हर देश में मौजूद विदेशी दूतावास जासूसों का भी अड्डा होते हैं. लेकिन यह पता होने के बावजूद सारे देश ऐसी जासूसी को स्वीकार करते हैं, लेकिन क्यों?
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जासूसी की अंतरराष्ट्रीय दुनिया बड़ी स्याह और आम तौर पर गैरकानूनी है. लेकिन इसके बावजूद हर देश इसे स्वीकार करता है. बकिंघम यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस स्ट्डीज के डायरेक्टर एंथनी ग्लीस इसे "जेंटलमैंस एग्रीमेंट" कहते हैं. यह कोई लिखित या आधिकारिक समझौता नहीं होता, बस "आप मुझ पर नजर रखें और मैं आप पर" वाली बात है.
डॉयचे वेले से बात करते हुए ग्लीस ने कहा, "जैसा कि सब जानते ही हैं कि दूतावास हमेशा तथाकथित इंटेलिजेंस अफसरों को नियुक्त करते हैं, यह देशों के बीच एक गैरआक्रामक संधि सी है, जिसके तहत सरकारें आपसी फायदे के लिए एक दूसरे के मामलों पर आंखें मूंद लेती हैं." अगर किसी देश को अपने जासूसों को विदेश भेजना है तो उसे विदेशी जासूसों को अपने देश में भी मंजूरी देनी होती है. अब यह जासूसों पर निर्भर करता है कि वह कितनी जानकारी किस ढंग से निकाल पाते हैं.
यही वजह है कि दूसरे देशों में जासूसों को अक्सर डिप्लोमैट या कूटनीतिक अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया जाता है. उन्हें डिप्लोमैटिक इम्युनिटी और एक खास किस्म की सुरक्षा भी दी जाती है. कूटनीतिक संबंधों को लेकर 1961 की वियना संधि में इन बातों का जिक्र है.
इन देशों ने निकाले रूसी राजनयिक
ब्रिटेन में पूर्व रूसी जासूस और उनकी बेटी को जहर देने के मामले में यूरोप के कई देशों ने रूस के राजनयिकों को निकाल दिया है. अमेरिका और कनाडा ने भी ऐसे कदम उठाए हैं. जानिए किस देश ने कितने राजनयिकों को निष्कासित किया.
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ब्रिटेन
पूर्व रूसी जासूस को ब्रिटेन में ही जहर दिया गया. ब्रिटेन सरकार ने रूस से इस पर सफाई मांगी लेकिन रूस ने जवाब देने से इंकार कर दिया. इसके बदले में ब्रिटेन ने 23 रूसी राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया.
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अमेरिका
रूस के साथ खराब रिश्तों के इतिहास वाले अमेरिका ने जल्द ही ब्रिटेन का साथ देने का फैसला किया और 60 राजनयिकों को देश से निकालने की घोषणा की. इतना ही नहीं, सीएटल में रूसी कॉन्सुलेट को भी बंद कर दिया गया है.
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यूक्रेन
पड़ोसी देश यूक्रेन के भी रूस के साथ लंबे मतभेद हैं. यहां 13 राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की गई. राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने कहा कि रूस ना केवल स्वतंत्र राज्यों की संप्रभुता को खारिज कर रहा है, बल्कि इंसानी मूल्यों को भी.
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जर्मनी
चार राजनयिकों को निकालने की घोषणा करने के साथ जर्मनी ने कहा कि रूस ने अब तक हमले को लेकर कोई सफाई नहीं दी है, "हम भी ब्रिटेन के साथ एकजुटता दिखाना चाहते हैं."
तस्वीर: Reuters/F. Lenoir
यहां से चार
फ्रांस, पोलैंड और कनाडा ने कहा है कि वे भी जर्मनी की ही तरह चार राजनयिकों को निष्कासित करेंगे. जर्मनी में जहां लगभग हर पार्टी ने सरकार के फैसले का समर्थन किया है, वहीं ग्रीन पार्टी ने चेतावनी दी है कि इस तरह के कदम से दुनिया एक बार फिर शीत युद्ध की स्थिति में पहुंच जाएगी.
