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अफगानिस्तान में घातक हमला, 24 सुरक्षाकर्मी मारे गए

२० मार्च २०२०

अफगान सेना और पुलिस के एक संयुक्त ठिकाने पर एक हमले में कम से कम दो दर्जन अफगान सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं. हमला जाबुल प्रांत में सुरक्षाकर्मियों के ठिकाने पर सुबह होने से पहले हुआ.

Afghanistan Kabul | Anschlag auf schiitische Gedenkfeier
तस्वीर: imago images/Xinhua/A. Rahmatullah

अमेरिका और तालिबान के बीच शांति-संधि पर हस्ताक्षर होने के बावजूद अफगानिस्तान में हिंसा रुक नहीं रही है. एक ताजा मामले में शुक्रवार 20 मार्च को अफगान सुरक्षाकर्मियों के एक ठिकाने पर हुए हमले में कम से कम दो दर्जन अफगान सुरक्षाकर्मी मारे गए. हमला जाबुल प्रांत में सुरक्षाकर्मियों के ठिकाने पर हुआ. ये संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद अभी तक के सबसे घातक हमलों में से एक था.

प्रांत के गवर्नर रहमतुल्ला यारमाल के अनुसार हमला कई "घुसपैठियों" ने किया था जिन्होंने अपने ही सोए हुए साथियों पर गोलियां चला दीं. ठिकाना प्रान्त की राजधानी कलात के पास पुलिस और सेना का संयुक्त मुख्यालय था. जाबुल के प्रांतीय काउंसिल के मुखिया ने बताया कि हमले में 14 अफगान सैनिक और 10 पुलिस वाले मारे गए. उन्होंने यह भी कहा कि चार और अफगान सैनिक लापता हैं और हमलावरों के तालिबान के साथ संबंध थे. वे सेना की दो हम्वी गाड़ियां, एक पिकअप  ट्रक, हथियार और गोलियां लेकर साथ लेकर भागे. तालिबान ने अभी तक इस हमले पर कुछ नहीं कहा है.

जाबुल प्रांत पाकिस्तान की सरहद के पास स्थित है और लंबे समय से विद्रोहियों का गढ़ रहा है. तालिबान का पूर्व सर्वोच्च नेता मुल्ला उमर 2013 में मारे जाने से पहले लंबे समय तक यहीं छिपा रहा था.

तस्वीर: AFP/G. Cacace

कुछ ही दिनों पहले अफगान रक्षा मंत्री असदुल्ला खालिद ने तालिबान से अपील की थी कि वो कोरोना वायरस से लड़ने की खातिर युद्धविराम के प्रति प्रतिबद्धता दिखाए. समीक्षकों को यह डर है कि वायरस देश में चुपचाप फैल रहा है. खालिद ने यह भी कहा की अफगान सैनिकों को तालिबान विरुद्ध और भी आक्रामक "सक्रिय बचाव" रुख अपना लेना चाहिए.

तालिबान ने अमेरिका के साथ शांति-संधि पर 29 फरवरी को हस्ताक्षर किये थे, लेकिन उसने संधि के बावजूद पूरे देश में कई हमले किये हैं. अमेरिका अभी भी काबुल में अफगान नेताओं से अपील कर रहा है कि अब वे भी तालिबान से बातचीत करें. फारसी नया साल नवरोज की मुबारकबाद देते हुए तालिबान के साथ संधि कराने वाले अमेरिकी वार्ताकार जालमे खलीलजाद ने अफगान नेताओं से कहा कि वे "शांति के इस ऐतिहासिक मौके" का फायदा उठाएं और कोरोना वायरस को रोकने में तालिबान के साथ काम करें.

तालिबान और अफगान सरकार में मतभेद कैदियों की प्रस्तावित अदला-बदली को लेकर है. इसी अदला-बदली के बाद दोनों पक्षों में बातचीत शुरू होनी थी. अमेरिका-तालिबान संधि के अनुसार अफगान सरकार को 5,000 तालिबान कैदियों को रिहा करना था. लेकिन अफगान सरकार ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये थे, लिहाजा राष्ट्रपति अशरफ गनी सिर्फ 1,500 को रिहा करने पर तैयार हुए हैं. बाकी 3,500 को बातचीत शुरू होने के बाद छोड़ा जाएगा. तालिबान ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है जिसके बाद सरकार ने अभी तक एक भी कैदी को रिहा नहीं किया है.

सीके/एए (एएफपी)

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