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अफगानिस्तान में मारे जा रहे हैं ज्यादा बच्चे

१० अगस्त २०१०

अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ चल रही लड़ाई में मारे गए आम लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अब तक पिछले साल के मुकाबले 31 प्रतिशत ज्यादा लोग मारे गए हैं.

तस्वीर: picture alliance/dpa

अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के खास दूत स्टफान दे मिस्तुरा ने कहा कि लड़ाई में मारे गए बच्चों की संख्या खास तौर पर चिंताजनक है. इससे भविष्य पर असर पड़ सकता है. मिस्तुरा ने कहा, "हम भविष्य को लेकर चिंतित हैं. लड़ाई का असर ज्यादातर अफगान महिलाओं और बच्चों पर पड़ रहा है. पहले से कहीं ज्यादा. यह अपने घरों और आसपास के इलाकों में मौत का शिकार हो रहे हैं." इस साल जनवरी और जून के बीच 120 महिलाएं और 176 बच्चे हमलों का शिकार बने और 389 बच्चे घायल हुए.

मिस्तुरा के अनुसार हमलों और हत्या इस बात का सबूत है कि आम जनता लड़ाई का निशाना बन रही है. इस साल पहली जनवरी से लेकर 30 जून तक 1,271 आम लोग मारे गए हैं. पिछले साल से यह आंकड़ा 31 प्रतिशत ज्यादा है. इनमें से तालिबान लगभग 76 प्रतिशत लोगों की मौत का जिम्मेदार है. तालिबान और संबंधित उग्रवादी हमलों में 920 लोग मारे गए और 1,557 घायल हुए. पिछले साल से यह 56 प्रतिशत ज्यादा है. सड़क के किनारे बमों से मारे गए लोगों के अलावा पिछले साल के मुकाबले 2010 में 95 प्रतिशत लोगों की तालिबान ने हत्या की. तालिबान के हमलों में 557 लोग मारे गए.

तस्वीर: AP

रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय सेना आम लोगों को सुरक्षित रखने में कामयाब रही है. 2009 के मुकाबले इस साल 18 प्रतिशत कम लोगों ने सैन्य हमलों में अपनी जान गंवाई. अब तक अफगान और नैटो सैनिकों के हमलों में 223 लोग मारे गए और 163 घायल हुए. इसकी वजह देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी सैनिक हवाई हमलों में कमी ला रहे हैं. हालांकि रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि नैटो की अगुवाई वाली आईसैफ सेना के हवाई हमले आम जनता के लिए सबसे ज्यादा खतरा पैदा कर रहे हैं. उधर, अफगानिस्तान में नैटो कमांडर जनरल डेविड पैट्रेयस ने एक बार फिर सैनिकों को निर्देश दिए हैं कि वे तालिबान के खिलाफ हमलों में आम लोगों को हर हाल में बचाने की कोशिश करें. इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान से मांग की है कि वह आम लोगों को मारने के लिए सारे फरमान और आदेश रद्द करें.

अफगानिस्तान के एक स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग ने भी इस सिलसिले में रिपोर्ट निकाला है. हालांकि इसमें मरने वालों की संख्या संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट से ज्यादा यानी 1,325 बताई जा रही है. इस रिपोर्ट में भी कहा जा रहा है कि तालिबान 68 प्रतिशत लोगों की मौत का जिम्मेदार है. लेकिन जहां संयुक्त राष्ट्र 12 प्रतिशत मौतों को सेना की जिम्मेदारी मान रहा है, वहीं स्वतंत्र आयोग का कहना है कि अफगान और विदेशी सैनिक 23 प्रतिशत मौतों के जिम्मेदार हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादनः ए जमाल

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