अफगानिस्तान से 5,000 सैनिकों को वापस बुलाएगा अमेरिका
३० अगस्त २०१९
डॉनल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने की योजना बनाई है. हालांकि उनके लौटने का समय अभी तय नहीं हुआ है. यह घोषणा अमेरिका और तालिबान के बीच कतर में हो रही वार्ता के बीच की गई.
विज्ञापन
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य बलों की उपस्थिति को कम करने के लिए 5,000 से अधिक सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा की है. फॉक्स न्यूज रेडियो को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, "हम वहां केवल 8,600 सैनिक रखेंगे. इसके बाद हम आगे की स्थिति को देखते हुए फैसला लेंगे. हम वहां काफी हद तक सैनिकों की उपस्थिति को कम कर रहे हैं और हमारी उपस्थिति हमेशा वहां रहेगी."
पिछले 18 साल से अफगानिस्तान में अमेरिका और तालिबान के बीच संघर्ष चल रहा है. इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए विगत एक साल से दोनों के बीच वार्ता चल रही है. वार्ता के बीच के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह घोषणा की है. दोनों पक्षों के बीच वार्ता का ये नवां दौर है. इस दौर के बाद तालिबान प्रवक्ता ने भी जल्दी ही समस्या का समाधान होने की आशा जताई है.
पर्ल हार्बर हमले में जान गंवाने वाले सैनिक
अमेरिकी सेना ने उन 100 नाविकों और मरीन्स की पहचान कर ली है जो 76 साल पहले पर्ल हार्बर पर जापान के हवाई हमले में यूएसएस ओकलाहोमा के डूबने के कारण मर गये थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Consolidated National Archives
अब तक लापता
दो साल पहले अमेरिकी रक्षा विभाग की पीओडब्ल्यू/एमआईए अकाउंटिंग एजेंसी ने हवाई की कब्रगाह में करीब 400 कब्रों की खुदाई कर अवशेषों की पड़ताल की थी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. McAvoy
विज्ञान की प्रगति का नतीजा
फोरेंसिक साइंस और वंशावली विषय में हुई प्रगति के कारण परिवारों के लिए अपने सदस्यों की पहचान करना संभव हो पाया है. इसीलिए अधिकारियों ने यह खुदाई की. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इन मरीन्स और नाविकों को लापता के रूप में दर्ज किया गया था. एजेंसी को उम्मीद है कि वह युद्धक जहाज पर मौजूद 80 फीसदी क्रू सदस्यों का 2020 तक पता लगा लेगी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Garcia
परिजनों को अब तक जानकारी नहीं
पिछले हफ्ते ही सबसे ताजा जानकारी सामने आयी है हालांकि अभी तक परिवारों को इसके बारे में सूचना नहीं दी गयी है. यही वजह है कि नामों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. जिन लोगों की पहचान हुई है उनमें कई को उनके गृहनगर में ही दफनाया गया था. बाकी लोगों को होनोलूलू के नेशनल मेमोरियल सेमेट्री में दफनाया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. McAvoy
429 नाविकों और नौसैनिकों की मौत
हमले के वक्त उस युद्धक जहाज पर 429 लोग सवार थे और उन सबकी मौत हो गयी. हमले के बाद बचे अवशेषों से घटना के अगले साल केवल 35 लोगों की पहचान हो सकी. कई अवशेषों को जिन्हें हवाई में दफनाया गया था उसमें मरीन्स और नाविकों के अवशेष आपस में मिल गये थे. 2015 में 388 शवों की फिर से पड़ताल की गयी जिन्हें 46 कब्रों में दफनाया गया था.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
डीएनए और डेंटल रिकॉर्ड
शवों की पहचान करने वाली एजेंसी डेंटल रिकॉर्ड, और डीएनए के जरिए उनका पता लगा रही है. अवशेषों को नेब्रास्का के एयरफोर्स बेस पर विश्लेषण के लिए भेजा जा रहा है. होनोलूलू के लैब ने सेना की डीएनए लैब को अब तक करीब 5000 नमूने भेजे हैं. एजेंसी के पास 85 फीसदी मरीन्स और नाविकों के परिवारों के डीएनए के नमूने मौजूद हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot
पर्ल हार्बर
7 दिसंबर 1941 को अमेरिका के पर्ल हार्बर पर जापान के लड़ाकू जहाजों ने अचानक धावा बोला. अमेरिकी सैनिकों को संभलने का मौका दिये बगैर जापान के लड़ाकू जहाजों ने तबाही मचा दी. यह वही हमला था जिसने अमेरिका को दूसरे विश्व युद्ध में घसीट लिया.
तस्वीर: Getty Images/Keystone
350 से ज्यादा लड़ाकू विमान
जापान ने हमले के लिए 350 से ज्यादा लड़ाकू विमानों को भेजा था. इसमें लड़ाकू विमानों के साथ ही बमवर्षक विमान भी थे जिन्हें छह विमानवाही युद्धपोतों से दो चरणों में रवाना किया गया था. इस हमले में अमेरिका के कुल 2403 सैनिकों की मौत हुई जबकि 1100 से ज्यादा घायल हुए.
तस्वीर: Getty Images/Keystone
आठों जंगी बेड़े को नुकसान
इस हमले में अमेरिकी नौसेना के सभी आठ जंगी बेड़ों को नुकसकान उठाना पड़ा. इनमें से चार डूब गये. हालांकि बाद में यूएसएस एरिजोना को छोड़ कर सभी को बाहर निकाल लिया गया. इनमें से छह अपने काम पर वापस लौटे ऑौर जंग में शामिल हुए.
