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"अपने जलवे, सौंदर्य और फैशन से मोह लिया"

१ अगस्त २०११

पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर का जलवा और भारत पाक शांति वार्ताएं इस सप्ताह जर्मन मीडिया की सुर्खियों में रही, लेकिन पाकिस्तान में भयानक बाढ़ के एक साल बाद की स्थिति पर भी काफी लिखा गया है.

तस्वीर: AP

बर्लिन से प्रकाशित दैनिक डेयर टागेसश्पीगेल ने लिखा है कि हिना रब्बानी खर अपने देश की पहली महिला विदेश मंत्री हैं, अब उन्हें इस्लामाबाद की छवि निखारनी है. अखबार लिखता है

वह आई, देखा, और धुर दुश्मन को अपने जलवे, सौंदर्य और फैशन की समझ से मोह लिया. पाकिस्तान को एक नया खुफिया हथियार मिल गया है, उसका नाम हिना रब्बानी खर है, 34 साल उम्र और इस्लामी देश के इतिहास में पहली विदेश मंत्री.

अखबार ने हिना खर के भारत दौरे पर लिखा है

हालांकि नवोदित खर और पुराने घाघ कृष्णा, जिन्हें विशेष रूप से सिलवाए सूट पसंद हैं, कैमरा के सामने हाथ मिलाते हुए बाप बेटी जैसे दिख रहे थे. लेकिन युवा मंत्री ने बहादुरी दिखाई. उन्होंने न सिर्फ अपनी पोशाक के चुनाव से प्रभावित किया बल्कि आत्मविश्वास भरे व्यवहार से भी. उन्होंने घोषणा की, "ये एक नए काल की शुरुआत हैं"

तस्वीर: AP

नौए ज्यूरिषर त्साइटुंग ने विदेश मंत्रियों की भेंट पर लिखा है कि दोनों पक्षों के बीच कश्मीर मुद्दे पर नजदीकी आई है.

भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री दिल्ली में अपनी भेंट में रियायतों पर सहमत रहे हैं जो कश्मीर विवाद को नरम करने में मददगार हो सकते हैं. भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा और पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर दूसरी बातों के अलावा इस पर सहमत रहे कि कश्मीर के दोनों हिस्सों में व्यापार को बढ़ाया जाए. इसके अलावा विभाजित इलाके में रहने वाले लोग एक दूसरे इलाके में आसानी से जा सकेंगे.

फ्रांकफुर्टर अल्गेमाइने त्साइटुंग ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री की नियुक्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा है

नियुक्ति को एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत नहीं समझा जाना चाहिए.खर, भुट्टो और देश के दूसरे राजनीतिज्ञों की ही तरह धनी जमींदार परिवार से आती हैं, जो लोकतंत्र के वेश में छुपी सामंती व्यवस्था का राजनीतिक नियंत्रण करते हैं.

तस्वीर: AP

वामपंथी दैनिक टागेसत्साइटुंग ने हिना खर के भारत दौरे को परंपरागत रूप से दुश्मन देश में पहला बड़ा प्रदर्शन बताया है. अखबार लिखता है

खर की नियुक्ति पाकिस्तान सरकार की शातिर शतरंजी चाल है. खर का आकर्षण और उनकी उम्र इस्लामी मुल्क को एक नरम छवि देने में मदद दे सकता है. औपचारिक रूप से वहअपने नए काम के लिए बहुत कम योग्यता लाती हैं. लेकिन महत्वपूर्ण बातों में पहले ही की तरह सेना फैसले लेती है. खर इसमें शायद ही कुछ बदल पाएंगी.

बर्लिनर त्साइटुंग ने हिना खर को कुरूप देश का सुंदर चेहरा बताते हुए कहा है कि विश्व की सबसे युवा विदेश मंत्री के लिए कुछ भी ऐसा नहीं जो हासिल नहीं किया जा सके.

लेकिन क्या भारत की सीमा पर स्थित पंजाब के दक्षिणी हिस्से की नेता दोनों परमाणु सत्ताओं के ठहरे हुए संबंधों में ताजी हवा का झोंका ला पाएंगी , यह संदेहपूर्ण हैं. क्योंकि विदेश और सुरक्षा नीति के महत्वपूर्ण तत्व सेना के जनरलों और ताकतवर नौकरशाही द्वारा तय किए जाते हैं.

पाकिस्तान के एक भूतपूर्व राजनयिक ने नेताओं के बारे में कहा था कि उनकी दिलचस्पी सिर्फ सत्ता में होती है, उनमें सामरिक सोच का अभाव होता है.

तस्वीर: DW

हिना रब्बानी खर के भारत दौरे के बाद अब पाकिस्तान में आई भयानक बाढ़ का एक साल. दैनिक टागेसश्पीगेल लिखता है कि पाकिस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी तबाही ने देश में सामाजिक विरोधाभास और बढ़ा दिया है.

अभी भी लाखों लोग अस्थाई शिविरों में रह रहे हैं, बड़े परिवार तंबुओं में एक साथ रह रहे हैं. कुछ अपने गांवों को लौट गए हैं लेकिन मलबे और खंडहर के बीच खुले आसमान के नीचे जी रहे हैं. 15 लाख इमारतें पानी में नष्ट हो गई हैं. सवा करोड़ लोग फिर से रोजी रोटी कमाने की कोशिश कर रहे हैं.

आर्थिक दैनिक हांडेल्सब्लाट लिखता है कि वैश्वीकरण फिर चोट कर रहा है. कोका कोला, नेसकैफे, नीविया और पैरसील जैसे पश्चिमी उत्पादों को ब्राजील, भारत, चीन और रूस के स्थानीय बड़े उद्यमों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है. अखबार लिखता है

लंबे समय तक वैश्वीकरण एक ही दिशा जानता था. पश्चिमी उपभोक्ता वस्तुओं का विकासशील देशों में विजय अभियान न रोका जा सकने वाला लगता था. लेकिन दशकों की रुझान उलट रहा है. कंसल्टेंसी कंपनी ओसी एंड सी की एक अप्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार विश्व की चोटी की 50 कंपनियां बाजार में अपना हिस्सा खो रही हैं, और वह भी उन्हीं राष्ट्रीय कंपनियों के हाथों जिन्हें अर्थशास्त्री रोबर्ट राइष के अनुसार बचना ही नहीं चाहिए था.

संकलन: महेश झा

संपादन: आभा एम

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