अफगानिस्तान: विश्वकप का सपना
१७ सितम्बर २०१४अफगानिस्तान फुटबॉल फेडरेशन के महासचिव सैयद अली अगाजादा के मुताबिक. "यह लगभग असंभव जैसा सपना है, लेकिन हमारा सपना है कि अफगानिस्तान, एक एशियाई देश आठ साल में कतर विश्व कप में शामिल हो. हम हो सकता है कि इसे मुमकिन न कर पाए, लेकिन सच्चाई ये है कि हम इस पर बात कर रहे हैं, इससे यह साबित होता है कि हम कम समय में कितनी दूरी तय कर पाए हैं. भले ही हम फाइनल में जगह बनाने में विफल हो, फिर भी विश्व कप के क्वालीफाइंग में भाग लेना और यह देखना कि हमारे खेल का विकास और तकनीकी विकास हो रहा है, यह बड़ी सफलता होगी, ऐसे देश में जहां वास्तव में फुटबॉल की मौत हो चुकी है."
लंबे चले युद्ध के बाद एक बार फिर अफगानिस्तान में फुटबॉल जिंदा हो रहा है. अफगानिस्तान में करीब 30 साल तक फुटबॉल का कोई आयोजन नहीं हुआ और राष्ट्रीय टीम ने 1984 से 2002 तक कोई मैच नहीं खेला.
अब अफगानिस्तान में अंतरराज्यीय चैंपियनशिप हो रहे हैं जिनमें देश के सभी 34 प्रांत हिस्सा लेते हैं. इसके अलावा सीजन के आखिर में आठ टीमों का टूर्नामेंट होता है जो 45 दिनों तक चलता है. इन मैचों को देखने के लिए गाजी और काबुल के स्टेडियमों में भारी संख्या में लोग आते हैं. 2011 में जब टूर्नामेंट की शुरुआत हुई तो इन आठ टीमों को बड़े ही अनोखे ढंग से तैयार किया गया. इंग्लिश प्रीमियर लीग के अंतरराष्ट्रीय डेवलेपमेंट मैनेजर केट हॉजकिन्सन इस प्रक्रिया को समझाते हैं, "पहले सीजन में टीवी ब्रॉडकास्टर ने एक ऐसा टीवी शो तैयार किया जिसमें लोगों से पूछा गया कि हर टीम में किस खिलाड़ी को जगह मिलनी चाहिए. इस तरह से आम लोगों की रूचि बढ़ी और वह लोकप्रिय हो गया."
अफगानिस्तान में तेजी से फुटबॉल की दुनिया बदल रही है पिछले साल उसने दक्षिण एशियाई फुटबॉल फेडरेशन चैंपियनशिप जीती. 2011 में वह इस कप का उपविजेता था. अगाजदा बताते हैं, "तालिबान द्वारा सब कुछ तबाह करने के पहले अफगानिस्तान में फुटबॉल का लंबा इतिहास था. 1922 में फुटबॉल एसोसिएशन का गठन हुआ. हम 1948 में फीफा में शामिल हुए और उसी साल लंदन ओलंपिक्स में हिस्सा लिया. अब उसे दोबारा तैयार किया जा रहा है और खास बात ये है कि क्रिकेट भी दोबारा जिंदा हो रहा है. यह देश के सामान्य होने का हिस्सा है और आखिर में चीजें सही दिशा में जा रही हैं."
एए/एएम (रॉयटर्स)