अफीम से लबालब अफगानिस्तान
१३ नवम्बर २०१३अफगानिस्तान अफीम सर्वे और संयुक्त राष्ट्र के मादक पदार्थों और अपराध से जुड़े कार्यालय यूएनओडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, "हो सकता है कि किसानों ने खेती पर ज्यादा ध्यान दिया हो ताकि अनिश्चित भविष्य के लिए अपनी पूंजी जमा कर सकें क्योंकि अगले साल यहां से अंतरराष्ट्रीय सेना हट रही है." अफगानिस्तान में 11 साल से भी ज्यादा विदेशी सेनाएं डटी रहीं और उन्होंने अफीम की खेती पर खूब नकेल लगाने की कोशिश की लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. अफगानिस्तान के मादक पदार्थ निरोधी मंत्रालय के कार्यकारी मंत्री दीन मुहम्मद मुबारेज रशीदी का कहना है, "तालिबान और अल कायदा किसानों को अफीम उगाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं."
यूएनओडीसी के यूरी फेडोटोव का कहना है कि इसकी वजह से अफगानिस्तान और आस पास "सेहत, स्थिरता और विकास में बाधा पहुंच रही है." इस साल दो प्रांतों का 'अफीममुक्त' दर्जा खत्म हो गया और इस तरह देश के 34 में से 15 प्रांतों में अफीम की खेती होने लगी. सरकार की अफीम विरोधी कार्रवाइयों की वजह से इस साल 143 लोग मारे गए, जो पिछले साल के 102 लोगों से कहीं ज्यादा है.
आधे अफगानिस्तान में खेती
अफगानिस्तान सरकार का कहना है कि इस साल 209,000 हेक्टेयर में अफीम की पैदावार हुई है, जो 2007 में 193,000 हेक्टेयर से कहीं ज्यादा है. इससे पहले का रिकॉर्ड 2007 का ही है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अस्थिर राजनीतिक हालात और सुरक्षा की कमी की वजह से ज्यादा अफीम उगाई जा रही है. अफगानिस्तान अफीम सर्वे और यूएनओडीसी के अनुसार 2013 में 5,500 टन अफीम पैदा हुई है. हालांकि मात्रा में 2007 अभी भी ऊपर है, जब 7,400 टन अफीम हुई थी.
अस्थिर राज्य हेलमंद अब भी सबसे ज्यादा अफीम उपजाने वाला प्रांत बना हुआ है, जहां देश की लगभग 48 फीसदी अफीम पैदा होती है. इस राज्य में इस साल 34 फीसदी ज्यादा खेतों पर खेती होने लगी. रिपोर्ट में कहा गया है, "2012 में अफीम की बढ़ी हुई कीमतों की वजह से भी अफीम की खेती बढ़ी है. लेकिन हो सकता है कि अंतरराष्ट्रीय सेना के हटने के बाद की अनिश्चित स्थिति की वजह से भी इसकी खेती बढ़ी हो."
किसकी जिम्मेदारी
अफीम की खेती करीब एक अरब डॉलर की होती है, जो अफगानिस्तान की जीडीपी का चार फीसदी है. यूएनओडीसी के यान-लुक लेमाहियू का कहना है कि इस देश में पूरी दुनिया की करीब 80 फीसदी अफीम पैदा होती है. उनका कहना है, "अफगानिस्तान में मादक पदार्थों का मामला वैसा ही है, जैसा कि कम प्रतिरोधी क्षमता वाले शरीर पर वायरसों का हमला. यहां खराब प्रशासन, भ्रष्टाचार और दूसरे मुद्दे पहले से ही हैं."
सरकार के मादक पदार्थ निरोधी मंत्रालय के सलाहकार जबीहुल्लाह दायेम का कहना है "अलग अलग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में तालमेल" की कमी है, "हम सिर्फ अपने आप इस पर रोक नहीं लगा सकते."
एजेए/एनआर (डीपीए, एएफपी)