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अफगानिस्तान में चुनावी जंग शुरू

१६ सितम्बर २०१३

मंगलवार को नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनाव का बिगुल बज गया. अमेरिकी जंग की मंद पड़ती लपटों के बीच करजई की विरासत संभालने के लिए ढेरों उम्मीदवार खम ठोकेंगे ऐसे आसार दिख रहे हैं.

तस्वीर: DW/H. Sirat

अगले साल 5 अप्रैल को होने वाला चुनाव अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता बिखरने के बाद पहला मौका होगा जब लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई नई सरकार हामिद करजई से देश की कमान अपने अपने हाथ में लेगी. राष्ट्रपति के दो कार्यकाल पूरे करने के बाद अब करजई के चुनाव लड़ने पर पाबंदी है. 13 साल की खून में डूबी अंतरराष्ट्रीय सैनिक कार्रवाइयों और अरबों डॉलरों की सहायता पाने वाले देश के लिए यह चुनाव पहली बड़ी कसौटी होंगे.

स्वतंत्र चुनाव आयोग, आईईसी के प्रवक्ता नूर मोहम्मद नूर ने बताया, "करीब 28 लोगों ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए सूचनाओं का पैकेट हासिल किया है." सभी संभावित उम्मीदवारों को आईईसी के पास 6 अक्टूबर के पहले अपना नाम दर्ज कराना होगा. सारे उम्मीदवारों के नाम की जांच के बाद इसी साल 16 नवंबर को उनकी अंतिम सूची जारी की जाएगी. सोमवार को किसी उम्मीदवार ने नाम दर्ज नहीं कराया.

तस्वीर: DW/H. Sirat

राष्ट्रपति बनने की इच्छा रखने वालों की उम्र कम से कम 40 साल होनी चाहिए, उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं होना चाहिए. कम से कम 1 लाख वोटर कार्ड देने होंगे ताकि उनके समर्थकों का पता चल सके और 10 लाख अफगानी यानी करीब 18000 डॉलर की जमानत देनी होगी. नूर मोहम्मद ने बताया कि चुनाव में कड़ी शर्तें "उम्मीदवारों की संख्या सीमित करने के लिए" लगाई गई हैं. आईईसी प्रवक्ता ने बताया कि 2009 के हंगामेदार और गड़बड़ियों की भारी शिकायत से भरे चुनाव में 40 उम्मीदवार राष्ट्रपति बनने की दौड़ में उतरे थे.

सोमवार को राष्ट्रपति हामिद करजई ने निर्वाचन शिकायत आयोग के पांच सदस्यों के नाम की भी घोषणा की जो गड़बड़ी की शिकायतों की जांच करेगा. 2009 के बाद से आयोग का ढांचा भी बदला गया है. जब यह बना था तब इसमें तीन अफगान और दो संयुक्त राष्ट्र के विदेशी प्रतिनिधि थे. बहुत से लोगों का मानना है कि आयोग ने अपनी स्वतंत्रता गंवा दी और साथ ही गड़बड़ियों को रोकने की प्रतिबद्धता भी. अफगान एनालिस्ट नेटवर्क के थॉमस रटिग का कहना है, "आयोग के ज्यादातर सदस्य राष्ट्रपति और उनके सहयोगियों से जुड़े हैं."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

तालिबान से जंग के दौर में करजई अफगानिस्तान की राजनीति पर हावी रहे हैं और उनका कोई उत्तराधिकारी वास्तव में नजर आ नहीं रहा. करजई ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की शपथ ली है और कहा है कि वो किसी उम्मीदवार की पीठ पर हाथ नहीं रखेंगे. हालांकि इन सब के बाद भी अंतरराष्ट्रीय दाता देश चुनाव पर चिंता जता रहे हैं. पिछले बार के चुनाव में महिलाओं और पख्तूनों की भागीदारी बहुत कम रही. बहुत से अफगान प्रचार अभियान और चुनाव के दौरान हिंसा की आशंका से भी डरे हुए हैं हालांकि सरकार ने भरोसा दिया है कि सुरक्षा बल लोगों की हिफाजत सुनिश्चित करेंगे.

हाल ही में करजई ने कहा कि लड़ाकों के पूर्व सरदार अब्दुल रसूल सयाफ, 2009 के उप विजेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व वित्त मंत्री अशरफ गनी प्रमुख रूप से संभावित उम्मीदवारों में हैं. अफगानिस्तान के विदेश मंत्री जलमई रसूल को भी करजई खेमे से उम्मीदवार माना जा रहा है. इसके अलावा राष्ट्रपति के भाई कयूम करजई और पूर्व गृह मंत्री अली मोहम्मद जलाली भी प्रमुख संभावितों में हैं.

चुनावी साल में ही अफगानिस्तान से नाटो की 87000 युद्धक सेना भी अपना खेमा उखाड़ रही है. सुरक्षा की कमान अफगान सैनिकों और पुलिस पर आ जाएगी, साथ ही तालिबान से जंग की जिम्मेदारी भी.

एनआर/एएम (एएफपी)

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