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अपनी मां को याद में डूबा कोलकाता

२६ अगस्त २०१०

कोलकाता में धूमधाम से मदर टेरेसा की 100वीं जयंति मनाई जा रही है. इस मौके पर तिब्बती आधात्यमिक नेता ग्यालवांग कर्मपा भी मदर टेरेसा को श्रद्धाजंलि देने पहुंच रहे हैं. शहर का माहौल मां और बच्चे के प्रेम के गवाही दे रहा है.

तस्वीर: AP

14 साल की उम्र में बर्फ पर सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर भारत आने वाले तिब्बती आध्यात्मिक नेता ग्यालवांग कर्मपा कोलकाता पहुंच रहे हैं. वह मदर टेरेसा की 100वीं जयंती में हिस्सा लेंगे. इस खास मौके पर मदर टेरेसा का याद करने वालों की लिस्ट काफी लंबी है. इनमें भारत सरकार भी शामिल है.

28 अगस्त को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल मदर टेरेसा की याद में पांच रुपये का सिक्का जारी करेंगी. रेल मंत्रालय मदर टेरेसा की याद में 'मदर एक्सप्रेस' नाम की एक खास ट्रेन चलाएगा. यह ट्रेन छह महीने तक भारत के अलग अलग कोनों में जाकर मदर टेरेसा के संदेश से लोगों को जोड़ेगी.

गुरुवार सुबह मिशनरी मुख्यालय में एक खास प्रार्थना होगी. इसके बाद मदर टेरेसा की याद में विशेष कार्यक्रम शुरू होंगे. मदर टेरेसा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल भी शुरू होगा. मदर टेरेसा पर आधारित यह तीसरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल होगा. भारत के बाद 12 अन्य देशों में यह फिल्म फेस्टिवल आयोजित कराया जाएगा.

तस्वीर: AP

इसमें पियरा बेलांगर की फिल्म 'द मेकिंग ऑफ ए सेंट' भी प्रदर्शित की जाएगी. फिल्म की डॉयरेक्टर बेलांगर कहती हैं, ''यह मदर टेरेसा पर बनाई गई अब तक की सबसे वास्तविक फिल्म है. मुझे खुशी है कि उनकी 100वीं जयंती के अवसर पर फिल्म की स्क्रीनिंग की जाएगी.''

मदर टेरेसा और उनकी 100वीं जयंती के महत्व को देखते हुए कोलकाता में खास तैयारियां की गई हैं. तीन हफ्तों तक फिल्म फेस्टिवल, पेंटिंग प्रदर्शनी, विशेष प्रार्थनाएं और अन्य कार्यक्रम किए जाएंगे. कोशिश मदर टेरेसा के सेवा भाव को आम लोगों तक पहुंचाने की होगी, उस शहर में जिसे मदर टेरेसा ने अपनाया.

मदर टेरेसा 1929 में भारत आईं. तब वह सिस्टर थीं और दार्जिलिंग में रहती थीं. बाद में वह कोलकाता आईं और यहीं की होकर रह गईं. कोलकाता में ही उन्हें टेरेसा का नाम मिला. 1943 में बंगाल में पड़े अकाल से हजारों लोगों की मौत हो गई. मदर टेरेसा से यह दुख देखा नहीं गया. मिशनरी के निर्देशों की परवाह किए बिना उन्होंने गरीबों की मदद का बीड़ा उठाया. मिशनरी के नियमों को लांघते हुए मां ने अपने बच्चों को बचाने के लिए धोती धारण की. उनकी सेवा की अविरल धारा 1997 तक चलती रही. 5 सितंबर 1997 को मदर टेरेसा का निधन हुआ लेकिन उनसे प्रभावित होने वाली हजारों महिलाएं आज भी उनके सेवा भाव के संदेश पर चलीं जा रही हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: उभ

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