तस्वीर: Reuters/F. Lenoir
यहां से तीन
चेक गणराज्य और लिथुएनिया ने तीन तीन राजनयिकों के निष्कासन की बात कही है. यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने कहा है कि आने वाले दिनों में ईयू फ्रेमवर्क के तहत रूस पर अन्य प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं.
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यहां से दो
इटली, डेनमार्क, स्पेन और नीदरलैंड्स से दो दो रूसी राजनयिकों को निष्कासित किया जाएगा. ऑस्ट्रेलिया पहले ही दो राजनयिकों को निकाल चुका है.
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यहां से एक
एस्टोनिया, लातविया, स्वीडन, रोमानिया, क्रोएशिया, अल्बानिया और हंगरी एकजुटता दिखाते हुए एक एक राजनयिक को रूसी निष्कासित कर रहे हैं. कुल मिला कर 20 देश अब तक रूस के खिलाफ यह कदम उठा चुके हैं.
लक्जमबर्ग
इस यूरोपीय देश ने भी रूस से अपने राजदूत को वापस बुलाने की घोषणा की है.
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निष्कासन के खिलाफ
ऑस्ट्रिया ने यूरोपीय संघ के देशों के फैसले का साथ ना देने का निर्णय लिया है. चांसलर सेबास्टियान कुर्त्स ने इस बारे में कहा, "हम संपर्क जोड़ने वाला बनना चाहते हैं और रूस के साथ बातचीत के रास्ते को खुला रखना चाहते हैं."
तस्वीर: Reuters/L. Foeger
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बर्लिन में जर्मन स्पाई म्यूजियम के रिसर्च हेड क्रिस्टॉफर नेरिंग कहते हैं, "जासूसों को सबसे पहले कानून तोड़ना होगा, तभी उसके नतीजे भुगतने होंगे. अगर मेजबान देश किसी को खुफिया सर्विस के कर्मचारी के रूप में पहचान लेता है तो यह अपने आप में अपराध नहीं है- लेकिन एक जासूस के रूप में उसकी क्या गतिविधियां हैं, मसलन मुखबिर भर्ती करना, जासूसी के लिए तकनीक इंस्टॉल करना आदि हरकतें गैरकानूनी मानी जाती हैं."
सरकारें अक्सर विदेशी जासूसों को निष्कासित नहीं करती हैं. उन्हें आम तौर पर ऐसे जासूसों का पता रहता है. सरकारों को ये भी लगता है कि दूसरा देश भी निष्कासन की कार्रवाई करेगा. इससे दोनों के हित प्रभावित होंगे और राजनीतिक रिश्तों पर भी असर पड़ेगा. जासूस को निष्कासित करने के बाद सरकारों को यह भी पता नहीं चलेगा कि वह देश के भीतर क्या क्या कर रहा था. उसे निष्कासित करने पर कोई नया कर्मचारी आएगा, उसे समझने में काफी वक्त भी लगेगा.
लेकिन हाल में ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और नाटो देशों ने जिस तरह से बड़ी संख्या में रूसी जासूसों को निकाला है, उससे जासूसी के एक नए आयाम का पता चलता है. स्पाई म्यूजिम के रिसर्च हेड नेरिंग कहते हैं, "अगर एक बार में इतने लोगों का नकाब उतर जाए और उन्हें एक साथ निष्कासित कर दिया जाए तो इससे पता चलता है कि आपको अपने विरोधी के कामकाज करने का अंदरूनी तरीका पता चल चुका है." अब रूस को इन सभी देशों में बिल्कुल नए सिरे से जासूसी स्टाफ तैनात करना होगा और नई तकनीक का सहारा लेना होगा.
एक दूसरे की जासूसी के साझा समझौते के बावजूद दूसरे देशों में किसी की हत्या करना स्वीकार नहीं किया जाता. रूस ने सेरगई स्क्रिपाल और उनकी बेटी को जहर देकर यह लाइन लांघ दी. एंथनी ग्लीस कहते हैं, रूसी खुफिया एजेंसी हाल के सालों में बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है, "रूस कम्युनिज्म से दूर जा चुका है लेकिन उसने इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी कम्युनिटी जैसे विचारों को दूर नहीं किया है. केजीबी के पूर्व जासूस रह चुके हैं पुतिन अपने और रूस के हितों को बचाने के लिए सब कुछ कर रहे हैं."
