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अफगानिस्तान में फुटबॉल से शांति

२० सितम्बर २०१२

बम धमाके और गोलीबारी के बीच शांति और सद्भाव की भी कोशिश हो रही है. हिंसा और युद्ध से जर्जर हो चुके भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में बहुत कुछ ऐसा भी हो रहा है जिससे उम्मीद बंधती है.

तस्वीर: AP

बम धमाके और गोलीबारी के बीच शांति और सद्भाव की भी कोशिश हो रही है. हिंसा और युद्ध से जर्जर हो चुके भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में बहुत कुछ ऐसा भी हो रहा है जिससे उम्मीद बंधती है.

हाल ही में बना फुटबॉल लीग ऐसा ही कदम है. राजधानी काबुल में अफगान फुटबॉल लीग के मैच खेले जा रहे हैं. टेलीविजन पर सीधा प्रसारण भी हो रहा है. खास बात ये कि लीग के गठन की पूरी प्रक्रिया को एक रिएलिटी शो के जरिए लोगों को दिखाया गया. इसमें शामिल हुए खिलाड़ियों को टास्क दिए गए और दर्शकों की राय मांगी गई. हर एपिसोड के हिसाब से दर्शकों को 30 में से 18 खिलाड़ियों को चुनने के लिए कहा गया. बाद में अफगान फुटबॉल टीम के पूर्व खिलाड़ियों और कोच की एक चयन समिति ने अंतिम रूप से खिलाड़ियों का चयन किया.

तस्वीर: AP

80 के दशक तक अफगानिस्तान में फुटबॉल काफी लोकप्रिय था. अब लीग बनने के बाद इसमें आठ टीमें हैं जबकि कुछ समय पहले तक इसमें केवल काबुल की ही टीम थी.

शो के प्रसारण के दौरान खिलाड़ियों के चयन के बारे में दर्शकों की भी राय ली गई. उनसे पूछा गया कि वो किस खिलाड़ी को मैदान पर देखना चाहेंगे. बेहतरीन खिलाड़ियों को अफगानिस्तान के अलग अलग क्षेत्रों के हिसाब से आठ टीमों में बांट दिया गया. फुटबॉल लीग की सबसे बड़ी प्रायोजक एक निजी रोशन नाम की टेलीकॉम कंपनी है. प्रायोजकों में अफगान इंरटरनेशनल बैंक और खेल का सामान बनाने वाली कंपनी हमेल भी शामिल है.

तस्वीर: AP

लीग के कमिश्नर शफीक गवाहिरी का कहना है, "आयोजकों का मुख्य मकसद है देश में फुटबॉल को मजबूत करना और फुटबॉल का विकास करना. दूसरा हम खेलों के जरिए राष्ट्रीय एकता और शांति की स्थापना भी करना चाहते हैं." उनका कहना है, "लीग से अफगानिस्तान के युवाओं को बेहतर जिंदगी का सपना मिलेगा. देश की करीब 65 प्रतिशत आबादी 25 साल से कम है. हमारी कोशिश है कि फुटबॉल के जरिए हम उन्हें अच्छी और शांत जिंदगी दे सकें."

लीग के पहले मैच में करीब 5,000 दर्शक पहुंचे, जिसमें दक्षिणी प्रांत की टीम दा मैवंद अतालान ने काबुल की शाहीन ए आसमायी को 3-1 से हरा दिया. मुहम्मद अशरफ नाम के एक पहलवान का कहना है, "हम लोग अपने देश के खिलाड़ियों और खेल परंपरा पर गर्व कर सकते हैं. पिछले 10 सालों में यहां खेल का काफी विकास हुआ है. हमारे खिलाड़ियों को जितना सम्मान मिला है उससे हमें गर्व का अनुभव होता है."

वीडी/एजेए (डीपीए)

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