानों ने जर्मनी और यूरोपीय संघ के देशों को असहज किया है.
जर्मन टेलिविजन चैनल जेडीएफ से बात करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, "उम्मीद है कि उनके सलाहकार उन्हें बताएंगे और वह जान जाएंगे कि नाटो सिर्फ कारोबार नहीं है. यह एक कंपनी नहीं है. मुझे नहीं पता कि वह नाटो को कितनी अहमियत देते हैं."
ट्रंप के मुताबिक नाटो के सदस्य देश पर्याप्त वित्तीय योगदान नहीं दे रहे हैं. नाटो के सदस्य 28 देश हैं. सैन्य संगठन के कुल बजट का 22 फीसदी हिस्सा अमेरिका की जेब से आता है. जर्मनी 14 फीसदी पैसा देता है. ट्रंप के मुताबिक सिर्फ पांच देश पैसा दे रहे हैं, उन्होंने रकम न देने वाले देशों की भूमिका पर सवाल उठाए.
यह लगातार तीसरा मामला है जब जर्मन सरकार के वरिष्ठ नेता ट्रंप और आगामी अमेरिकी नीतियों को लेकर बोले हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल पहले ही कह चुकी हैं कि अमेरिका और यूरोपीय संघ की दोस्ती के अमर रहने की कोई गारंटी नहीं है. जर्मनी के विदेश मंत्री भी तल्ख सुरों में जवाब दे चुके हैं. अब रक्षा मंत्री का बयान आया है.
संदेह सिर्फ जर्मनी में ही नहीं है. फ्रांस समेत यूरोपीय संघ के ज्यादातर देश ट्रंप की विदेश नीति को लेकर संदेह में हैं. अमेरिका और नाटो की मदद सुरक्षा अहसास पाने वाले पूर्वी यूरोप के देश भी ट्रंप और रूस की नजदीकी से घबराये हुए हैं.
(किस किस से बात कर चुके हैं ट्रंप)
ओएसजे/एमजे (डीपीए, एएफपी)