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अफवाहों से अफरातफरी में पूर्वोत्तर के लोग

१७ अगस्त २०१२

पूर्वोत्तर के लोगों पर हमले की अफवाहों का बाजार ऐसा गर्म हुआ है कि कर्नाटक से लेकर महाराष्ट्र के कई शहरों से पूर्वोत्तर में रहने वाले लोग अपने इलाकों की ओर पलायन कर रहे हैं.

तस्वीर: Reuters

भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि इस पलायन के कारण देश की एकता दांव पर लगी है. बैंगलोर, मैंगलोर सहित पुणे से असमी लोगों के रातों रात घर छोड़ने के समाचार हैं. दूसरी रात को घबराए हुए छात्रों को घर पहुंचाने के लिए दो विशेष ट्रेनें गुवाहाटी के लिए चलाई गईं हैं.

मोबाइल फोन और इंटरनेट के जरिए अफवाह फैला दी गई कि असमी लोगों को रमजान के बाद हमलों का शिकार बनाया जाएगा. हाल ही में असम भारी जातीय हिंसा का शिकार हुआ था. बोडो समुदाय के लोगों और मुसलमानों के बीच हुई हिंसा में 80 लोगों की जान गई और करीब चार लाख लोग विस्थापित हो गए. प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, "हमारे देश की एकता और धार्मिक सहिष्णुता दांव पर लगी हुई है. अगर कोई असामाजिक तत्व हैं, कोई ऐसे लोग हैं जो इन अफवाहों को हवा दे रहे हैं तो उन्हें तुरंत पकड़ा जाना चाहिए. बहुत जरूरी है कि पार्टी हितों से परे जा कर हमें ऐसा माहौल बनाना होगा जहां यह अफवाहें खत्म की जा सकें."

परेशान पूर्वोत्तर के बाशिंदेतस्वीर: Reuters

बैंगलोर में साइबर विशेषज्ञों के साथ पुलिस तलाश कर रही है कि किस अनजान व्यक्ति ने फेसबुक या इंटरनेट के जरिए इस तरह की अफवाह फैलाई है. बैंगलोर में रहने वाले पूर्वोत्तर के दो लाख चालीस हजार लोगों पर किसी तरह का हमला नहीं हुआ है.

दक्षिण भारत से उड़ी इन अफवाहों का असर पूणे में भी देखा गया. वहां के स्टेशन पर करीब दो हजार छात्र और मजदूर असम की ओर जाने के लिए इकट्ठा हुए.

सभी राज्यों के नेताओं ने इन अफवाहों और अफरातफरी के विरोध में आवाज उठाई है. शुक्रवार तक दक्षिण भारत के शहरों के अलावा महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे से 15 हजार लोग अपने घर असम लौट गए हैं.

एएम/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)

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