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अपना विमान टकराने को तैयार थीं पेने

११ सितम्बर २०११

11 सितंबर 2001 को अपने एफ-16 विमान में वॉशिंगटन के आसमान के चक्कर लगा रहीं एक पायलट कहती हैं कि वह अपना विमान किसी अगवा जहाज में मार देने को तैयार थीं क्योंकि उनके पास विमान में मिसाइल लोड करने का वक्त नहीं था.

तस्वीर: DPA

11 सितंबर 2001 की सुबह जब पूरे अमेरिका में अफरा तफरी मची हुई थी, एक अगवा विमान वॉशिंगटन की ओर बढ़ रहा था. तब वॉशिंगटन डीसी नेशनल गार्ड ने अपने दो पायलटों को फौरन उड़ान भरने के आदेश दे दिए. उनमें से एक थी लेफ्टिनेंट हीथर पेने. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में पेने ने बताया कि उन्हें बिना किसी देरी के विमान को लेकर आसमान में पहुंच जाने का आदेश दिया गया.

वह ऐसा दौर था कि अमेरिकी जमीन पर आतंकी हमले की बात कोई सोच भी नहीं सकता था. इसलिए वॉशिंगटन के बाहर स्थित एंड्रयूज एयर फोर्स बेस पर 121वीं फाइटर स्क्वॉड्रन के पास कोई पूरी तरह हथियारों से लैस विमान था ही नहीं.

इसलिए आदेश मिलने पर सिर्फ 150 गोलियों के साथ पेने और कर्नल मार्क सासेविले ने उड़ान भर दी. उस वक्त दो एफ-16 हथियारों से लैस होने के लिए इंतजार करते रहे. पेने ने सी-स्पैन टीवी को बताया कि वह बहुत मुश्किल वक्त था.

तस्वीर: AP/dapd/Chao Soi Cheong

पेने बताती हैं कि उन्हें व्हाइट हाउस से आदेश मिले थे कि जो भी विमान उनकी बात सुनने से इनकार करे, उसे तबाह कर दिया जाए. वह कहती हैं, "हम उन्हें शूट न करते. हम तो अपना विमान ही उस विमान में घुसा देते क्योंकि हमारे पास हथियार ही नहीं थे. जब हम अपने विमान को तैयार कर रहे थे तो सास ने मेरी तरफ देखा और कहा कि मैं तो विमान में कॉकपिट घुसा दूंगा." हालांकि उन्होंने यह भी सोचा कि आखिरी मिनट में यानी टक्कर से ठीक पहले वह खुद को विमान से बाहर निकाल पाएंगी या नहीं. लेकिन नौजवान पायलट की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि निशाना चूक न जाए. उन्होंने कहा, "मतलब आपके पास बस एक ही मौका होता है. इसलिए आप खुद को बचाने के चक्कर में निशाना नहीं चूकना चाहेंगे."

जब पेने अपना विमान उड़ान के लिए रनवे पर लेकर गईं, तब वह यह मान चुकी थीं कि वह अपनी आखिरी उड़ान पर जा रही हैं.

हालांकि अगवा विमान वॉशिंगटन नहीं पहुंच सका क्योंकि यात्रियों ने अपहरणकर्ताओं पर हमला बोल दिया और विमान पेनसिल्वेनिया के एक खेत में जा गिरा. लेकिन इस बात का पता पेने को शाम तक नहीं चला.

अब मेजर बन चुकीं पेने कहती हैं, "उस विमान के यात्री हीरो थे. हालांकि उन्हें तो हर हाल में मरना ही था. इसलिए मेरी चिंता यह थी कि किस तरह जमीन पर होने वाले नुकसान को कम से कम कर पाऊं."

उसी दोपहर पेने ने एयरफोर्स वन यानी तब के राष्ट्रपति बुश के विमान को एंड्रयूज बेस तक पहुंचने में साथ दिया. कुछ साल बाद उन्होंने इराक में भी कई मिशन के लिए उड़ान भरी और स्पेशल ऑपरेशन में हिस्सा लिया.

पेने अमेरिकी वायु सेना की महिला फाइटर पायलटों की शुरुआती जमात में से हैं. उन्होंने अब पूर्णकालीन उड़ान भरना छोड़ दिया है. वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक दो बच्चियों की मां पेने अब एक कोर्पोरेट एग्जिक्यूटिव के तौर पर काम करती हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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