रूसी एजेंटों को वापस भेजकर नाटो के सदस्य देशों ने यह संदेश दिया है कि मॉस्को ने जासूसी की दुनिया का अनकहा "जेंटलमैंस एंग्रीमेंट" तोड़ा है.
व्लादिमीर पुतिन के अलग अलग चेहरे
फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2016 के सबसे ताकतवर इंसान हैं. उनके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप हैं. आइए, देखते पुतिन की शख्सियत के अलग-अलग पहलू.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
केजीबी से क्रेमलिन तक
पुतिन 1975 में सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में शामिल हुए थे. 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर नियुक्त किया गया. यह विदेश में उनकी पहली तैनाती थी. बर्लिन की दीवार गिरने के बाद वह वापस रूस चले गए. बाद में वे येल्त्सिन की सरकार में शामिल हो गए. बोरिस येल्त्सिन ने घोषणा की कि पुतिन उनके उत्तराधिकारी होंगे और उन्हें रूस का प्रधानमंत्री बनाया गया.
तस्वीर: picture alliance/dpa/M.Klimentyev
पहली बार राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के समय पुतिन आम लोगों के लिए एक अनजान चेहरा थे. लेकिन अगस्त 1999 में सब बदल गया जब चेचन्या के कुछ हथियारबंद लोगों ने रूस के दागेस्तान इलाके पर हमला किया. राष्ट्रपति येल्त्सिन ने पुतिन को काम सौंपा कि चेचन्या को वापस केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में लाया जाए. नए साल की पूर्व संध्या पर येल्त्सिन ने अचानक इस्तीफे का ऐलान किया और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया.
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दमदार व्यक्तित्व
मीडिया में पुतिन की अकसर ऐसी तस्वीरें छपती रहती हैं जो उन्हें एक दमदार व्यक्तित्व का धनी दिखाती हैं. उनकी यह तस्वीर सोची में एक नुमाइशी हॉकी मैच की है जिसमें पुतिन की टीम 18-6 से जीती. राष्ट्रपति ने आठ गोल किए.
तस्वीर: picture-alliance/AP/A. Nikolsky
बोलने पर बंदिशें
रूस में एक विपक्षी रैली में एक व्यक्ति ने मुंह पर पुतिन के नाम की टेप लगा रखी है. 2013 में क्रेमलिन ने घोषणा की कि सरकारी समाचार एजेंसी रियो नोवोस्ती को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाएगा. उसका नेतृत्व एक क्रेमलिन समर्थक अधिकारी को सौंपा गया जो अपने पश्चिम विरोधी ख्यालों के लिए मशहूर था. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर नाम की संस्था प्रेस आजादी के मामले में रूस को 178 देशों में 148वें पायदान पर रखती है.
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पुतिन की छवि
पुतिन को कदम उठाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है. केजीबी का पूर्व सदस्य होना भी इसमें मददगार होता है. इस छवि को बनाए रखने के लिए अकसर कई फोटो भी जारी होते हैं. इन तस्वीरों में कभी उन्हें बिना कमीज घोड़े पर बैठा दिखाया जाता है तो कभी जूडो में अपने प्रतिद्वंद्वी को पकटते हुए. रूस में पुतिन को देश में स्थिरता लाने का श्रेय दिया जाता है जबकि कई लोग उन पर निरंकुश होने का आरोप लगाते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Nikoskyi
सवालों में लोकतंत्र
जब राष्ट्रपति पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी ने 2007 के चुनावों में भारी जीत दर्ज की तो आलोचकों ने धांधली के आरोप लगाए. प्रदर्शन हुए, दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया और पुतिन पर लोकतंत्र को दबाने के आरोप लगे. इस पोस्टर में लिखा है, “आपका शुक्रिया, नहीं.”
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y.Kadobnov
खतरों के खिलाड़ी
काले सागर में एक पनडुब्बी की खिड़की से झांकते हुए पुतिन. क्रीमिया के सेवास्तोपोल में ली गई यह तस्वीर यूक्रेन से अलग कर रूस में मिलाए गए इस हिस्से पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन का पूरी तरह नियंत्रण होने का भी प्रतीक है.