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अफगानिस्तान को साढ़े 15 अरब डॉलर का वादा

अशोक कुमार १२ जून २००८

पैरिस में दानदाताओं के सम्मेलन में 67 देशों और 17 अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अफगानिस्तान को साढ़े 15 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद देने का संकल्प किया. बेशक इसमें सबसे ज्यादा 10 अरब डॉलर से ज्यादा की सहायता अमेरिका ही देगा.

अफगानी राष्ट्रपति हामिद करजई व फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सार्कोजीतस्वीर: picture-alliance/ dpa

मदद के इस संकल्प के साथ अफगानिस्तान से यह भी कहा गया है कि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने होंगे और इस अंतरराष्ट्रीय मदद में बेहतर तालमेल भी बिठाना होगा. अफगानिस्तान को मिलने वाली मदद में अमेरिका की तरफ से 10 अरब डॉलर के अलावा एशिया विकास बैंक ने एक अरब 30 करोड़, ब्रिटेन ने एक अरब 20 करोड़ और विश्व बैंक ने लगभग एक अरब 10 करोड़ डॉलर देने का वादा किया है. जर्मनी युद्ध से तबाह अफगानिस्तान को 64 करोड़ डॉलर देगा.

अफगानिस्तान में अफीम की खेती विश्व समुदाय की बड़ी चिंतातस्वीर: picture-alliance/ dpa

सम्मेलन की शुरूआत में फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सार्कोजी ने कहा कि अफगानिस्तान के लिए मदद बहुत जरूरी है क्योंकि काबुल में फिर से तालिबान और अलकायदा की वापसी किसी भी तरह स्वीकार नहीं की जा सकती.

तालिबान को सत्ता से बेदखल करने के लिए अमेरिकी हमले के तकरीबन सात साल बाद आज भी अफगानिस्तान का पिंड तालिबानी उग्रवाद ने नहीं छूटा है. अफगानिस्तान में 50 हजार से ज्यादा विदेशी सैनिक तैनात है. फिर भी वहां उग्रवादी व आत्मघाती हमलों का सिलसिला रुक नहीं रहा है. यही नहीं, नशीली दवाओं के अवैध व्यापार और जड़ तक फैले भ्रष्टाचार के शिकार अफगानिस्तान की गिनती दुनिया के सबसे गरीब देशों में होती है. एशिया मामलों की जानकार त्सीता मास कहती है कि अफगानिस्तान में मौजूद चुनौती का अब तक सही से मूल्यांकन ही नहीं हुआ है. वह कहती हैं कि किसी भी देश को सात में तो क्या पंद्रह साल में भी नहीं बदला जा सकता है. इसके लिए अफगानी मानक बदलने होंगे.

आम लोगों पर उग्रवाद और गरीबी की एक साथ मारतस्वीर: AP

सम्मेलन में मौजूद अफगानी राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा कि विकास और पुनर्निर्माण के लिए अफगानिस्तान को 50 अरब डॉलर की मदद चाहिए. उन्होंने देश के भविष्य के बारे में अपने लक्ष्य को सामने रखा. उन्होंने कहा कि हम सहिष्णु, एकजुट और बहुपक्षीय लोकतांत्रिक राष्ट्र बनेंगे जो इस्लामी विरासत का सम्मान और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करे. जहां कानून का राज हो, सबको न्याय और पूरे अधिकार मिलें.

सम्मेलन में मौजूद जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक वॉल्टर श्टाइनमायर ने कहा कि मेरे हिसाब से बिना सोचे समझे अफगानिस्तान से निकलना और बिना सोचे समझे अफगानिस्तान में रहना, दोनों ही बातें ठीक नहीं हैं. जरूरत एक ऐसी व्यापक योजना की है जिसके तहत वहां सैन्य मौजूदगी भी रहे और पुर्निर्माण का काम जारी रहे. तभी हम अफगानिस्तान के लोगों को एक आर्थिक विकास का माहौल दे पाएंगे.

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