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अफ्रीका के जंगली कुत्ते कैसे बनते हैं कामयाब शिकारी

९ सितम्बर २०२०

ना शेर जैसी ताकत, ना चीते जैसी तेजी, ना लकड़बग्घों जैसी दुष्टता, ना तेंदुओं जैसी छिपने की कला, फिर भी अफ्रीकी जंगली कुत्ते बड़ी शान से अपने शिकार को निशाना बनाते हैं. आखिर क्या वजह है उनकी कामयाबी की?

Großbritannien  | Afrikanischer Wildhund im Chester Zoo
तस्वीर: Reuters/P. Noble

अफ्रीकी जंगली कुत्ते शेर और लकड़बग्घों से अलग होते हैं. अपनी खास तकनीक के दम पर वो शिकार को तब तक दौड़ाते हैं जब तक कि वो थक कर गिर ना जाए और फिर आसानी से उसे अपना निशाना बना लेते है. अफ्रीकी कुत्ते शिकार करने में अपनी ताकत, तेज गति या फिर छिपने की काबिलियत की वजह से कामयाब नहीं होते बल्कि कोई और वजह उन्हें मारक बनाती है.

तस्वीर: Reuters/H. Burditt

लुप्त होने का खतरा झेल रहे अफ्रीकी जंगली कुत्तों को पेंटेड डॉग या हंटिंग डॉग भी कहा जाता है. विकास प्रक्रिया के दौरान इन कुत्तों के अगले पैरों की हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों में एक खास तरह का अनुकूलन पैदा हुआ है. अनुकूलन की वजह से यह तेज दौड़ते हुए भी अपनी जिंदगी बचाए रखता है. पूर्वी अफ्रीका में 20-30 के समूह में जंगली कुत्ते हिरण या मृगों का शिकार करने के लिए जटिल रणनीति बनाकर उनका पीछा करते हैं. इस दौरान ये हर रोज करीब 50 किलोमीटर तक दौड़ लगाते हैं. शिकार को थकाने वाली तकनीक का इस्तेमाल कर ये उनका पीछा करते हैं और इस दौरान इनकी रफ्तार 64 किलोमीटर प्रति घंटे तक रहती है.

एरिजोना के मिडवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में शरीर रचना विज्ञान के प्रोफेसर हीथर स्मिथ का कहना है, "ये काफी असरदार शिकारी हैं और 60 फीसदी शिकार करने में सफल होते हैं जो शेर के 30 फीसदी और लकड़बग्घों के 25-30 फीसदी की तुलना में काफी ज्यादा है. हीथर स्मिथ ने ही इन कुत्तों पर हुई रिसर्च का नेतृत्व किया. इस रिसर्च की रिपोर्ट साइंस जर्नल पीयर जे में छपी है.  कुत्ते, भेड़िए, लोमड़ी इस तरह के जानवरों के समूह को कैनिड कहा जाता है. कैनिड जीवों में केवल ये कुत्ते ही ऐसे है जिनके पैरों में केवल चार अंगुलियां होती हैं. इनकी वजह से ना सिर्फ इनकी गति तेज होती है बल्कि ये लंबी छलांग लगाने में भी माहिर होते हैं.

तस्वीर: Reuters/H. Burditt

हालांकि रिसर्चरों ने जब चिड़िया घर में प्राकृतिक कारणों से मरे एक अफ्रीकी जंगली कुत्ते का सीटी स्कैन और चीरफाड़ किया तो उन्हें अगले पंजों की त्वचा के नीचे एक छोटी सी ऊंगली की मौजूदगी का पता चला. इस ऊंगली की मांसपेशी का स्वरूप बदल गया था जो किसी और रूप में इस्तेमाल हो रहा था. यह ऊंगली कुत्तों को दौड़ने के दौरान उनकी स्थिति, स्थान, दिशा, शरीर और शरीर के अंगों के बारे में चेतना बढ़ाने में मदद करती है.

तस्वीर: Reuters/H. Burditt

इसके अलावा रिसर्चरों ने यह भी पता लगाया कि उनके पैरों की मांसपेशियों में ऐसी हल्की ऐंठन होती है जो उन्हें बेहोश होने से बचाती हैं. साथ ही अगले पैरों के जोड़ स्प्रिंग की तरह कुत्ते को आगे की ओर उछलने में मदद देते हैं. इसके अलावा उन्होंने उन मांसपेशियों में कमी भी देखी जो आमतौर पर कलाई और हाथों के अगले हिस्से को घुमाती हैं. इसका नतीजा इनकी स्थिरता के रूप में सामने आता है.

इन कुत्तों में बहुत ज्यादा स्टैमिना है जबकि इनके प्रतिद्वंद्वी शिकारियों जैसे कि चीता अपनी तेजी, शेर अपनी ताकत और तेंदुआ छिपने की खूब की वजह से जाने जाते हैं. हालांकि स्मिथ के मुताबिक "अफ्रीकी जंगली कुत्ते कई बार अपना शिकार इन बड़े और ज्यादा आक्रामक मांसखोरों से हार जाते हैं."

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)

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