अफगानिस्तान में पटरी पर दौड़ी पहली ट्रेन
२१ दिसम्बर २०११
अफगानिस्तान सरकार अपनी खानों से खनिज निकालने के लिए विदेशी कंपनियों को लुबाने की कोशिश कर रही है. उसके खनिज स्रोतों को 3 अरब डॉलर का बताया जा रहा है. लेकिन खनन के क्षेत्र में विदेशी निवेश की राह में सबसे बड़ी बाधा समुद्र से कटे देश से सामान को ढोने के लिए रेल संपर्क का अभाव है. इसकी वजह से खाद्य सामग्री और तेल लाने के लिए अफगानिस्तान पूरी तरह अपने पड़ोसी पाकिस्तान पर निर्भर हो गया है. लेकिन ओर जारी आतंकवाद के कारण दोनों देशों के संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहते हैं.
रेल नेटवर्क की बड़ी योजना
परिवहन के नए विकल्पों की तलाश में अफगानिस्तान ने रेल नेटवर्क बनाने की महात्वाकांक्षी योजना बनाई है ताकि देश में हथियारबंद विद्रोह के बावजूद क्षेत्रीय कारोबार को बढ़ाया जा सके. मजारे शरीफ से उज्बेक सीमा तक की रेल लाइन अफगानिस्तान में तैनात विदेशी सेनाओं के लिए उत्तरी सप्लाई मार्ग को बेहतर बना सकती है और पाकिस्तान पर निर्भरता कम कर सकती है. पाकिस्तान ने पिछले महीने नाटो के एक हमले में दो दर्जन सैनिकों के मरने के बाद अफगानिस्तान में तैनात नाटो सैनिकों के लिए आपूर्ति का रास्ता बंद कर दिया है.
वाशिंगटन में जॉन होपकिंस संस्थान के फ्रेड स्टार कहते हैं कि मजार हेरातान रेल लाइन अगले साल अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी का मुख्य रास्ता और बाद में पड़ोसी देशों के लिए अफगानी मालों के निर्यात का दरवाजा बन सकता है.
सार्वजनिक निर्माण उपमंत्री नूर गुल मंगल ने कहा कि रेल लाइन बिछने के लगभग एक साल बाद ट्रेन ने मजारे शरीफ से हेरातान तक की 75 किलोमीटर की दूरी तय की. यह सफर रेल लाइन और सिग्नल के परीक्षण के लिए था और अधिकारियों ने इसे राष्ट्रपति हामिद करजई के हाथों उद्घाटन के लिए फिट घोषित कर दिया है. मंगल ने कहा, "यह हमारे लिए गर्व की और अफगानिस्तान के लिए बहुत महत्वपूर्ण बात है." अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के विपरीत जहां औपनिवेशिक सत्ताओं ब्रिटेन और सोवियत संघ ने बड़ी रेल परियोजनाएं बनाई अफगानिस्तान के नेताओं ने सौ साल पहले रेल युग लाए जाने का विरोध किया. पिछले साल ही उज्बेक रेल के साथ जोड़ने के लिए उसकी पहली रेल लाइन को बिछाया गया.
तुर्कमेनिस्तान भी जुड़ेगा
नूर गुल मंगल ने कहा है कि वे इस सप्ताह तुर्कमेनिस्तान के अधिकारियों के साथ रेल परियोजना के दूसरे चरण के बारे में बातचीत करेंगे जिसके तहत मजारे शरीफ को तुर्कमेनिस्तान की सीमा पर स्थित अंदखोई के साथ जोड़ा जाएगा. इस रेल लाइन के बनने से दो साल में कैस्पियन सागर का रास्ता खुल जाएगा.
अफगानिस्तान रेल परियोजनाओं के साथ चीन और भारत के उभरते बाजार के करीब क्षेत्रीय बाजार की अपनी हैसियत को मजबूत करना चाहता है. लेकिन 2014 में पश्चिमी सेनाओं की वापसी से पहले बिगड़ते सुरक्षा माहौल में यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल साबित हो सकता है. प्रेक्षकों का कहना है कि सरकार कमजोर और भ्रष्ट बनी हुई है और लाखों डॉलर की विदेशी मदद ने बहुत कम नतीजे दिए हैं, और उत्तर सहित सारे देश में हिंसा जारी है. इसी वजह से रेल लाइन की सुरक्षा को भी खतरा बना रहेगा.
तीन साल पहले साल तक अफगानिस्तान को गैर सैनिक मालों की 90 फीसदी आपूर्ति पाकिस्तान के कराची के रास्ते से होती थी. इस बीच अफगानिस्तान जाने वाला 75 फीसदी सामान उत्तरी नेटवर्क होकर जाता है. नई रेल लाइन के बनने से हेरातान का पोर्ट 10 गुना अधिक माल की ढुलाई कर पाएगा. इस समय के 4000 टन प्रति महीने के मुकाबले वह 25 से 40 हजार टन माल मजारे शरीफ तक पहुंचा पाएगा जिसे बाद में देश के दूसरे शहरों में सड़क से भेजा जा सकेगा.
रिपोर्ट: रॉयटर्स, एपी/महेश झा
संपादन: एन रंजन