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अफगानिस्तान में सफलता पर संदेह है जर्मनों को

६ अक्टूबर २०११

अफगानिस्तान युद्ध की शुरुआत के दस साल बाद जर्मनी के 70 प्रतिशत लोगों को अब अफगानिस्तान में सैनिक अभियान की सफलता पर भरोसा नहीं है. यह बात एक सर्वे में सामने आई है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

दो तिहाई (68 प्रतिशत) से ज्यादा लोगों का कहना है कि आज के नजरिए से जर्मन सेना को अफगानिस्तान में तैनात करने की अनुमति ही नहीं दी जानी चाहिए थी. जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए के लिए जनमत सर्वेक्षण कंपनी यूगोव द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार सिर्फ 23 प्रतिशत लोग सोचते हैं कि जर्मन सैनिकों को तैनात करना उचित था. यह आंकड़े जनता और संसद के बीच गहरे मतभेद को दिखाता है. जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में अफगान अभियान को भारी समर्थन है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

काम पूरा करने पर राय बंटी

50.4 प्रतिशत का छोटा बहुमत यह मानता है कि जर्मन सैनिकों को अफगानिस्तान से तभी वापस आना चाहिए जब उनका मिशन ठीक से पूरा हो जाए. 44.2 प्रतिशत लोग जर्मन सैनिकों को अफगानिस्तान से तुरंत वापस करने की मांग करते हैं तो 42 प्रतिशत अफगानिस्तान से सबक सीखना चाहते हैं और चाहते हैं कि जर्मन सैनिकों को कभी विदेशों में तैनात नहीं किया जाना चाहिए.

लोगों का बड़ा बहुमत अफगान अभियान पर सरकार की सूचना नीति से भी असंतुष्ट है. यह सर्वे 30 सितंबर से 4 अक्टूबर तक किया गया है और इसमें 16 साल से अधिक उम्र के 1045 लोगों से उनकी राय पूछी गई. सर्वे में भाग लेने वाले लोगों में से सिर्फ 12 प्रतिशत का मानना है कि सरकार ने स्थिति के बारे में सही जानकारी दी है. इसके विपरीत 78 प्रतिशत का मानना है कि उन्हें गलत सूचना दी गई.

2001 में जर्मन सैनिकों को अफगानिस्तान में तैनात करने के फैसले के बाद से बुंडेसटाग में 13 बार सैन्य अभियान पर मतदान हुआ है और उनमें 70 प्रतिशत सांसदों ने नाटो के नेतृत्व वाले आईसैफ अभियान में हिस्सेदारी का समर्थन किया है. जनवरी में हुए अंतिम मतदान में 72.5 प्रतिशत सांसदों ने तैनाती का समर्थन किया.

तस्वीर: picture alliance/dpa

कोई विदेशी अभियान नहीं

सर्वे में 42 प्रतिशत लोगों ने अफगानिस्तान के अनुभवों से सीख लेते हुए सभी विदेशी सैनिक अभियानों को ठुकरा दिया है. लोगों का यह रवैया संसद के बहुमत से एकदम अलग है जहां सिर्फ वामपंथी डी लिंके पार्टी विदेशों में जर्मन सैनिकों की तैनाती का विरोध करती है.

अमेरिका पर सितंबर 2001 में हुए आतंकी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय टुकड़ियों ने 7 अक्टूबर को अफगानिस्तान पर तब हमला किया था, जब वहां की तालिबान सरकार ओसामा बिन लादेन को सौंपने से मना कर दिया था. जर्मन सेना को आईसैफ के तहत 2002 के आरंभ में तैनात किया गया. अब तक एक लाख से अधिक जर्मन सैनिकों को अफगानिस्तान भेजा जा चुका है. इस समय वहां 5000 सैनिक तैनात हैं. अफगानिस्तान में तैनाती के दौरान 52 जर्मन सैनिकों की जान गई हैं जिनमें से 34 काम के दौरान मारे गए हैं.

रिपोर्ट: डीपीए/महेश झा

संपादन: वी कुमार

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