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अपनी रक्षा के लिए 100 अरब यूरो खर्च करेगा जर्मनी

२७ फ़रवरी २०२२

यूक्रेन संकट के बीच में ही जर्मनी ने अपने लिए 100 अरब यूरो का एक विशेष रक्षा कोष बनाने का एलान किया है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार जर्मनी और यूरोपीय देश अपनी रक्षा नीति में बड़ा बदलाव कर रहे हैं.

जर्मनी ने रक्षा खर्च बढ़ाने का एलान किया
जर्मनी ने रक्षा खर्च बढ़ाने का एलान कियातस्वीर: Philipp Schulze/dpa/picture alliance

जर्मनी ने एक विशेष सशस्त्र सेना कोष पर 100 अरब यूरो खर्च करने का एलान किया है. यूक्रेन संकट के दौर में इस खास घोषणा में जर्मनी ने अपने रक्षा खर्च को जीडीपी के दो फीसदी से ऊपर रखने की भी बात कही है. अमेरिका लंबे समय से इसकी मांग करता रहा है. यूरोपीय सुरक्षा नीति में बीते कई दशकों में हुआ यह सबसे बड़ा बदलाव है. माना जा रहा है कि इसकी वजह यूक्रेन पर रूस का हमला है.

यूक्रेन संकट से यूरोप में हलचल

जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की यह घोषणा यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई देने के फैसले के कुछ ही घंटे बाद हुई है. इससे पता चलता है कि यूक्रेन पर रूसी हमले ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप की सुरक्षा नीति को किस तरह प्रभावित किया है.

घोषणा ऐसे वक्त में हुई है जब इस्राएल ने युद्ध रोकने पर बातचीत के लिए खुद को मध्यस्थ के रूप में पेश किया है. उसका कहना है कि रूस और यूक्रेन दोनों के साथ उसके अच्छे संबंध हैं. उधर यूरोप की राजधानियों में युद्ध खत्म करने के लिए प्रदर्शनों का शोर बढ़ता जा रहा है. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप की जमीन पर पहली बार इतनी बड़ी जंग छिड़ी है.

रविवार को बर्लिन के ब्रांडेनबुर्ग गेट पर जमा दसियों हजार लोग हाथों में नारे लिखी तख्तियों के जरिए कह रहे थे, " हैंड्स ऑफ यूक्रेन," "पुतिन अपना इलाज कराओ और यूक्रेन और दुनिया को शांति में छोड़ दो." वैटिकन में जब पोप फ्रांसिस अपना साप्ताहिक दर्शन दे रहे थे तब सेंट पीटर्स चौराहे पर यूक्रेन के झंडे लहरा रहे थे.

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जर्मनी अपनी रक्षा पर जीडीपी के 2 फीसदी से ज्यादा खर्च करेगा तस्वीर: Martin Meissner/AP Photo/picture alliance

जर्मनी का नया रक्षा कोष

नए रक्षा कोष की शॉल्त्स की घोषणा जर्मनी के लिए अहम है. अमेरिका और दूसरे नाटो के सहयोगी रक्षा कोष में पर्याप्त खर्च नहीं करने के लिए जर्मनी की लगातार आलोचना करते रहे हैं. नाटो सदस्यों ने अपनी जीडीपी का 2 फीसदी रक्षा पर खर्च करने का वादा किया था लेकिन जर्मनी लगातार इससे बहुत कम खर्च करता रहा है. शॉल्त्स ने बर्लिन में संसद के एक विशेष सत्र में कहा, "यह साफ है कि हमें हमारे देश की आजादी और लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए देश की सुरक्षा में और बहुत ज्यादा निवेश करना होगा."

जर्मनी बीते दशकों में अपने कम रक्षा खर्च के लिए आलोचना झेलता रहा है. जर्मन सेना के आधुनिकीकरण का काम बाकी देशों के मुकाबले बीते सालों में बहुत धीमा रहा है. जर्मनी अपनी सुरक्षा के लिए बहुत हद तक अमेरिकी सेना पर भी निर्भर है. हालांकि विश्वयुद्धों के बाद यूरोप में शांति के लिए प्रतिबद्ध इन देशों ने युद्ध को जितना हो सके अपने एजेंडे से बाहर रखने की कोशिश की है और जर्मनी ने तो खासतौर से. यूक्रेन पर रूस के हमले ने इन देशों को अपनी रक्षा नीति बदलने पर विवश कर दिया है.

जर्मन चांसलर ने कहा है कि 100 अरब यूरो का कोष फिलहाल 2022 के लिए एक बार का होगा. अभी यह साफ नहीं है कि आने वाले सालों के लिए भी इसी तरह से धन दिए जाएंगे. शॉल्त्स ने यह जरूर साफ कर दिया है कि जर्मनी अपनी जीडीपी के 2 फीसदी से ज्यादा धन रक्षा पर खर्च करेगा. जाहिर है कि भविष्य में जर्मनी का रक्षा खर्च बढ़ जाएगा.

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जर्मनी अपनी रक्षा के लिए अमेरिकी सेना पर निर्भर है.तस्वीर: Gertrud Zach /UPI/imago images

बदल रही है यूरोप की रक्षा नीति

जर्मनी की इस घोषणा से पहले इटली, ऑस्ट्रिया और बेल्जियम ने दूसरे यूरोपीय देशों की तरह रूसी विमानों के लिए अपनी वायुसीमा को बंद करने की घोषणा की. उधर इस्राएल ने कहा कि वह 100 टन मानवीय सहायता यूक्रेन भेज रहा है. इसमें मेडिकल उपकरण, दवाइयां, टेंट, स्लीपिंग बैग, और कंबल हैं. यह सामान आम लोगों की मदद के लिए भेजा जा रहा है. इस्राएल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात भी की है.

इधर यूरोपीय संघ के गृह मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की रविवार को आपातकालीन बैठक हो रही है जिसमें संकट पर चर्चा होगी. गृह मंत्री इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि शरणार्थियों की भारी संख्या से कैसे निपटा जाए साथ ही यूरोपीय संघ की सीमाओं की सुरक्षा पर बातचीत की जा रही है.

यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा है कि वह मंत्रियों से आग्रह करेंगे कि वो "यूक्रेनी सेना की मदद के लिए आपातकालीन पैकेज पर सहमति बनाएं जिससे कि इस युद्ध में उन्हें सहायता दी जा सके."

सेना की ट्रेनिंग और दुनिया भर में शांति अभियानों को समर्थन देने के लिए यूरोपीय संघ ने एक यूरोपीयन पीस फैसिलिटी बनाने की घोषणा की है. यह एक कोष होगा जिसमें करीब 5.7 अरब यूरो की रकम होगी. इसमें से कुछ पैसा सहयोगी देशों को प्रशिक्षण और उन्हें घातक हथियार देने के लिए भी होगी.

जर्मनी ने एक दिन पहले अपनी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए यूक्रेन को हथियार और दूसरी चीजों की सीधी सप्लाई देने का फैसला किया है. इनमें 500 स्टिंगर मिसाइल भी हैं जिनका इस्तेमाल हेलीकॉप्टर, लड़ाकू विमान को मार गिराने के लिए हो सकता है इसके साथ ही यूक्रेन को 1000 टैंक रोधी हथियार भी दिए जाएंगे. यूरोपीय संघ के पैसे से यूक्रेन को हथियार देना एक ऐतिहासिक फैसला है.

एनआर/एडी(एपी, एएफपी, रॉयटर्स)

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