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अफगानिस्तान के लिए 16 अरब डॉलर

८ जुलाई २०१२

2014 में अफगानिस्तान से नाटो सैनिकों के लौटने के बाद के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान को लिए 16 अरब डॉलर देने का वादा किया है, लेकिन यह मदद बिना शर्तों की नहीं होगी. टोक्यो में मिले दुनिया के नेता.

तस्वीर: Reuters

जापान की राजधानी में हो रही बैठक नाटो के लौटने के बाद "बदलाव के दशक" पर ध्यान दे रही है. बैठक में अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून और अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन सहित भारत, पाकिस्तान और कई देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. बान की मून ने सम्मेलन में हिस्सा ले रहे नेताओं से कहा कि अफगानिस्तान में विकास और सुरक्षा बेहतर तो हुए हैं लेकिन अब भी प्रगति बहुत नाजुक तरीके से आगे बढ़ रही है, "शासन, इंसाफ, मानवाधिकार, रोजगार और सामाजिक विकास में निवेश न होने के कारण पिछले 10 साल में जो कुर्बानियां दी गई हैं, वो सब बेकार हो जाएंगी." इस दौरान अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में सड़क के किनारे एक बम फटने से 14 लोग मारे गए हैं.

रविवार की बैठक में अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान को एक स्थिर अर्थव्यवस्था बनाने के बारे में बातचीत करेंगे. बान ने कहा, "हम अफगानिस्तान के इतिहास में एक मुश्किल पड़ाव पर हैं जहां देश की संस्थाएं अंतरराष्ट्रीय मदद पर अपनी निर्भरता से हटकर अपने को कायम कर सकें और एक सामान्य देश की तरह अफगानिस्तान अपने साझेदारों के साथ संबंध बना सके." बैठक से पहले शनिवार को अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा था कि अफगानिस्तान में सिर्फ लड़ाई न होने से देश की सुरक्षा को आंका नहीं जा सकता है. देश में नौकरियां पैदा करनी होगी और वहां आर्थिक मौके भी लाने होंगे.

अफगान राष्ट्रपति करजई के मुताबिक अफगानिस्तान में लोग अब भी आतंकवाद और उग्रवाद के अलावा कई खतरों का सामना करते हैं. उनके देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है वहां रह रहे लोगों को अत्मनिर्भर बनाना.

अफगानिस्तान सरकार हर साल अपने देश पर छह अरब डॉलर खर्च करती है जिसमें सुरक्षा का खर्चा और जुड़ता है. ज्यादातर पैसा अंतरराष्ट्रीय मदद के रूप में देश में आता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को डर है कि 2014 में नाटो सैनिकों के वापस होने के बाद देश पर एक बार फिर उग्रवादियों का कहर आएगा और नशीली दवाओं की तस्करी कर रहे कबायली नेता भी अपने पैर जमाने की कोशिश करेंगे. इस सिलसिले में भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने भी कहा कि अफगानिस्तान की सुरक्षा को उसकी सीमा से बाहर आ रहे आतंकवादियों से खतरा है. भारत ने अब तक अफगानिस्तान को दो अरब डॉलर की सहायता दी है.

बदलाव शतक नाम के प्रस्ताव के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय समुदाय काबुल को भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए तैयार करना चाहती है और 2015 के बाद से देश को आर्थिक मदद देने के लिए शर्तें लाना चाहती है. इस साल शिकागो में हुए सम्मेलन में नाटो देशों के प्रमुखों ने अगले चार सालों में अफगान सुरक्षा के लिए करीब चार अरब डॉलर देने का फैसला किया. टोक्यो में अफगान विकास पर ध्यान दिया जा रहा है.

एमजी/एनआर(पीटीआई, एएफपी)

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