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अफगानिस्तान को और मदद का आश्वासन

५ दिसम्बर २०११

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने बॉन में चौथे अफगान सम्मेलन का उद्घाटन किया. इसमें 85 देशों के 1000 से अधिक प्रतिनिधियों ने 2014 में नाटो टुकड़ियों की वापसी के बाद देश के भविष्य पर चर्चा की

तस्वीर: dapd

बॉन के निकट पेटर्सबर्ग में 2001 में पहला अफगानिस्तान सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र की अध्यक्षता में हुआ था. तालिबान को कुछ ही दिन पहले सत्ता से हटाया गया था, मुल्क अव्यवस्था का शिकार था. दस साल बाद अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने बॉन के सम्मेलन की अध्यक्षता की. इसके साथ अफगानिस्तान यह दिखाना चाहता है कि वह अपना भविष्य अपने हाथों में लेने के लिए तैयार है. करजई ने अपने भाषण में मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आबार व्यक्त किया और कहा, "पिछले दस सालों में ऐसी प्रगति हुई है जो अफगानिस्तान ने अपने इतिहास में अब तक नहीं देखी."

तस्वीर: DW

अच्छी राह पर

अफगान राष्ट्रपति ने कहा कि उनके देश ने एक दम नीचे से शुरुआत की और अब अच्छी राह पर है. आर्थिक विकास और सामाजिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी को उन्होंने इसका सबूत बताया. उन्होंने कहा कि अफगान सुरक्षा बलों का प्रशिक्षण भी ठीक से चल रहा है. करजई ने कहा कि फरवरी के अंत तक देश की आधी आबादी ऐसे इलाकों में रहेगी जो अफगान सेना के नियंत्रण में होगा. "लेकिन एक स्थिर अफगानिस्तान बनाने का हमारा लक्ष्य अभी भी बहुत दूर है. सुरक्षा हमारी सबसे बड़ी चुनौती है."

अफगानिस्तान में तैनात 130,000 सैनिकों ने वहां से वापस लौटना शुरू कर दिया है. 2014 तक अंतरराष्ट्रीय आइसैफ टुकड़ी के अंतिम जंगी सैनिक देश छोड़ चुके होंगे. एक तारीख जो बहुत से आलोचकों की राय में बहुत पहले है. करजई ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय टुकड़ियों की वापसी के बाद भी देश को विदेशी मदद की जरूरत होगी. "हमें कम से कम और दस सालों के लिए मदद की जरूरत होगी."

तस्वीर: dapd

जर्मनी की दूरगामी मदद

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने अपने भाषण में कहा कि जर्मन लंबे समय तक अफगान सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण में मदद करता रहेगा. पिछले दस सालों में जर्मनी ने अफगानिस्तान को 1.9 अरब यूरो की विकास सहायता दी है. मैर्केल ने अफगान सरकार से मादक द्रव्यों और भ्रष्टाचार से लड़ने की अपील की. आपसी सहयोग में खामियों की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान में संरचनाओं को समझना आसान नहीं है." जर्मन चांसलर ने कहा कि अफगानिस्तान में घरेलू तालमेल जरूरी है.

तस्वीर: dapd

बॉन सम्मेलन शुरू होने से पहले इस बात की संभावना थी कि तालिबान भी राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल हो सकता है, लेकिन इस बीच फिर टकराव के संकेत हैं. तालिबान के साथ संवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे पाकिस्तान ने भी अपना कोई प्रतिनिधि नहीं भेजा है. मैर्केल ने कहा, "समस्या का हल अफगानों को खुद ही करना होगा." बॉन सम्मेलन के मुख्य संदेश को समेटते हुए चांसलर ने कहा, "अफगानिस्तान 2014 के बाद भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद पर भरोसा कर सकता है."

रिपोर्ट: नीना वैर्कहौएजर/मझा

संपादन: एन रंजन

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