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अफगानिस्तान से नाटो का जाना पक्का नहीं

१९ नवम्बर २०१०

ऐसा हो सकता है कि नाटो की सेनाएं 2014 के बाद भी अफगानिस्तान में लड़ती रहें. वैसे नाटो की योजना है कि 2014 तक सारे अधिकार अफगान ताकतों को सौंप दिए जाएं. लेकिन देश में नाटो के सबसे बड़े गैर सैन्य अधिकारी ने अलग संकेत दिए.

तस्वीर: AP

नाटो संगठन की तरफ से आ रहे ताजा संकेतों का मतलब यह समझा जा रहा है कि विदेशी सेनाएं बड़ी संख्या में अफगानिस्तान में अगले दशक तक बनी रह सकती हैं. हालांकि अफगानिस्तान सरकार को सारी जिम्मेदारियां सौंपने की योजनाओं पर काम किया जा रहा है.

तस्वीर: AP

नाटो के मार्क सेडविल ने कहा कि 2014 कोई डेडलाइन नहीं है. उन्होंने कहा, "यह हमारा मकसद है. यह वास्तविक है लेकिन जरूरी नहीं कि ऐसा हो ही जाएगा."

अमेरिकी अधिकारी कह चुके हैं कि जिम्मेदारियां को अफगानों को सौंपने का काम अगले साल के आरंभ से शुरू होकर 2014 के आखिर तक खत्म कर लिया जाएगा. इस योजना को इसी हफ्ते पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में होने वाले नाटो सम्मेलन में पेश किया जाना है ताकि सदस्य देशों की मंजूरी ली जा सके.

अधिकारों के हस्तांतरण की योजना कुछ इस तरह बनाई गई है कि पहले कमोबेश ज्यादा सुरक्षित राज्यों में अफगान सैनिकों को सुरक्षा की जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी. इसके बाद धीरे धीरे अमेरिकी और अन्य नाटो सेनाओं को अफगानिस्तान से वापस निकाल लिया जाएगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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