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अपने अपने रुख पर अड़ी कांग्रेस और डीएमके

७ मार्च २०११

समाजवादी पार्टी के सहयोगी रुख से कांग्रेस आश्वस्त दिख रही है. तभी तो सीटों के बंटवारे पर टूटे कांग्रेस और डीएमके के गठबंधन को बचाने के लिए ज्यादा दौड़ धूप नहीं हो रही है. डीएमके भी अपने रुख पर कायम है.

तस्वीर: UNI

चेन्नई और दिल्ली में डीएमके और कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अपने रुख से पीछे हटने की पहल नहीं करेंगे. अब चाहे यूपीए से हटने के डीएमके के फैसले की आने वाले चुनावों में उन्हें कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े. अप्रैल में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस और डीएमके का गठबंधन टूट गया.

डीएमके संसदीय दल के नेता टीआर बालू ने कहा है कि उनकी पार्टी के छह मंत्री प्रधानमंत्री से मिल कर अपने इस्तीफे सौंप देंगे. इनमें से दो कैबिनेट स्तर के मंत्री हैं. उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से डीएमके हाई कमान से कोई संपर्क नहीं किया गया है. डीएमके के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि वे पीएमके के साथ ही चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. दूसरी छोटी पार्टियों के साथ भी सीटों का बंटवारा हो चुका है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन बचने की कोई संभावना नहीं दिखती. डीएमके अब अपने इस बात को भी नहीं दोहरा रही है कि अगर कांग्रेस की मांग 60 सीटों तक सीमित रहे और वह अपनी मर्जी से सीटें चुनने की जिद छोड़ दे तो बात बन सकती है.

तस्वीर: AP

हम क्यों पीछे हटें
नई दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व भी डीएमके के साथ गंठबंधन को टूटने से बचाने के लिए ज्यादा हाथ पैर नहीं मार रहा है. एक सूत्र ने बताया, "गतिरोध को तोड़ने के लिए हमारी तरफ से पहले कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. हम मंत्रिमंडल से अपने सदस्यों को हटाने के डीएमके के फैसले के लिए तैयार हैं." सूत्रों ने इन खबरों को भी खारिज किया है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रणव मुखर्जी या फिर गुलाम नबी आजाद को डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि से बात करने के लिए चेन्नई भेजा जा रहा है. पार्टी के भीतर जयललिता की एआईएडीएमके के साथ गठबंधन की संभावनाओं को भी बहुत सीमित माना जा रहा है क्योंकि एक तो वक्त बहुत कम बचा है और दूसरे जयललिता का साथ निभाना आसान नहीं होता है.

तमिलनाडु में 234 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए डीएमके कांग्रेस को 60 सीटों देने को राजी थी और खुद 122 सीटों पर चुनाव लड़ने का उसका इरादा था. डीएमके ने 50 सीटें पहले ही पीएमके और दूसरी पार्टियों को दे दी हैं. लोकसभा में डीएमके के 18 सांसद हैं और कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बाद वह यूपीए गठबंधन में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी रही है.

सहयोगी समाजवादी पार्टी

वैसे यूपीए को किसी तरह का खतरा नजर नहीं आता है. खासकर समाजवादी पार्टी भी इस बात का भरोसा दिला रही है. पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव का कहना है, "सरकार को कोई खतरा नहीं है. वह अल्पमत में नहीं है. समाजवादी पार्टी ने सरकार को समर्थन दिया है और देती रहेगी." जब उनसे पूछा गया कि क्या समाजवादी पार्टी सरकार में शामिल होगी तो उन्होंने कहा कि यह सिर्फ अटकलें हैं. उनके मुताबिक, "समाजवादी पार्टी के सरकार में शामिल होने की कोई बात नहीं चल रही है."

मुलायम सिंह सीटों के बंटवारे पर डीएमके और कांग्रेस के बीच तनाव को बड़ी बात नहीं मानते. उन्होंने कहा, "कांग्रेस और डीएमके के नेताओं को बीच बातचीत हो रही है. असल में कांग्रेस नेता वहां पहुंच चुके हैं और बात हो रही है. सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद हैं लेकिन इस बारे में कोशिशें चल रही हैं. यह बात भी देखनी होगी कि क्या डीएमके के मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार किए जाते हैं. गठबंधन में ऐसी बातें होती हैं."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एन रंजन

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