तस्वीर: Getty Images/Keystone
यूएसएस ओकलाहोमा
यूएसएस ओकलाहोमा भी इस हमले का शिकार हुआ था और तब डूब गया था. दो साल बाद इसे बाहर निकाल कर मरम्मत तो की गयी लेकिन यह इस काबिल नहीं था कि सेना की अपनी ड्यूटी पर वापस लौट सके. कुछ सालों के बाद इसे कबाड़ में बेच दिया गया.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
परमाणु हमला
1941 के पर्ल हार्बर पर जिस हमले से जापान ने अमेरिका को दूसरे विश्व युद्ध में उतरने पर मजबूर किया उसकी परिणति 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमों के हमले के रूप में हुई और इसके बाद ही दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Consolidated National Archives
10 तस्वीरें1 | 10
अफगानिस्तान में 8,600 अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी के बाद उनकी संख्या उस स्तर पर आ जाएगी जो जनवरी 2017 में थी. इसी समय डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे. वहीं 2011 में अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या अपने सबसे ऊंचे स्तर एक लाख पर पहुंच गई थी. अफगानिस्तान से किसी आतंकी संगठन के अमेरिका पर फिर से हमले के सवाल पर डॉनल्ड ट्रंप ने कहा, "हम इतनी ज्यादा संख्या में सैनिकों के साथ वापस आएंगे जितने पहले कभी नहीं आए होंगे."
आतंकी संगठन अल कायदा ने अफगानिस्तान में अपना ठिकाना बनाया था और यहीं से अमेरिका में 11 सितंबर 2011 को हुए हमले की योजना बनाई थी. इस घटना के एक महीने बाद ही अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया था और उसके बाद से अमेरिकी सैनिक वहां तैनात हैं. जून में सैन्य सहयोगियों द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अमेरिका के बाद नाटो मिशन के सैनिक भी अफगानिस्तान में तैनात हैं. इनमें जर्मनी के 1,300 और ब्रिटेन के 1,100 सैनिक शामिल हैं.
थाईलैंड के जंगलों में अमेरिकी सेना की प्रशांत कमांड के सैनिक थाई सेना के साथ खास कंमाडो ट्रेनिंग करते हैं. देखिए, कितनी मुश्किल होती है ये ट्रेनिंग. इसकी कुछ तस्वीरें विचलित कर सकती हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Perawongmetha
कोबरा गोल्ड कही जाने वाली इस ट्रेनिंग में 2019 में अमेरिका और थाईलैंड के साथ करीब 29 देशों की सेनाओं ने हिस्सा लिया. ट्रेनिंग के दौरान सैनिक जंगल में सांप, बिच्छू और मकड़ी समेत कई विषैले कीटों के साथ रहते हैं.
तस्वीर: Reuters/S. Z. Tun
इस तस्वीर में सैनिक ने एक सांप को अपने दांतों से काटा. सांप का विष भरा दांत पहले ही निकाला जा चुका है. इस ट्रेनिंग का मकसद सैनिकों के मन से सांप के डर को धीरे धीरे भगाना है.
तस्वीर: Reuters/S. Z. Tun
सैनिक अभ्यास के दौरान सैनिकों के ट्रेन करने के लिए शिविर में 29 कोबरा लाए गए थे. हालांकि इन सभी की दांतों से विष निकाल लिया गया था.
तस्वीर: Reuters/A. Perawongmetha
अभ्यास का लक्ष्य है विषम परिस्थितियों में जीवित रहना. जंगल में कंमाडो ऑपरेशन के दौरान सैनिकों को अक्सर आस पास मौजूद चीजों को खाना पड़ता है, फिर वह मकड़ी ही क्यों न हो.
तस्वीर: Reuters/S. Z. Tun
जंगल में जिंदा रहने के लिए सांप को भी काटकर खाना पड़ सकता है. सैनिक अक्सर सांप का खून भी पी जाते हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Perawongmetha
सांप का खून पीने के बाद उसका मांस खाने की बारी आती है. सैनिकों को एक के बाद एक बाइट लेनी पड़ती है.
तस्वीर: Reuters/A. Perawongmetha
कैंप के दौरान सैनिकों को जंगल में मिलने वाले कई तरह के भोजन की जानकारी दी जाती है. यह तस्वीर मकड़ी के अंडों की है.
तस्वीर: Reuters/S. Z. Tun
इस तस्वीर में सैन्य अभ्यास में शामिल सैनिकों को सांप पकड़ने की ट्रेनिंग दी जा रही है.
तस्वीर: Reuters/S. Z. Tun
पानी सिर्फ जलधाराओं में ही नहीं होता. कई पेड़ और पत्ते भी पानी स्टोर किए रहते हैं.
तस्वीर: Reuters/S. Z. Tun
इस तस्वीर में कमांडर सैनिकों को सिखा रहा है कि अलग अलग चीजों में मुट्ठी भर चावल कैसे पकाया जाए. 12 दिनों की ट्रेनिंग के दौरान हर सैनिक के पास थोड़ा बहुत चावल होता है.
तस्वीर: Reuters/S. Z. Tun
यह सैनिक मिट्टी में मिलने वाले कीड़े को खा रहा है. युद्ध के दौरान जंगल में क्या मिलेगा, ये किसी को नहीं पता इसीलिए हर तरह का खाना खाने का अभ्यास होना चाहिए.