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अपहरण के 5 साल बाद बुरे सपने, अपराधबोध और सम्मान

१२ अप्रैल २०१९

कम लोगों को ही याद होगा कि इस्लामी कट्टरपंथी संगठन बोको हराम ने पांच साल पहले करीब 250 लड़कियों को अगवा कर लिया था. इस बीच रिहा हो गई चिबॉक लड़कियां अपने 100 लापता साथियों की याद में अपराधबोध से ग्रसित हैं.

Stephanie Sinclair - Gewinnerin des Anja Niedringhauspreis 2017
तस्वीर: IWMF/Stephanie Sinclair

जिहादी संगठन बोको हराम के लड़ाकों ने 14 अप्रैल 2014 को पूर्वोत्तर नाइजीरिया के एक स्कूल से 276 लड़कियों का अपहरण कर लिया था. ये इस कट्टरपंथी संगठन की सबसे बड़ी कार्रवाई थी और उसके बाद दुनिया भर में सोशल मीडिया पर #BringBackOurGirls अभियान शुरू हो गया था. अपहरण की पांचवी वर्षगांठ पर भूतपूर्व बंधक जिंदगी की त्रासदी झेल रही हैं तो दुनिया ने उस घटना को भुला दिया है. योला में रहने वाली पूर्व बंधक मार्गरेट यामा कहती है, "कई बार मुझे उनकी याद में रातों को नींद नहीं आती. कभी कभी वे मेरे सपनों में आती हैं. ये बहुत दर्दनाक अनुभव है."

22 वर्षीया मार्गरेट उन 107 चिबॉक लड़कियों में शामिल है जो या तो मिली थीं, या सेना ने उन्हें बचाया था, या उन्हें सरकार और बोको हराम के बीच हुई वार्ता के बाद रिहा किया गया था. राष्ट्रपति मुहम्मदु बुहारी ने बोको हराम को खत्म करने को 2015 में अपने चुनाव अभियान का मुद्दा बनाया था और कहा था कि वे अपहृत लड़कियों को छुड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. लेकिन उनकी सरकार एक दशक से चले आ रहे विद्रोह को दबाने में विफल रही. बोको हराम के लड़ाके 2009 से सरकारी सुरक्षाकर्मियों पर हमले कर रहे थे. चुनाव से पहले इसमें तेजी आई थी. बुहारी चुनाव जीतने में कामयाब रहे. राष्ट्रपति के प्रवक्ता गरबा शेहू ने कहा, "सिर्फ चिबॉक लड़कियां ही नहीं सभी बंधकों को छुड़ाने के लिए प्रयासों को बढ़ाया जाएगा."

बंधक चिबॉक लड़कियों की वापसीतस्वीर: picture alliance/dpa/AP/unday Aghaeze/Nigeria State House

काउंसलिंग से मदद

यामा उन युवा लड़कियों में शामिल है जिन्हें सरकार ने योला में अमेरिकिन यूनिवर्सिटी ऑफ नाइजीरिया में विशेष सुधार कोर्स में भाग लेने भेजा है. हालांकि उसे कई महीनों की काउंसलिंग मिली और पुराने अनुभवों से निबटने के लिए चिकित्सीय देखभाल भी की गई, लेकिन अपनी उन साथियों की याद कर वह अभी भी उदास हो जाती है जो बोको हराम के समबिसा जंगल कैंप में हैं. उनमें से कई की तो सांप काटने, गर्भ या बीमारी से मौत हो गई. यामा बताती है, "मैं सोचती रहती हूं कि अब उन्हें कैसा लग रहा होगा, खासकर बरसात में क्योंकि वहां न तो तंबू है, न कमरे, न चटाई और बिस्तर की तो बात ही छोड़िए?"

कुछ चिबॉक लड़कियों ने तो घर लौटने से ही मना कर दिया था जब मध्यस्थों ने 2017 में दूसरे जत्थे को छुड़वाया था. उसके बाद ये आशंका पैदा हुई थी कि या तो उन्हें कट्टरपंथी बना दिया गया है या वे डर और शर्म का अनुभव कर रहे हैं. लापता लड़कियों के रिश्तेदार अक्सर घर वापस लौटी लड़कियों से अपनी बेटियों के बारे में पूछते हैं. अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ रही 22 वर्षीया हनातु स्टेफेंस बताती है, "हमें पता नहीं कि उन्हें कैसे बताएं वे मर चुकी हैं." जंगल में कट्टरपंथियों के ठिकानों पर सेना की बमबारी में स्टेफेंस का पांव चला गया था और उसकी कुछ साथी भी मारी गई थी.

लापता लड़की की तस्वीर के साथ मांतस्वीर: Thomson Reuters Foundation/O. Okakpu

कॉलेज से सम्मान

अमेरिका में कम्युनिटी कॉलेज में पढ़ने वाली 21 वर्षीया काउना बिटरुस का कहना है कि जब वह क्लास में होती है तो कभी कभी उसे उदासी घेर लेती है. वह सपना देखने लगती है कि उसकी लापता दोस्त उसके साथ क्लास में हो सकती थी. बिटरुस उन 57 लड़कियों में थी जो उस ट्रक से कूद कर भाग गई थीं जिस पर बोको हराम के लड़ाके चिबॉक लड़कियों को लेकर जा रहे थे. उसे अभी भी याद है कि किस तरह उसने ट्रक से कूदने का फैसला करने से पहले लड़कियों का हाथ पकड़ रखा था. उसके बाद की रात उन्होंने जंगल में भागते और छुपते बिताई. "हमने फैसला किया कि उनके साथ जाने से बेहतर है जंगल में मर जाना."

अपहरण के अनुभव के बाद बिटरुस को डर था कि वह पढ़ाई का बोझ सहन नहीं कर पाएगी. लेकिन जब पहले सेमेस्टर में उसके अच्छे स्कोर आए तो उसे भी हैरानी हुई. अब अपहरण की पांचवी वर्षगांठ पर कॉलेज एक स्पेशल डिनर के साथ उसका सम्मान करने जा रहा है, अगेंस्ट ऑल ऑड्स अवार्ड देकर. बिटरुस कहती है, "मैं सोचती हूं कि मेरी स्कूल की साथी मेरे साथ यहां होतीं ताकि उन्हें भी वही शिक्षा मिलती जो मुझे मिल रही है. मुझे बुरा लगता है कि वे वापस नहीं आ पाईं."

एमजे/एके (रॉयटर्स थॉमसन फाउंडेशन)

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